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Showing posts from September, 2024

Khari Khari IV814 and Man Ko Chiththi - Posts of 3 Sept 2024

इस समय स्थितियां गम्भीर होती जा रही है, हम लोगों के पास करने को कुछ बचा नही है, हम या अपने आसपास के लोग जो भी कर रहें है वे मात्र समय गुजारने और अपने आपको व्यस्त रखने के लिये कर रहें हैं - दिखावटी, रोज़ी रोटी के लिए, अपना pseudo वर्चस्व जीवित रखने या अपने आपको अन्य से श्रेष्ठ बताने के लिये, साथ ही एक छदम आवरण बनाकर हम अपना ही नुकसान कर रहें हैं ना कुछ नया सृजन हो रहा ना ही नया कुछ लिखा - पढ़ा जा रहा है, सब एक तरह का imitation है, यानी की नकल की जा रही है, सुभीता यह है कि अब कॉपी पेस्ट और कृत्रिम होशियारी (AI) से लिखने और अनुवाद का या चित्र बनाने या कल्पना करने का भी सुख पाना भी मात्र चंद सेकेंड्स का इंतज़ार है बस और आप शिखर पर है, यह ठीक वैसा ही है जैसा आप कहें कि मैंने नया शर्ट लिया है - हे इंसान शर्ट की कल्पना लाखों वर्ष पुरानी है - यह तन ढँकने का एक माध्यम है तो नया कहाँ से हुआ, तुमने किसी कपड़े से अपने नाप का सिलवाकर अपने उघड़े तन को ढँका - वह तुम्हारे लिये नया होगा पर वह मूल रूप से नकल है imitation है उस प्राच्य परम्परा की - इसमें तुम, कपड़ा और शर्ट नया कहाँ से हो गया ऐसे में किसी से प्

Drisht Kavi, Man Ko Chiththi and other Posts from 29 Aug to 3 Sept 2024

शिक्षक दिवस के भाषण, कविता, दोहे, छंद, निबंध, आलोचना, अध्यक्षीय उदबोधन, अतिथि वचन, स्मारिका हेतु आशीर्वचन, कार्यक्रम की अध्यक्षता, इवेंट आयोजित करने और सोशल मीडिया पेज पर शानदार कोटेशन के लिये संपर्क करें आज दोपहर चार बजे से पहले सम्पर्क करने पर 10 % की छूट, कल से हर काम पर 25 % की वृद्धि लिखें, मिलें या कॉल करें WWW.माड़साब.कॉम चलबोला क्रमांक 4204204204 सुनहरा अवसर ना चुके *** हम सब मनुष्य है - जितने बहादुर उतने ही डरपोक, गुफाओं और कबीलों से निकलकर अपने लिए हमने तमाम तरह की सुविधाएँ जुटा ली, अभेद्य किले बना लिए, बावजूद इसके हम हर पल डरते हैं डरते हैं - आगत से, अनुतोष से, प्रतिफल से, अशेष संभावनाओं से, अपने उज्ज्वल भविष्य से, अपने अतीत से जो गुज़र चुका है, भविष्य से जिसके गर्भ में क्या है नही पता, वर्तमान से जो सांसों में धड़क रहा है, डरते है तो मृत्यु से जो कभी भी दबे पाँव आकर दबोच लेगी, अपने यश और कीर्ति से कि कही कोई छीन ना लें, धन वैभव और सुखों से डरते है कि हम इन्हें खो ना दें जबकि ये सब तो क्षणिक है और इन्हें खत्म होना ही है हम सबके इन दहशतों और डर से बचने के अपने - अपने तरीके है या