कल रंग है री !
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युवा मित्रों, छात्रों, कलम के मज़दूरों, मेरे जैसे हम्मालों
कल एक सुहाना दिन है, और मेरा जन्म दिन सो आपका जन्म दिन का रिटर्न गिफ्ट लेने का मौलिक अधिकार है
कल इतना हल्ला करो कि देश में कभी ना हुआ हो - मेरे जैसे एक व्यक्ति ने देश को बर्बाद कर दिया है - मुझसे सीधा इस्तीफ़ा मांगो और कोई तरीका ही शेष नही अब
देश की सीमाओं से लेकर खेत की ज़मीन तक, स्कूल आँगन वाड़ी से लेकर अस्पताल के गलियारों, सेना के दफ़्तरों से लेकर राशन की दुकानों में घपले है - जाति से लेकर प्रशासन तक में फुट डाल रखी है ,अदालतों से लेकर शौचालयों तक बदबू और सड़ांध है
मुहल्ले के आवारा कुत्तों से लेकर ऐरे गैरे सूअरों का ख़ौफ़ है - भावनाओं से लेकर संविधान बदलने की घटिया कोशिशें हो रही है, कानूनों के नाम पर उच्च स्तर की तानाशाही थोपने की होड़ मची है, राज्यों के मुख्यमंत्री राष्ट्रपति से बड़े हो रहें हैं और अपनी हदें पार कर रहें हैं, मंत्री,राज्यपाल और पुलिस संविधानिक मर्यादाएं तोड़कर अपनी मर्जी से प्रदेश चला रहे है
युवाओं को झंडे डंडे देकर रैलियो में हांक दिया और जब रोज़गार मांगा तो रासुका में बन्द करके देशद्रोही बताया जा रहा है, बुद्धिजीवियों को जेलों के बन्द करके अपने पाप ढाँकने की कोशिश की जा रही है
किसान, मजदूर, ठेकेदार, वैज्ञानिक, जनता, व्यापारी, बच्चे, बूढ़े, महिलाएँ , वकील सब सड़क पर है और फिर भी नौटँकिया खत्म नही हो रही किसी की -डॉक्टर्स, नर्स से लेकर गांव के कोटवार भी आहत है और मर रहें है, लोगों ने हताहत होकर आत्महत्या के नए रिकॉर्ड बना दिये है फिर भी असर नही हो रहा इस ट्वीटर संस्कृति पर -आत्म मुग्धता की हद है मेरी
कल धूमधाम से दिवस मनाओ और खूब पीटो थाली, ढोल, ताशे, झाँझ मजीरे और बैंड बाजे इतने कि नीरो की बांसुरी मन्द पड़ जाएं और लगाओ नारे, आवाज बुलंद करो
ज़िंदाबाद
लड़ेंगे जीतेंगे
आमीन ❤️💖❤️
#खरी_खरी
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कोरोना कब जाएगा, पूरा श्राद्ध पक्ष निपट गया, किसी ने नही बुलाया भोजन को
आज भी खीर के दर्शन को तरस रहा हूँ जबकि आज तो पूरे खानदान को निपटाते है
सुबु सुबु पड़ोसी सूखे चावल और दूध का पाउडर दे गया बोला 'बनाकर पी लेना' और तीन रुपये नगद दिए बोला 'इसके मेवे खरीद कर डाल लेना आँगन वाड़ी में भी इतना ही बजट होता है' - गुटखा मत खा लेना , नही तो पाप लगेगा
#दृष्ट_कवि - ब्राह्मण की पीड़ा
[ बड़े भाई पंडित Durgesh Nandan Sharma जी का आभार जो बाकी शीदा दे गए आटा, दाल, कीड़े पड़े हुए पौना चावल, सब मसाले मिक्स एक गीले कागज़ की पुड़िया में, खड़ा नमक, एक कटोरी तेल, भयानक खट्टा दही, आधा पाव कद्दू और बारह हरी मिर्चें और सवा रुपया दक्षिणा ]
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बहुत चहक रहें थे फोन पर वो अभी सुबह
" हुआ क्या " - मैंने पूछा
" अभी श्मशान में हूँ, एक वो विद्युत कॉलोनी वाला इंजीनियर कवि और एक पिछली गली का कवि - कल दोनो कोरोना में निपट गए - मेरे दो प्रतिद्वंदी कम हुए, हां नई तो साला - इनके लाइव पर 12 - 15 लोग आ ही जाते थे, अब शहर में 149 बचे है बस " लाइवा कवि बोला
हैरान था मैं , कुछ नही बोला और फोन काट दिया हौले से - मुझे उस युवा बिजली इंजीनियर के छोटे बच्चे और पत्नी दिख रहे थे और लाइवा के पड़ोसी कवि का कैंसर ग्रस्त चेहरा और पीड़ा का क्रंदन दिख रहा था
#दृष्ट_कवि
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सन 1982 देवास से तत्कालीन मद्रास में राष्ट्रपति पुरस्कार लेने जाने के पहले एक समूह जिसमे जिला स्काउट अधिकारी स्व जे पी शुक्ला जी नजर आ रहें है साथ ही है अग्रज मित्र और समवयस्क साथी
देश के राष्ट्रपति स्व श्री नीलम संजीव रेड्डी थे उस समय हम सबको [सम्भवतः देवास के हम लोगों को] पहली बार देश के किसी सर्वोच्च पुरस्कार से नवाज़ा गया था
बताईये मैं कहाँ हूँ और मित्र Mahendra Singh Sikarwar जो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी है और इन दिनों आई जी है मप्र पुलिस में
Manoj Shukla Shaileza Joshi पहचाने कौन कौन और है इसमें
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