खुद को सज़ा मत दो, शायद हम जिंदगी के इशारों पर नाचने के लिए बने हैं - कठपुतली की तरह और इस सफ़र में हमें खुद के ही साथ की ज़रूरत है, हम भले ही जीवन भर सुख में जीते रहें हो, नफ़रत की जेल में रहे हो या पछतावे की पीड़ा से वाबस्ता रहे - सबको अपनी सज़ा भुगतनी ही पड़ती है और खुद का साथ हमें अंत में मुक्त करेगा #मन_को_चिट्ठी *** यूँ तो यह बात सही है कि हमारी प्रसन्नता और दुख हमारे अपने हाथ में है और किसी और को ना हमें देना चाहिये - ना ही किसी से बाँटने की ज़रूरत है पर हम सब मनुष्य है और किसी ना किसी तरह से इस मायावी झँझट में फँस ही जाते है अपेक्षा, उपेक्षा, मूर्खों की तानाशाही, अयोग्य लोगों का सत्ता पर काबिज़ होना, अनपढ़ों एवं कुपढ़ों का बढ़ता साम्राज्य, प्रेम और वासना जनित दुष्चक्र, लगातार बदलते स्वार्थी रिश्ते, घटिया किस्म की ओछी राजनीति, अपनी लाईन बड़ी करने के बजाय दूसरों को नीचा दिखाकर खुद को बेहतर साबित करने की गलाकाट होड़ और लगातार स्तरहीन होते जा रहें संवाद हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देते है, सबसे दुखद यह है कि जिन मूल्यों या जीवन मूल्यों की बात करते है वे इनके भीतर तो निश्चित रूप से कही नज़र नह...
The World I See Everyday & What I Think About It...