।। सुमिरन कर ले मेरे मना ।। ------------------------------------ काम क्रोध मद लोभ बिना छड़ दे अब संत जना कहे नानक शाह सुन भगवाना या जग में नही कोई अपना कबीर और नानक की वाणी को पंडित जी ने अपने भजनों के माध्यम से जगत में पहुँचाया कविता कृष्णमूर्ति और उनके पति डॉक्टर एल सुब्रमणियम को मंच पर आमंत्रित कर यह अदभुत बंदिश जो राग भैरवी में निबद्ध है , प्रस्तुत की ●●● अब कहाँ से सुनेंगे ये अमृत वाणी पंडित जी को नमन *** कुमार जी, भीमसेन जी और अब जसराज जी ◆◆◆ यूँ तो दिल्ली, इंदौर आदि जगहों पर क़ई बार सुना उन्हें पर वे उस दिन देवास में थे मल्हार स्मृति मन्दिर में और हॉल भरा हुआ था, मैं एकदम आगे बैठा था, सब तल्लीन होकर सुन रहें थे और मैं बेचैन था कि मेरा पसंदीदा भजन कब गाएंगे कार्यक्रम में ब्रेक हुआ, भारी मन से बाहर आया और अपना मुंह टेकड़ी की ओर किया - मैंने मन ही मन कहा कि क्या देवास या माँ चामुंडा / माँ कालिका की नगरी में आकर भी भजन नही गाएंगे तो क्या मतलब पुनः कार्यक्रम शुरू हुआ, बड़ी विनम्रता से वे मंच पर आये और सबका झुककर अभिवादन किया और बोलें कि ...
The World I See Everyday & What I Think About It...