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Posts from 1 to 3 June 2024

ज़िंदगी त्रिभुज के चौथे कोण को खोजने, पाने और भोगने का नाम है बशर्ते आपको इस जीवनावधि में त्रिभुज की एक भुजा भी हासिल हो जाये
हम छाँह खोजते हुए धूप को पाते है, शाम की स्निग्ध आभा के बजाय रश्मि किरणों का सानिध्य और हँसी के बजाय अवसाद पा लेते है, जीवन आरम्भ में ज़रूर सरल और सहज लगता है पर ज्यों-ज्यों प्रारब्ध की ओर बढ़ते है हम कठिनतम की ओर अग्रसर होने लगते है
इस सबके बाद भी मन चंचल है जीवन के पूर्वार्ध को याद करके उत्तरार्ध में फिर से सक्रिय हो उठता है, नित नये जोख़िम और अनुप्रयोग करने को तत्पर रहता है, और यही अदम्य साहस और तमाम विपरीत परिस्थितियों में जीते जाने की कला को शाश्वत रखते हुए मौत को छकाता रहता है
एक दिन तेज आँच में जल रहा सूरज भी भक्क़ से बुझ जायेगा और हम सब इसका अंत देखते रह जायेंगे
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राजतिलक की करो तैयारी
महामहिम, सुल्तान-ए-हिन्द, हिन्दू सम्राट, विश्वनायक, धनदेवता कुबेर,धीर गम्भीर गुरुवर बृहस्पति, अखंड ब्रहांड नायक और ज्ञान विज्ञान के देवता, और साक्षात गंगा पुत्र महाधिराज पधार रहें हैं, दो बार की भाजपा सरकार और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सहयोग से बनी सरकार को पदच्युत कर परम पूज्य श्री श्री 1008 नरेंद्र मोदी पधार रहें हैं
ध्यान रहें अगले पाँच वर्ष यह सिर्फ़ और सिर्फ़ नरेंद्र मोदी सरकार होगी - अहं ब्रह्मास्मि दूजो ना भवो
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[ जिसके कारण ऐरे गैरे नत्थू ढेरे भी जीत रहें - उसका स्वागत बनता है भाई ]
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गुजरात का अमूल दूध आज से दो रुपया प्रति लीटर महंगा हो गया है
5 जून से गैस रिफील, पेट्रोल, डीज़ल, तेल और दालें आदि सब भयानक महंगा होगा
बधाई हो देशवासियों, उन लाड़ली बहनों और महिलाओं को विशेष बधाई जो चीख-चीखकर कह रही थी कि "वो बाप है, वो पति भी है, वो भगवान है"
मीडिया से अनुरोध है कि अब इनकी बाईट्स ना लें और ना ही पेट्रोल पंप के सामने खड़े होकर किसी आम आदमी की भी
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बुलाओ मैथिली को, वन्दनवार सजाओ और गाओ
"राम आएंगे , राम आएंगे"

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आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

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