परीक्षा है कल से 27 तक LLB अर्थात लॉ के चौथे सेमिस्टर की , घर पर ही नकल करके लिखना है means On Line Exams , पर 5 पेपर 25 प्रश्न और दो सौ पन्ने कम से कम - ऊपर से हाथ से लिखना है - मरण ही मरण है कुल मिलाकर
मार्कवा उर्फ़ जुकरबर्गवा से सेबा में भोत ही ज़्यादा नरम निवेदन कि चार दिन का आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करें
जै राम जी की मित्रों
परीक्षा और कोरोना से बचें तो 28 को इंशा अल्लाह मुकालात होगी ही
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"तुमने इस तालाब में रोहू पकड़ने के लिए
छोटी-छोटी मछलियां चारा समझ कर फेंक दी"
- दुष्यंत कुमार
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हे भारतीय किसान, ले लो ₹ 2000/- महीना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का अपनी प्रिय सरकार से, एक साल मजे लिए सम्मान निधि के
अब चलाना इसी ₹ 2000 /- से अपना जीवन और सब सपने कर लेना पूरे, शादी ब्याह, इलाज, खेती बाड़ी और ऐश से जीना ज़िंदगी - अरे ओ सांबा कितना खर्च आता है मरने के पहले दिन और नुक्ते का
धोती और पगड़ी - जरा देखो कहां है अपनी - शेष है या खींचकर ले गई है तुम्हारी सरकार
और बनाओ सरकार
मजदूरों आज से देश में तुम भी महान हो गए , बिल पास हो गया तुम्हारे भी "फेवर" में
जियो हो लल्ला , अभी 2020 के 3 माह और 2024 तक 4 पूरे साल बाकी है - सुनारों, बनियों, फेक्ट्री वालों और बाकी सब व्यापारियों तुम ख़ुश मत होवो ज़्यादा -झुमके गाओ सबका टाईम आएगा और बहुत जल्दी आएगा
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निजी विद्यालय के हक में एक अपील
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निजी विद्यालय फीस ले रहे है, ये कर रहें - वो कर रहे - बहुत दिनों से आये सुन रहा हूँ तो क्या वहां का स्टाफ मर जाये,आत्महत्या कर लें
एक रिटायर्ड प्रोफेसर से अभी बहुत झगड़ा हुआ जिसकी पेंशन लगभग ₹ 70000 - 75000 प्रति माह हैं, कह रहा था "मैं अपने नाती पोतों की फीस नहीं दूंगा निजी विद्यालय शोषण कर रहे हैं जब बच्चे स्कूल नहीं जा रहे तो फिर काहे की फीस" तो मैंने कहा कि आप पिछले 22 वर्षों से कुछ नहीं कर रहे तो पेंशन किस बात की, 30 - 35 साला आपने नौकरी की, उसके बदले में आपको तनख्वाह, छुट्टी, घर भाड़ा, महंगाई भत्ता, मेडिकल, प्रसूति अवकाश, क्वार्टर, सुविधाएं आदि सब मिला - अब आप को मरने तक पेंशन क्यों चाहिए और आप मर गए तो उसके बाद आपकी बीवी को क्यों देना चाहिए पेंशन तो गुस्से में फोन पटक दिया - यह हालत है इन पढ़े लिखे गंवारों की
अरे सरकारी मास्टरों और कर्मचारियों - खासकरके मास्टरों - तुम लोग 73 साल से मक्कारी और कामचोरी नही करते तो ये स्कूल खुलते ही क्यो - पिछले मार्च से घर बैठकर 5 अंकों में तनख्वाह खा रहे हो घर बैठे (काम तो अभी शुरू हुआ है बहाने मत बनाना ) किसी को एक दाना गेहूं का दिया तो बोलो, बकवास जमाने भर की करवा लो तुमसे - फर्जी ज्ञानी कही के
जब तुम काम पर नही जा रहे तो तनख्वाह किस मुंह से ले रहे हो - शर्म करो थोड़ी, अपने बच्चों को क्यों निजी अंग्रेजी माध्यम में पढ़ा रहे हो, उनकी फीस तो भरो तुम कम से कम - तुम्हे तो हर माह तनख्वाह मिल रही है, मरने तक पेंशन डकारने वालों, मरने के बाद बीबी या पति को पेंशन सौंपकर जाने वालों कितने गलीज़ हो तुम लोग - गरीब मजदूरों की आड़ में तुम भी फीस नही दे रहें हो - धिक्कार है तुम पर
और जो रिटायर्ड कर्मचारी निजी स्कूलों के खिलाफ घड़े फोड़ रहें है वे अपनी पेंशन से दस बच्चों की फीस ही भर दें -कब तक निकम्मी औलादों के लिए तिल तिल इकठ्ठा करते रहोगे और औलादों की शादी ब्याह के डीजे के लिए बचाओगे या फिर पेंशन छोड़ दो अब मरने तक; जीपीएफ से लेकर ग्रेज्युटी तक मिलाकर बीस पच्चीस लाख तो एक मुश्त झटक ही लेते हो विदाई पर - उसका ब्याज और मुद्दल खाओ अब - फिर भी इतने ओछे हो गए कि तुम्हे फीस माफी चाहिये - कुछ शर्म बाकी है या बेच दी बुढापे में
निजी विद्यालयों की बदौलत ही तुम्हारी शंख बुद्धि औलादें लिखना पढ़ना सीखी है और आज वर्क फ्रॉम होम कर पा रही है वरना तुमसे पढ़ती तो सड़कों पर पलायन से लौट रहे मजदूरों की भीड़ में रहती
उन शिक्षकों का सोचो जो तुमसे ज़्यादा मेहनत करते है और इस समय मर रहें है 7 माह से वेतन नही , उनके भी बूढ़े माँ बाप है और बच्चे दूध के लिए बिलख रहें है, वे भी स्वस्थ रहना चाहते है सम्मानित और गरिमामयी जीवन जीना उनका भी अधिकार है इस देश में - कभी झाँककर देखो उनके घरों में कितने हैदस में है वो
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नोटबन्दी
जीएसटी
370
तीन तलाक
NRC, CAA
मोब लिंचिंग
हिन्दू मुस्लिम
रोहिंग्या मुसलमान
अयोध्या
रेल बेचो
हवाई अड्डे बेचो
बीएसएनएल बेचो
शिक्षा कबाड़ा
मीडिया दलाल बनाओ
लॉक डाउन और
कोरोना की भारी असफलता के बाद प्रस्तुत है भाइयों बहनों, ऐतिहासिक शानदार "देश बर्बाद श्रृंखला" में दो नायकों द्वारा रचित अगला रंगारंग कार्यक्रम
कृषि बिल
जिसमे आपको रबी - खरीफ की फसलों का भेद भूलकर सिर्फ कार्पोरेट्स की सेवा करनी है
इस कार्यक्रम के प्रायोजक है - अम्बानी, अडानी एवं पूरे शोषक वर्ग के अट्टाहास करने वाले प्रतिनिधि जो सरकार नामक जंतु को जेब में धरे घूमते है
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