हाल ही में हरदा के अंदर के गाँव में गया था वहाँ एक गाँव बदझिरी देखा वह के बच्चो की हालत बहुत ही ख़राब थी , शर्म तो आती है बहुत अपने आप से पर क्या करू ऐसे देश में जहा बच्चो को सरकारी आंगनवाडी के सड़े गले कीडो मकोडों वाले भोजन पर निर्भर रहना पड़ता हो वह किसका देश और कैसा देश किसके नौनिहाल और कैसा भविष्य ..... स्वदेश फ़िल्म का गीत गूंज रहा था कानो में " ये जो देश है मेरा स्वदेश है मेरा........."
हालत सुधरने के बजय बिगड़ते जा रहे है दिनों दिन ................
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