फ्रेंड रिक्वेस्ट आने पर ये ध्यान रखें -
◆ न्यूनतम 20 फ्रेंड्स कॉमन हो तभी स्वीकारें
◆ सिर्फ़ और सिर्फ़ बन्दा या बंदी दूसरे के पोस्ट शेयर करें तो दुत्कार दें
◆ कविता, कहानी और सड़ानीरा या हिंदवी टाईप घटिया पोर्टल के पोस्ट शेयर करता हो तो भी निपटा दें
◆ नैतिकता का ज्ञान परोसने वाले केवि और नवोदय के हरामखोर पीजीटीज़ से सावधान रहें - ये सेटिंगबाज लोग साहित्य, कला, राजनीति, भोजन, जेंडर, कथेतर और जाति की बात का ढोंग ही इसलिये करते है कि इनकी बीबियों के कार्य स्थलों पर इनके ट्रांसफर होते रहें, यदि ये आप नही करवा सकते तो ये हद के बाहर जाकर बदतमीजी करेंगे एक दिन और ये नाग आपके पिलाये दूध के बदले जहर देंगे समाज को
◆ हर रविवार या रैदास से लेकर नत्थूलाल जयंती पर दुनियाभर के थकेले, अकेले, दारूबाज, निहत्थे और घटिया कवियों को जबरन तोककर अपने मुहल्ले में बुलाकर कार्यक्रम करने वाले चंदेबाज और धंधेबाज लोगों को भी घास ना डालें - ये आपको बुला- बुलाकर घेरकर कविता - कहानी - उपन्यास या आलोचना सुनाकर मार डालेंगे और आपकी सारी छुट्टियाँ हजम कर जायेंगे
◆ चर्चित नंग - धड़ंग फोटो चैंपने वाले फर्जी युवा कवियों, विवि के मक्कार माड़साब लोग्स या महाविद्यालय के स्त्रैण कवियों का दीवाना दीवानी या बंधुआ हो तो चार गाली देकर भगा दें
◆ हिंदी का शोधार्थी हो तो बिल्कुल घास ना डालें - अपने गाइड की टट्टी पेशाब परोसता रहेगा और आपको टैग करता रहेगा, किसी काली - पीली लड़की के साथ हमेंशा हर कार्यक्रम में खासकरके रज़ा टाईप अमरबेल से पलते छर्रों में अभद्र ढंग से खड़ा / खड़ी होकर फोटू हिंचकर आपका जीवन नरक बना देगा और जब लड़की बिहार या यूपी के कॉलेज में मास्टर लग जायेगी तो ये आत्महत्या के गीत गायेगा कि "कॉलेज में पढ़ाती माशूका लड़की का चेहरा फटे बटुए से निकले होली के रंग लगे नोट सा दिखता है"
◆ किसी ब्यूरोक्रेट का चाटुकार हो तो बिल्कुल भी ना देखे, आपका जीवन नरक बना देगा और आपको उसके दरबार में जाकर खड़ा करवा कर जपनाम में शुद्धिकरण करवा देगा स्साला
◆ महिला कवयित्री हो तो सोच समझकर ही स्वीकार करें, किसी मक्कार फौजी या ठुल्ले को ले आयेगी बात - बात में या किसी रिटायर्ड दिल्ली के पत्रकार को जिसके घर जाकर बैठ गई होगी बुढापे में
◆ किसी विवि में शोधरत होगी तो जेंडर की डाबर घुट्टी पीकर बैठी होगी और अपने फ्रस्ट्रेटेड बेरोजगार प्रेमी का बदला आपसे लेगी और आपका जीवन नरक बना देगी
◆ जेंडर पर बात करने वाली उन्मुक्त और वर्जनाओं से मुक्त , दो - तीन तलाक लेकर बैठी सबला नारी किसी भयानक जातिवादी, धार्मिक, पुरुष प्रधान घटिया माचो मेन टाईप सिकड़े से आदमी से तीसरी - चौथी शादी करके आपको समता का पाठ पढ़ाएगी - बेहतर है उसे ब्लॉक कर दो, कॉपी पेस्ट ज्ञान चेट जीपीटी से ले लेना इसका कूड़ा पढ़ने से वो बेहतर ही होगा, सारी नारीवादी कुख्यात अंततः पतिव्रता बनकर सास ससुर की सेवा वाले फोटू डालकर अमर होती है और सुहागन का ढोंग करती है
◆ बेरोजगार लड़के आपसे रिक्वेस्ट स्वीकारने के अगले पल से उधार माँगकर जान हलकान कर देंगे, सो समझकर स्वीकारें
◆ किरान्तिकारी कॉमरेड सुविधाओं में रहकर फैंटेसी बुनते हुए, काजू खाते हुए, शिमला, मसूरी या पहाड़ घूमते हुए आपको दलित और वंचितों के लिये जीने की सलाह देते रहेंगे सो बचकर रहना
◆ आधुनिक गजेट्स लेकर साल में 300 दिन हवाई अड्डों से यात्रा विवरण के सूक्ष्म विवरण देते कामरेड्स, पत्रकार और ब्यूरोक्रेट्स से सावधान रहना - ये दोस्त नही - फालोवर बनाते है, नीर निराले शौक और शोक है इनके आपको भी ट्रेप में न ले लें कहीं
◆ घर बैठी गैंग वार की उस्ताद "अंजू, मंजू, अनिता, सुनीता, अल्पना, कल्पना, अनुपमा, सीता, गीता, आरती, भारती, आया, माया, छाया" आदि के चक्कर में तो पड़ना ही मत - इससे बेहतर है मर जाना, पर दोस्त मत बनाना, ये शैतान की खालाएँ है जो रोज नया दोजख रचती है
◆ फेलोशिपजीवी या मानदेय प्रेमी साहित्यकार हो तो बिल्कुल मत एड करना - वरना रोज अशोक वाजपेयी टाईप कवियों के परोसे विषयों पर आपसे सामग्री मांगता रहेगा और फिर किसी कार्यक्रम में जाकर आपका दिया कॉपी - पेस्ट मटेरियल पेल आएगा या अल्मोड़ा - नैनीताल में जाकर चिरौरी करेगा कि "यही किसी कालेज में एडहॉक लगवा दो, ब्याह नही हो रहा मेरा"
◆ किसी तबलची, पेटी या शहनाई बजाने वाले को तो एड करने की सोचना ही मत - रोज आत्ममुग्धता के फेब इंडिया वाले झब्बे पहनकर अपने कालू, मोती, शेरू, चेरी, सोनिया, झबरीली या कामधेनु टाईप गायिकाओं के कार्यक्रम में "आज साथ बजा रियाँ" टाईप पोस्ट में टैग कर आपको तिर्पट घराने का बेसुरा गायक बना देगा
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इस किताब में विनय की लम्बी यात्रा से जुड़े लोग, माँ, पिता, भाई, गीता और बेटे के साथ दोस्तों की फ़ौज एवं हम सब है जो उसकी एक लम्बी यात्रा और जिद के साक्षी रहें है, एक अहोभाव से विनय लम्बे समय तक सँग्रह लाने से टालता रहा, फिर किसी और प्रकाशक के पास से सँग्रह छपने वाला था, अपुन ने बुढ़ापे और बड़े होने का फायदा उठाया - डाँटा तो रूक गया और फिर आख़िर राजकमल से यह सँग्रह आ ही गया, अब सुना कि दिल्ली के किसी मेले में प्रदर्शित है और बिक भी रहा है
अभी हाथ आया नही है, पर विश्वास है कि इसमें शायद ही कोई कविता होगी जो ना पढ़ी हो या जिसके पहले ड्राफ्ट का पाठक नही रहा हूँ, मन है कि इस सँग्रह को हाथ में लेते हुए यह कहना है कि "कविता सँग्रह को बख्तियारपुर की तरह मुलायम, संवेदनशील और कवितामयी होना चाहिये", इसकी ताज़ी खुशबू सूंघना है और जिल्द में बन्द कविताओं की रोशनी में फिर से कविता का ककहरा पढ़ना है
जियो और खूब लिखो , हम सब संग साथ ही बोले तो दुश्मनों की फ़ौज
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Smita Vajpayee , मैं, Avinash Das , Bahadur Patel , Satya Patel , Geeta Kumari, Vasu Gandharv , Anand Bahadur , अभिनव और वे सभी जिनके होने से तुम हो और तुम्हारे होने से वो सब - हिंदी भी आख़िर कब तक अपने कवि को रोक सकती थी
पियार और दुलार
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