किसी साहित्यकार से दोस्ती होना जरूरी है क्या और इसके भी भेद है - कहानीकार, कवि, उपन्यासकार और आलोचक - सबसे ज़्यादा बेहतर कौन हो सकता है एक दोस्त के तौर पर बहुत सालों से इन्हीं इन्हीं को देखकर उकता गया हूँ साथ ही कुछ और लोगों से भी लगता है कुछ नया सकारात्मक सोचना और करना है तो इनसे निजात पाये बिना संभव नही - ये तो वैसे भी सुलभ है कही ना कही दिख ही जायेंगे चमकते और निंदा पुराण में व्यस्त कुछ हस्तियों और चमकदार सितारों को दो तीन साल पहले बाहर किया था तो सुकून मिला था - अपुन वैस े भी विशुद्ध लठैत है - प्रेम मुहब्बत के चक्कर मे है नही, ना ही किसी से रोटी बेटी का सम्बंध निभाना है ना किसी से फायदा लिया और ना लेना है मजदूरी करता हूँ और अपना खाता हूं, किसी से दो कौड़ी का चरित्र प्रमाणपत्र लेना नही या भला बुरा होने का थेगला लगवाना है और जिससे भिड़ना होता है - सीधी बात करता हूँ , अभिदा, लक्षणा, व्यंजना में बात अपने बस में नही, आलोक बाबू सीखा देते तो हिंदी के चार ठों पीजीटी या कवियों को ही निपटा देता, अभी एक ही निपटा है बाबा महाँकाल की कृपा से - कच्चे कान का भी नही कि यहाँ - वहाँ की बकलोली स...
The World I See Everyday & What I Think About It...