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Showing posts from September, 2024

Khari Khari, Drisht Kavi, Man Ko Chiththi and other Posts from 21 to 23 Sept 2024

जी, जी, जी सर अभी हो जायेगा आप से बेहतर अनुभवी कोई नही आप जैसा सह्रदय इंसान सभ्यता में नही हुआ आपकी कविता एक नए युग की शुरूवात है आपका सुघड़ गद्य साहित्य की भूमि पर फ़ैला वटवृक्ष है आपका दीर्घकालीन प्रशासनिक अनुभव हर जगह बोलता है आप सा प्राध्यापक हो तो सा विद्या विमुक्ते हो जाती है आपकी सुझाई इस गतिविधि से सामाजिक बदलवा में आमूल चूल परिवर्तन होगा ____ ये है हमारे चपलेश के संवाद , चपलेश यानी चापलूस जो सभी जाति, प्रजाति और सभ्यता में मौजूद है और इनसे बचकर रहा नही जा सकता - ये वामपंथी से लेकर सपाई, बसपाई, भाजपाई, काँग्रेसी, सत्तर साला हरामखोर झब्बेदार गांधीवादी और वैश्विक मानसिकता के भी हो सकते हैं और इनके होने से ही मानव सभ्यता जीवित है जल्दी ही एक #चपलेश श्रृंखला आरम्भ कर रहा हूँ , आशा है आपको अपने 38 साला कार्यकाल में मिलें चपलेशों से रूबरू करवा सकूं - 38 साल एक लंबा कालखण्ड होता है, लगभग चार दशक से देख रहा हूँ कि स्कूल, कॉलेज, स्वैच्छिक संस्थाएँ, अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ, और सरकारी विभागों में चपलेशों की जबरदस्त होड़ और पकड़ है कि कौन कितना गिर सकता है, मेरे देखते - देखते बाबू या ज़मीनी आदम...

Post of 10 May 2024, Ekant ki Akulahat etc , Drisht Kavi

प्यार में तो दुनिया अपनी लगने लगती है फिर तुमने क्यों पूरा शहर, माहौल, दोस्ती - यारियां उजाड़ दी कोई नही जानता उसके बारे में, अचानक से कहानी में क्लाइमेक्स की तरह आई एक अनजान किरदार के रूप में और सबको भ्रम जाल में डालकर सबके हिस्से की धूप खा गई , सबके हिस्से के सूरज - चाँद निगल गई और तो और अपने - आपमें ऐसी कुछ दीवानी हुई कि उम्र का भी लिहाज़ नही किया, अपनी कुलीन  परम्परा का विद्रोह कर सब कुछ नष्ट कर दिया कैसा घिघौना अतीत रहा होगा और कैसा चरित्र जिया होगा तूने व्याभिचारिणी कि जिसने भी समझने की कोशिश की तुझे, उसे ज़हर के अलावा कुछ नही मिला, बिच्छू के डंक सी मादक हँसी और मासूमियत की मोहक अदाएँ - विलोपित जीवन के टूटे तार की वीणा थी तुम - जो बेसुरेपन की हद तक जाकर पूरे संगीत को कोलाहल में बदलकर भौंडे व्यापार में बदल देती थी, यही होता है जब आरोह - अवरोह की बुनियादी समझ ना हो तो जीवन दीमक बन जाता है और हमेंशा दूसरों को खोखला करने में ही बीत जाता है प्रेम तो हमने उसका भी देखा था, उसके साथ हजारों, लाखों का भी देखा था - जो सबको जोड़ता था, कभी विद्रूप रूप में सामने नही आया, कभी किसी को मलिनता से ...

Post of 23 July 2023 , Drisht Kavi Post of 24 June 24

  एक सूफी कहावत है जो मैंने हज़रत मोइनुद्दीन चिश्ती साहब की दरगाह पर बहुत साल पहले अजमेर में और फिर एक दशक बाद दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया साहब के घर सुनी थी, कमाल यह है कि दोनो जगह जिस दरवेश ने मुझे यह कहावत सुनाई उसका चेहरा लगभग मिलता - जुलता था, वो कहावत थी -  "क्या तुम्हें इल्म नही है - ये तुम्हारा नूर है जो जहाँ को रोशन करता है" - वही दरवेश फिर बरसों बाद मुझे रुड़की के पास कलियर शरीफ़ में सन 2007 में मिला था, उसने कहा कि अच्छा हुआ यहाँ भी आ गए तुम; कहते है - अजमेर जाओ और यहाँ ना जाओ तो यात्रा का सबाब नही मिलता  इस कहावत से मैंने सीखा कि अपने - आपको सबसे महत्वपूर्ण मानो, क़ायनात का केंद्र तुम्ही हो, यदि तुम्हीं नही तो ये धरती, चाँद और सितारें, ये नदियाँ, पर्वत, समन्दर, पेड़ - पौधे और धरती - आकाश किसके लिए है, बस, अपने आपको ठीक रखो; वह करो - जो मन कहता है, वैसे रहो - जिससे जीने में लगाव और बहाव बना रहता है, चित्त में मौज और रवानगी बनी रहती है और वैसा सोचो - जैसे तुम्हारा दिल - दिमाग़ कहता है  बाकी किसी के लिए नही - अपने आपको खुश रखने के लिए जी लो - जब तक भी हो हँसते और...

Man Ko Chiththi - Post of 20 Sept 2024

व्यक्ति जो कह रहा है उसे सुनो, फिर व्यक्ति को देखो, उसके आचरण और व्यवहार को देखो कि जो वह कह रहा था उसका पालन कर रहा है या नही - ज्ञान देना आसान है, पर उसे अपने जीवन, अपने सिद्धांतों और अपने दैनिक जीवन के मूल्यों में उतारना असम्भव है हममें से अधिकांश लोग दूसरों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते है, अरे भाई मत हो प्रभावित - दूसरा जो कर रहा है उसका धँधा है, उसका काम है, बोलना सरल है, कॉपी पेस्ट मारकर लिखना और सरल है - नूतन क्या है, नया क्या है, नवाचार क्या है  एक उदाहरण से समझिये - एक सज्जन गांधी पर प्रवचन दे रहें थे , डेढ़ घण्टे में उन्होंने लगभग 240 बार गांधी बोला, गांधी के ख़त, बातें और गांधी के विचार अलग-अलग किताबों से पढ़कर सुनाएं और अंत में सभागार में देर तक बजी तालियों ने सिद्ध किया कि ये सज्जन ही विद्वान है बाकी गांधी तो निहायत ही उजबक थे, इस तरह वे एक बार पुनः बड़े विचारक, विद्वान और प्रखर वक्ता सिद्ध हुए, कार्यक्रम के बाद अपना मानदेय का लिफ़ाफ़ा बटोरकर, गाड़ी के लिये लगा पेट्रोल का नगदी लेकर अपनी 22 लाख की गाड़ी में रवाना हो गए - उसी शहर में आयोजित किसी और संगोष्ठी में - जहाँ से उन्ह...

Khari Khari, Drisht Kavi, Man Ko Chiththi and other Posts from 4 to 19 Sept 2024

गणेशोत्सव के दस दिनों में मैंने अपने जैसे इतने बेसुरों को मुकेश, रफ़ी, शानू, अर्जित, लता, आशा, मन्नाडे, हेमन्त कुमार, किशोर कुमार , अनुराधा पोडवाल से लेकर तमाम गायकों को रानू मण्डल की तरह गानों और संगीत की हत्या करते देखा मंच पर - भयानक भौंडी आवाज़ में कि गाने और सुनने की इच्छा ही खत्म हो गई, आयोजकों को अल्लाह मुआफ़ नही करेगा और तो और कराओके और स्टार जैसे एप बनाने वाले नर्क में ही जायेंगे अब आठ दस दिन बाद गरबे के नाम पर विश्व के श्रेष्ठ नर्तक और नर्तकियाँ सड़कों पर उतरेंगे और नृत्य की हत्या करेंगे उठा ले रे बाबा, उठा ले  ***  इधर इंस्टाग्राम पर अलग ही टशन है  ◆ ये ज्यूस, वो ज्यूस कि लीवर, फेफड़े, किडनी, हार्ट, दिमाग शुद्ध हो जाये de-toxic हो जाये , नपुंसक हो तो बच्चा भी हो जाएगा, मल्लब ये सब घरेलू नुस्ख़े आजमा लो तो डॉक्टर की जरूरत ना है, बन्द कर दो मेडिकल कॉलेज और एम्स - साला, कायकूँ टैक्स का रुपया लगाने का जब शुगर और CRF लहसन, प्याज और तेजपत्र से ठीक हो रही, कैंसर काली मिर्च और कलौंजी से खत्म हो रहा, आप तो बस रील्स देखो  ◆ विज्ञान, भूगोल, नागरिक सास्त्र, अंतरिक्ष विज्ञ...

Khari Khari IV814 and Man Ko Chiththi - Posts of 3 Sept 2024

इस समय स्थितियां गम्भीर होती जा रही है, हम लोगों के पास करने को कुछ बचा नही है, हम या अपने आसपास के लोग जो भी कर रहें है वे मात्र समय गुजारने और अपने आपको व्यस्त रखने के लिये कर रहें हैं - दिखावटी, रोज़ी रोटी के लिए, अपना pseudo वर्चस्व जीवित रखने या अपने आपको अन्य से श्रेष्ठ बताने के लिये, साथ ही एक छदम आवरण बनाकर हम अपना ही नुकसान कर रहें हैं ना कुछ नया सृजन हो रहा ना ही नया कुछ लिखा - पढ़ा जा रहा है, सब एक तरह का imitation है, यानी की नकल की जा रही है, सुभीता यह है कि अब कॉपी पेस्ट और कृत्रिम होशियारी (AI) से लिखने और अनुवाद का या चित्र बनाने या कल्पना करने का भी सुख पाना भी मात्र चंद सेकेंड्स का इंतज़ार है बस और आप शिखर पर है, यह ठीक वैसा ही है जैसा आप कहें कि मैंने नया शर्ट लिया है - हे इंसान शर्ट की कल्पना लाखों वर्ष पुरानी है - यह तन ढँकने का एक माध्यम है तो नया कहाँ से हुआ, तुमने किसी कपड़े से अपने नाप का सिलवाकर अपने उघड़े तन को ढँका - वह तुम्हारे लिये नया होगा पर वह मूल रूप से नकल है imitation है उस प्राच्य परम्परा की - इसमें तुम, कपड़ा और शर्ट नया कहाँ से हो गया ऐसे में किसी से प्...

Drisht Kavi, Man Ko Chiththi and other Posts from 29 Aug to 3 Sept 2024

शिक्षक दिवस के भाषण, कविता, दोहे, छंद, निबंध, आलोचना, अध्यक्षीय उदबोधन, अतिथि वचन, स्मारिका हेतु आशीर्वचन, कार्यक्रम की अध्यक्षता, इवेंट आयोजित करने और सोशल मीडिया पेज पर शानदार कोटेशन के लिये संपर्क करें आज दोपहर चार बजे से पहले सम्पर्क करने पर 10 % की छूट, कल से हर काम पर 25 % की वृद्धि लिखें, मिलें या कॉल करें WWW.माड़साब.कॉम चलबोला क्रमांक 4204204204 सुनहरा अवसर ना चुके *** हम सब मनुष्य है - जितने बहादुर उतने ही डरपोक, गुफाओं और कबीलों से निकलकर अपने लिए हमने तमाम तरह की सुविधाएँ जुटा ली, अभेद्य किले बना लिए, बावजूद इसके हम हर पल डरते हैं डरते हैं - आगत से, अनुतोष से, प्रतिफल से, अशेष संभावनाओं से, अपने उज्ज्वल भविष्य से, अपने अतीत से जो गुज़र चुका है, भविष्य से जिसके गर्भ में क्या है नही पता, वर्तमान से जो सांसों में धड़क रहा है, डरते है तो मृत्यु से जो कभी भी दबे पाँव आकर दबोच लेगी, अपने यश और कीर्ति से कि कही कोई छीन ना लें, धन वैभव और सुखों से डरते है कि हम इन्हें खो ना दें जबकि ये सब तो क्षणिक है और इन्हें खत्म होना ही है हम सबके इन दहशतों और डर से बचने के अपने - अपने तरीके है या...