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Khari Khari and posts from 24 to 30 Nov 2020

 दुनिया में शायद कोई मुल्क होगा जहाँ गृह मंत्री जैसा जिम्मेदार महत्वपूर्ण पद पर बैठा व्यक्ति स्थानीय निकाय के चुनाव में प्रचार करने पूरे दो तीन दिन लगाता है, और तिस पर किसानों को ब्रह्मज्ञान कि ये शर्तें मानो तब बात करेंगे

भगवान करें अगली बार पंचायत और नगर पालिका के चुनाव में , गली मोहल्ले के गणेश उत्सवों, पानी समितियों, रोटरी और लायंस क्लब, महिलाओं की बीसी पार्टी, स्व सहायता समूह के निकायों में भी यह चुनाव जिताऊ मंत्री जगह जगह पहुँचे
स्कूल चल्लू हो जाये तो कक्षा तीसरी में कक्षा प्रतिनिधि का भी चुनाव है - सोच रहा हूँ कि बड़े भाई को बुलवा लूँ परचार करने
काम ना धाम, जय श्री राम
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यस मिनिस्टर
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एक ब्रिटिश सीरियल याद है आपको बहुत पहले दूरदर्शन पर आता था Yes Minister - इस सरकार में विधायिका तो मूर्ख है ही, बल्कि हमेंशा से ही रही है पर अखिल भारतीय स्तर से चयनित होकर आए कार्यपालिका के अधिकारियों ने तलवे चाटने की हदें पार कर दी
कलेक्टर और एसपी ने सड़कें तोड़ दी और गढ्ढे बना दिये, ये बेवकूफ कल रेलवे के पुल भी तोड़ देंगे या मेट्रो के लिए बने फ्लाय ओव्हर नुमा ब्रिज भी कि लोग विरोध करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग ना करें
किस देश के इतिहास या वर्तमान में इतने मूर्ख ब्यूरोक्रेट्स होंगे और कम अक्ल लोग जिन्हें यह नही मालूम कि यह जनता का पैसा है जो ये तहस नहस करके मनमर्जी से बर्बाद कर रहें हैं
अजीब फैशन बन गया है इस सरकार में कि कोई विरोध के लिए आगे बढ़े तो सड़क तोड़कर गढ्ढे बना दो, मतलब बेवकूफी की हद पार गए है ये तथाकथित प्रशासनिक और पुलिस सेवा के गोबर गणेश
मेरा मानना है कि इनके ख़िलाफ़ पब्लिक फंड से बने आधारभूत ढाँचों को तोड़ने और जन सुविधाओं को नष्ट करने का सीधा आपराधिक मुकदमा बनता है
ये अक्ल हिटलर या किसी और तानाशाह को होती तो गैस चेम्बर बनाना ही नही पड़ते पर ये भी करें क्या सुझाव और निर्देश तो ऊपर से ही मिलें है ना जैसाकि वे बता रहें है चैनल्स पर और ऊपर मतलब एंटायर पॉलिटिक्स की डिग्रियाँ है
सातवाँ साल है और एक भी वर्ग ख़ुश हो, एक भी निर्णय सही हुआ हो या एक भी काम ढंग का किया हो तो बोलो - बस भक्तों की सुन लो वे तो महामात्य की गंदगी में हलुआ खोजकर खा लेते है और ख़ुश हो लेते है
अब भी कायम हूँ कि मजदूर और किसानों से कोई सहानुभूति नही है, इन गंवारों और अवसर वादियों ने ही गधों को बाप बनाया है मसलन अभी मप्र के उप चुनावों में बिके हुए विधायकों को पुनः जितवाकर गद्दी दे दी, बिहार में कुशासन को जिताया और अब बंगाल में फिर 200 सीट का ख्वाब देख रही भाजपा को जिताएंगे - इन्हें तो गोलियों से भुनना चाहिये जो अपनी वृद्ध माँ और नौनिहालों को लेकर आ गए है कमबख्त
एक चुने हुए प्रधानमंत्री को उसके ही देश के लोग जिस अंदाज में गालियां दे रहें हैं गृह मंत्री को गलिया रहें हैं वह दुखद है, कैसे हम किशोरों और बच्चों को आदर्श बताएंगे
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निकम्मे, गैर जवाबदेह और लापरवाह विपक्ष के कारण अब लोगों को ही विपक्ष बनना होगा, याद रखिये बहुत जल्दी कार्यपालिका, न्यायपालिका के लोग प्रदर्शन और विरोध करेंगे - जिसमें सबसे ज़्यादा पुलिस, सेना और अर्ध सुरक्षा बल सड़कों पर होंगे इस सरकार के ख़िलाफ़
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ये किसकी माँ है - भारत माता तो नही
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माँ की छबि दिखती है - देवास से लेकर अहमदाबाद तक की सभी माँओ की, पर शासक अंधा हो जाये किसी कारपोरेट की ग़ुलामी में, धन के लालच में तो कुछ भी नहीं दिखाई देता
इस देश से, सत्ता से और सरकार से शर्म ख़त्म हो चुकी है, जब मई जून की चिलचिलाती धूप में माँ - बहनें सड़को पर चली, बच्चों को जन्म दिया सड़कों पर, ये ही सद्य प्रसूताएँ सड़कों पर हजार किलोमीटर चली तो सरकार को झिझक भी नही हुई थी तो अभी मौसम बहुत ही बढ़िया है - सुना है ये लोग अपना खाना,अनाज पोटली में बांधकर भी लाये है तो किस बात की चिंता
काश कि ढेर कैमरामैन के साथ कोई इसे भी कव्हर करता बरामदे में झूले पर बैठकर
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देश को किसान मजदूर नही चाहिये
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सबसे बड़ा अपराध है इस समय किसान और मजदूर होना - निरंकुश और अत्याचारी राज में
रुकिये
मुझे इन दोनों से अब कोई न हमदर्दी है ना सहानुभूति - ये वही लोग है जो झांसाराम के झांसे में आकर बार बार उसी को, उसी के मोहरों को और उसी के प्रचण्ड राष्ट्रवाद के नारे को बुलंद करते है
सड़कों पर पैदल चलने दो, मार खाने दो, जेल में सड़ने दो, पानी की बौछार पड़ने दो, और वह सब कुछ होने दो जो इतिहास में कभी ना हुआ हो, हिटलर ने ना किया हो क्योंकि ये लोग इसी लायक है
इन्हें ज्ञान दो तो शेखी बघारते है, इन्हें सब मुफ्त चाहिए, इन्हें ढेर सब्सीडी चाहिये, इन्हें नुकसान का बीमा चाहिये भले ही बीस रुपया मिलें, ये धूप में खड़े रहेंगे, पँक्ति में मरेंगे नोटबन्दी के दौरान पर गुणगान उसी का करेंगे जो इनका दुश्मन है
इन्हीं को मुफ्त राशन, कपड़े, किताब, मध्यान्ह भोजन, पोषाहार, सायकिल से लेकर कन्यादान, प्रसूति लाभ, मजदूरी का ग्यारण्टेड कानून, मुफ्त स्वास्थ्य की सुविधाएं चाहिये और भारत की एकता ,अखण्डता और बंधुता के लिए ये लोग पाकिस्तान, चीन और फर्जी सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर ताली बजाते है, वाट्सअप विवि के वीडियो देखकर खुश होते है और रायता फैलाते है
आज इन्हें पानी की बौछार मिल रही है, जूते और लाठी सहित अश्रु गैस के गोले मिल रहे हैं - मैं तो कहता हूँ और दुआ करता हूँ कि गोलियाँ मिलें जोरदार - नही चाहिये गेहूं, दाल - चावल, हम पित्ज़ा खा लेंगे - डबलरोटी खा लेंगे, पर इन्हें भावान्तर जैसी फर्जी लोक लुभावन वाले किसान पुत्र ही मिलना चाहिये
अब बहुत हुआ, कभी इनकम टैक्स नही दिया, और गरीबी की आड़ में इनकी औलादें बुलेट पर घूमती रही, हर गांव में चौपहिया की खरीद रेकॉर्ड तोड़ रही होली - दीवाली के बाद, तो फिर काहे की मिनिमम सपोर्ट प्राइज - बड़े हो या सीमांत किसान, स्थाई मजदूर हो या दिहाड़ी या बंधुआ, इन्ही ने बिके हुए विधायकों को फिर जीताया है - सो ये इससे ज्यादा अत्याचार डिजर्व करते है - ये सब तो कम है
इन्हें हिन्दू राष्ट्र बनाना है , इन्हें सौ जूते खाने है पर इसी सरकार को हर बार जिताना है - तो भुगतो और ख़ुश रहने दो, ये ही लोग जमीन पर कब्जा करके पहाड़, जल, जंगल, जमीन और खेत बेचेंगे अडानी अम्बानी को जिंदल को और मुआवजे में दस रुपये का चेक लेंगे - अभी तो तमिलनाडु वाले दिल्ली घूमने आए थे चूहे खाने और पेशाब पीने का नाटक किया था, फिर आ गए ससुरे हरियाणा - पंजाब से आज फिर
मैं सरकार के साथ हूँ और इन किसानों और मजदूरों के सख्त ख़िलाफ़ हूँ जो जबरन आत्महत्या करते है अपने निजी कारणों से और सरकार को बदनाम करते है , महानगरों को गन्दा करते है चाहे जब घुसकर
किसान - मजदूर नए युग में इससे ज़्यादा सज़ा डिज़र्व करते है - सुन रहे हो योगेंद्र यादव और देश के पक्ष - विपक्ष और बोलो पप्पू और बोलो कुछ कुछ, अभी बंगाल में भी ये ही लोग फिर जितवायेंगे जैसे बिहार के मजदूरों ने किया, इन दलित - गरीब और मौकापरस्त अवसरवादियों के साथ कुछ भी हो किसी को फर्क नही पड़ रहा,दो चार दिन में डंडे खाकर फिर लौट जाएंगे जय जय सियाराम के नारे लगाते हुए और योगेंद्र यादव जैसे को फिर छह माह की दाड़की मिल जायेगी - मेरा बस चलता तो .... खैर
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संविधान दिवस की बधाई
और दो चार साल दुहाई दे लो, जप लो , सुप्रीम कोर्ट में चिल्ला लो पन्ने दिखाकर - फिर तो सब बर्बाद होना ही है और वैसे भी बचा क्या है
यकीन ना हो तो एकाध अठन्नी छाप या दो हजारी नोट वाले वकील से पूछकर देख लो , लॉ पढ़ाने वाले मास्टरों का स्तर देख लो या किसी तहसील में सिविल जज के ठाठ देख लो - फिर कहना न्याय, संविधान और लम्बी लम्बी बहसें, उन 299 मृतात्माओं के आर्तनाद सुनना - जिन्होंने 2 साल , 11महीने और 18 दिन एक करके 166 बैठकों में इसे एक किताब का आकार दिया, और 26 नवम्बर 1949 को पूर्ण किया, यह 26 जनवरी 1950 लागू किया गया संविधानिक देश बचा ही नही है अब, अंबडेकर की आत्मा को झकझोर कर पूछ लेना कि कैसा लग रहा है हिंदुस्तान अब
बहरहाल, बुद्धि विलास की रोटी खाने वालों को मुबारकां - टेंशन नई लेने का - सब ठीक होगा, हिन्दू राष्ट्र में सब होगा, एकदम झकास बोले तो
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मैराडोना
यूँही चले गए एक झटके में
बहुत ही दुखद, इस आदमी ने फुटबाल से प्यार करना सीखाया और इसे खेलते देखकर ही लगभग संग संग बड़े हुए, देर रात तक जागकर गति, साहस के साथ विपरीत परिस्थिति में गोल दागना टीम को साथ रखकर और जीतना - यह हुनर तुमसे ही सीखा था , अब विश्व कप का रोमांच ना रहेगा कभी
ओम शांति
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ढोल, बैंड और पटाखे चलाने वालों ने जीवन बर्बाद कर रखा है आज पूरे दिन भर से
और अब ये नाटक रोज़ चलेगा - बारातियों की उद्दंडता और धींगा मस्ती
बैंड, ढोल, ताशे और डीजे वालों पर रोक लगना ही चाहिये, इस सबके लिए आवाज यानी डेसिबल तय हो, समय तय हो और हर दो मिनिट बाद रुककर भौंडे नाच की इजाजत ना हो समय सीमा का उल्लंघन करने पर उपकरण जप्त कर लिए जाए , ढोल - ताशे और बैंड वालो की संख्या तय हो
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कभी शादी में
पहली पत्रिका
भगवान को रखते थे...
अब,
कलेक्टर को रखनी पड रही है...
जय कोरोना
.सभी कुँवारो को देवउठनी ग्यारस की बधाई और दुआएँ कि अबकी बार सरकार बन ही जाये आपकी
उम्मीद पर दुनिया कायम है, अपने माँ -बाप को बोलो सस्ते में निपटा दोगे अभी सब दहशत में है तो निपट लो
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