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Showing posts from August, 2024

Man Ko Chiththi - Post of 27 August 2024

खुद को सज़ा मत दो, शायद हम जिंदगी के इशारों पर नाचने के लिए बने हैं - कठपुतली की तरह और इस सफ़र में हमें खुद के ही साथ की ज़रूरत है, हम भले ही जीवन भर सुख में जीते रहें हो, नफ़रत की जेल में रहे हो या पछतावे की पीड़ा से वाबस्ता रहे - सबको अपनी सज़ा भुगतनी ही पड़ती है और खुद का साथ हमें अंत में मुक्त करेगा #मन_को_चिट्ठी *** यूँ तो यह बात सही है कि हमारी प्रसन्नता और दुख हमारे अपने हाथ में है और किसी और को ना हमें देना चाहिये - ना ही किसी से बाँटने की ज़रूरत है पर हम सब मनुष्य है और किसी ना किसी तरह से इस मायावी झँझट में फँस ही जाते है अपेक्षा, उपेक्षा, मूर्खों की तानाशाही, अयोग्य लोगों का सत्ता पर काबिज़ होना, अनपढ़ों एवं कुपढ़ों का बढ़ता साम्राज्य, प्रेम और वासना जनित दुष्चक्र, लगातार बदलते स्वार्थी रिश्ते, घटिया किस्म की ओछी राजनीति, अपनी लाईन बड़ी करने के बजाय दूसरों को नीचा दिखाकर खुद को बेहतर साबित करने की गलाकाट होड़ और लगातार स्तरहीन होते जा रहें संवाद हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देते है, सबसे दुखद यह है कि जिन मूल्यों या जीवन मूल्यों की बात करते है वे इनके भीतर तो निश्चित रूप से कही नज़र नह

Sandip Ki Rasoi - Bharwa Kakoude - Post of 27 August 2024

  भरवा ककौड़े आधा किलो ककौडों को साफ धोकर थोड़ा सूखा लें और फिर चाकू की सहायता से उन्हें बीच में से काटकर बीज निकाल ले अब एक प्लेट में दो बड़े चम्मच बेसन, आधा कटोरी सिकें हुए मूंगफली के दानों का पाउडर, दो चम्मच सफ़ेद तिल, स्वादानुसार नमक, लाल मिर्च, गरम मसाला, धनिया पाउडर, अमचूर, चाट मसाला, जीरा पाउडर, सौंफ, काली मिर्च कूटी हुई थोड़ी सी मिला लें और इसमें दो चम्मच तेल, अदरख लहसून का पेस्ट मिला लें इस सारे मिश्रण को अच्छे से मिला लें और कटे ककौडों के बीच ठूंस ठूंसकर भर दें अब कड़ाही अच्छे से गर्म करें और पर्याप्त सरसो का तेल डाल दें, जब सरसो का तेल गरम हो जाये तो दो - तीन बूंद पानी के डाल दें, इसके बाद इसमें जीरा, राई और मेथीदाना डाले, थोड़ा सा हींग डाले जब ये सब तड़तडाने लगे तो रखे हुए ककौड़े एक एक कर डाल दें और पाँच मिनिट यूँ ही होने दें पाँच मिनिट बाद बहुत हल्के हाथों से पलट दें और ढाँककर रख दें, फिर दस मिनिट बाद पलटें और आधा कप पानी डाल दें साथ ही इसे अच्छे से ढाँक दें, पानी इसलिये कि मसाले जले नही बस लगभग बीस मिनिट आपके भरवा ककौड़े तैयार है, इस सब्जी को ज्वार, मक्का या गेहूँ की रोटी के साथ खा

Khari Khari and Other Posts from 20 to 27 August 2024

मुझे खबर थी मिरा इंतज़ार घर में रहा ये हादिसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा ◆ साक़ी फ़ारूक़ी *** मुझे खबर थी मिरा इंतज़ार घर में रहा ये हादिसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा ◆ साक़ी फ़ारूक़ी *** दिल किसी वजह से दुखी है मगर कुछ भी ऐसा नहीं कि तुमसे कहें, ज़ेहन उलझा हुआ है कुछ दिन से लेकिन इतना नहीं कि तुमसे कहें ◆ जव्वाद शेख *** ख़्वाहिशें मुख्तसर सी कर ली इस तरह ज़िंदगी आसाँ कर ली *** हिंदी साहित्य का नुकसान इस समय सबसे ज्यादा चुके हुए और सठियाये हुए बूढ़े कवियों और लेखकों ने किया है और रही सही कसर फेसबुक पर आकर रोज कर रहें है, ये लोग कचरा पत्रिकायें निकालकर सिर्फ और सिर्फ अपनी रूपये की भूख मिटा रहें है और जबरन अपने लोगों को उपकृत कर रहें है, वरिष्ठ कवि महिलाओं के इनबॉक्स में घुसकर अश्लील बातें करते है और उनकी पोस्ट पर अश्लील और हास्यास्पद कमेन्ट करते है, इन नालायकों को शर्म भी नहीं आती क्योकि इनकी औलादें तो विदेशों में बस गई और इनके नेट और फोन के रिचार्ज करती रहती है और ये यहाँ छिछोरी हरकतें कर रहें है ........... [ एक महिला कवि की पीड़ा - जो एक केंद्रीय विवि से शोध कर रही है, जिससे मै एकदम सहमत

Rakhi, Khari Khari, Kuchh Rang Pyar ke , Man Ko Chiththi and other Posts from 11 to 19 August 2024

"फूलों का तारो का सबका कहना है एक हजारों में मेरी बहना है" बहुत साल (2011) पहले मैंने लिखा था कि अब यानी 21 वीं सदी में राखी महिलाओं को कमज़ोर करने वाला त्योहार है, तब योजना आयोग में था और सीहोर में पोस्टिंग था, तत्कालीन मुख्यमंत्री के जिले में तो वहां के एक धंधेबाज प्रकाशक और सतनारायण की पूजा करने वाले प्रगतिशील ने बहस की और असहमत कह कर ब्लॉक कर दिया था मेरी बहनें आज डॉक्टर है बड़ी बड़ी, ऊंचे पदों पर काबिज है, ब्यूरोक्रेट्स है , पुलिस में है, जज है, वकील और इंजीनियर्स है, दिल्ली, मुंबई, पूना या जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका में रहती है - साल में सौ दफा वे ही मेरी रक्षा करती है - मैं एक धागे की रस्म निभाकर गरीब आदमी हजार दो हजार देकर क्या तो उनकी मदद करूँगा या रक्षा मतलब अब सब जब बदल गया है तो क्या सच में महिलाओं को रक्षा की जरूरत है इस सशक्तिकरण के दौर में, यहाँ रक्षा का अर्थ पहलवानी और शारीरिक सौष्ठव आदि के सन्दर्भ में ना देखें या शादी ब्याह, छेड़छाड़ से ना आंकें शहरी ग्रामीण दोनो सन्दर्भों में कह रहा हूँ, मिलो - जुलो, मौज मस्ती करो, रिश्ते निभाओ पर कम से कम ये रक्षा आदि का कवच

Khari Khari, Drisht Kavi and other posts from 8 to 9 August 2024

तार्किक रूप से कमजोर और विशुद्ध ठरकी किस्म का सभापति आज तक नही देखा जो कह रहा है - "an actor is subject to director", वह यह भूल गया कि वह खुद अपने दो आकाओं और दो A -1, A - 2 की कठपुतली है क्या लोकसभा और क्या राज्यसभा दोनो जगह अध्यक्षों को समझ नही आ रहा कि सदन कैसे चलायें, बौरा गए है दोनों, क्योंकि आका कुछ और कहते है और सदस्यगण तर्क और तथ्यों से निरुत्तर कर दे रहें है, सिवाय दादागिरी और बैठक स्थगित करने के और कुछ कर भी नही कर सकते, ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे बर्खास्त कर देंगे ये जया बच्चन की या किसी राहुल की क्या बराबरी करेंगे, जया विदुषी है उसने बड़ी दुनिया देखी है, ऐसे कूप मण्डूक राजनीतिज्ञ जो मोहल्लों की टुच्ची राजनीति करने वाले, नगर निगमों में टेंडर पास करवाने वाले क्या समझेंगे तर्क,आंकड़ें, जेंडर, बहस, सार्थक चर्चा या लोकतंत्र, दस साल में इन्हें तानाशाह के आदेश मानने और तार्किक ढंग से बोलने वाले को बर्खास्त करने की अक्ल है बस और इनकी समझ भी वही तक जाती है, ये भूल जाते है कि पितृसत्ता अब नही चलेगी - सदन में जया हो या महुआ माझी, राहुल या अखिलेश, ऐसे लोग है जो इनके षडयंत्र औ