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IIMC Products and Media Posts of 26/27 April 2020

एक पत्रकार महोदय से कल बहस हुई जो कम उम्र में भयंकर लिखकर छा जाना चाहते है हिंदी, अंग्रेजी अखबारों से लेकर मलयालम मनोरमा के सम्पादक बनने का इरादा रखते है अपनी 30 की उम्र पूरा होने से पहले
कहने लगे " मेरी लेखनी रिसर्च आधारित है"
जब रिसर्च का मतलब पूछा तो बोले - " वायर, प्रिंट, कारवाँ, हिन्दू, न्यूयार्क टाईम्स, डेक्कन हेराल्ड, अल जज़ीरा, सीएनएन, बीबीसी, और देश की गाय पट्टी के तेजी से बढ़ते घटते अख़बार को पढ़ - लिखकर समझकर और विश्लेषण कर लिखना ही रिसर्च है "
" और जो विज्ञान कह रहा है, बड़े डॉक्टर्स इन दिनों जो लिख रहे है वो क्या है - उसका सन्दर्भ कही नही आता, क्या आपके लेख में उसकी जरूरत नही वैज्ञानिक तथ्यों की प्रामाणिकता जांचने के लिए, भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय, एम्स आदि का क्या " मेरा सवाल
"अरे ये सब लोग बेवकूफ है, और इस रिसर्च से मेरे लेख की पठनीयता घटेगी और फिर शेयर्स, लाईक और कमेंट तो आएंगे नही और फिर मीडिया डॉन बनने का स्वप्न धूल धूसरित नही होगा - समय नही है, पत्रकारिता के संस्थान से निकला हूँ तो वहाँ के मास्टरों को भी बताना है कि उन्होंने कुछ नही पढ़ाया बल्कि डेढ़ साल बर्बाद किया मैंने " जोश में आकर एक सांस में बोल गया बन्दा
बहुत बढ़िया श्रीमान जी शुभेच्छा आपके स्वर्णिम भविष्य के लिए , आनंद भाई आपसे क्या कहूँ - कुछ भी नही छोड़ा बंदे ने बात करने लायक
थोड़ी देर में देखा तो इनबॉक्स में अपने श्रीमुख से कुछ धार्मिक शब्द उपहार में देकर ब्लॉक करके भाग गए
【 बाय द वे इसे कॉपी पेस्ट कहते है शँख शिरोमणि - जैसे किसी बड़ी समस्या के बारे में आप दुनिया भर की किताबों से कांट- छांटकर एक महंगा पोथा बना दें और किसी घण्टाल से तारीफ करवाकर अमर होने के मुगालते पाल लें - साहित्य में तो ये चलन है पर मीडिया इतना दरिद्र होगा पता नही था 】
***
Image may contain: food
जीवन के रंग मसालों के संग
ये वो रंग है जो सिर्फ स्वाद और पौष्टिकता नही देते बल्कि जीवन को संरक्षित और संवर्धित करने का भी काम करते है
सौंफ, हींग, अजवाइन, सफेद एवं काले तिल, खोबरे का बुरादा, जायफ़ल, काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, पत्थर फूल, तेजपत्ता, कलौंजी, चाट मसाला, जीरावन जैसे अनेक मसाले अलग अलग डिब्बों में है जो इस भीषण समय में कुदरत की नियामत है
नमक के बिना इन सबकी कल्पना बेमानी है
बस इन्हें इस्तेमाल करते रहें तो जीवन यूँही रंग बिरँगा बना रहेगा और चटपटा भी
कुछ का स्टॉक छह माह तो कुछ का एक साल रहता है इसलिए अभी पर्याप्त है और जनवरी से कुछ भी नही खरीदा, यह सब दिसम्बर तक चल जाएगा
आज अपने मसाले के डिब्बे के साथ

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