जी, जी, जी सर अभी हो जायेगा आप से बेहतर अनुभवी कोई नही आप जैसा सह्रदय इंसान सभ्यता में नही हुआ आपकी कविता एक नए युग की शुरूवात है आपका सुघड़ गद्य साहित्य की भूमि पर फ़ैला वटवृक्ष है आपका दीर्घकालीन प्रशासनिक अनुभव हर जगह बोलता है आप सा प्राध्यापक हो तो सा विद्या विमुक्ते हो जाती है आपकी सुझाई इस गतिविधि से सामाजिक बदलवा में आमूल चूल परिवर्तन होगा ____ ये है हमारे चपलेश के संवाद , चपलेश यानी चापलूस जो सभी जाति, प्रजाति और सभ्यता में मौजूद है और इनसे बचकर रहा नही जा सकता - ये वामपंथी से लेकर सपाई, बसपाई, भाजपाई, काँग्रेसी, सत्तर साला हरामखोर झब्बेदार गांधीवादी और वैश्विक मानसिकता के भी हो सकते हैं और इनके होने से ही मानव सभ्यता जीवित है जल्दी ही एक #चपलेश श्रृंखला आरम्भ कर रहा हूँ , आशा है आपको अपने 38 साला कार्यकाल में मिलें चपलेशों से रूबरू करवा सकूं - 38 साल एक लंबा कालखण्ड होता है, लगभग चार दशक से देख रहा हूँ कि स्कूल, कॉलेज, स्वैच्छिक संस्थाएँ, अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ, और सरकारी विभागों में चपलेशों की जबरदस्त होड़ और पकड़ है कि कौन कितना गिर सकता है, मेरे देखते - देखते बाबू या ज़मीनी आदम...
The World I See Everyday & What I Think About It...