इस समय स्थितियां गम्भीर होती जा रही है, हम लोगों के पास करने को कुछ बचा नही है, हम या अपने आसपास के लोग जो भी कर रहें है वे मात्र समय गुजारने और अपने आपको व्यस्त रखने के लिये कर रहें हैं - दिखावटी, रोज़ी रोटी के लिए, अपना pseudo वर्चस्व जीवित रखने या अपने आपको अन्य से श्रेष्ठ बताने के लिये, साथ ही एक छदम आवरण बनाकर हम अपना ही नुकसान कर रहें हैं ना कुछ नया सृजन हो रहा ना ही नया कुछ लिखा - पढ़ा जा रहा है, सब एक तरह का imitation है, यानी की नकल की जा रही है, सुभीता यह है कि अब कॉपी पेस्ट और कृत्रिम होशियारी (AI) से लिखने और अनुवाद का या चित्र बनाने या कल्पना करने का भी सुख पाना भी मात्र चंद सेकेंड्स का इंतज़ार है बस और आप शिखर पर है, यह ठीक वैसा ही है जैसा आप कहें कि मैंने नया शर्ट लिया है - हे इंसान शर्ट की कल्पना लाखों वर्ष पुरानी है - यह तन ढँकने का एक माध्यम है तो नया कहाँ से हुआ, तुमने किसी कपड़े से अपने नाप का सिलवाकर अपने उघड़े तन को ढँका - वह तुम्हारे लिये नया होगा पर वह मूल रूप से नकल है imitation है उस प्राच्य परम्परा की - इसमें तुम, कपड़ा और शर्ट नया कहाँ से हो गया ऐसे में किसी से प्
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