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Posts of 17/18 March 2018


किसी के देहांत की सूचना देना, अंतिम यात्रा का विवरण देना, उठावना आदि की सूचना देना भी उचित है, या मृतक का फोटो डालना भी उचित है पर शव के साथ तस्वीर डालना और श्रद्धा सुमन या श्रद्धांजली देना कितना उचित है इस सोशल मीडिया पर............
मेरे लिए यह थोड़ा अनुचित और अनावश्यक सा है.
हद तो तब हो जाती है जब मृत देह के साथ सेल्फी लगाकर बेशर्मी की 
सीमाएं पार कर देते है मित्र लोग..........

गुणीजन अपनी राय दें

स्वच्छ भारत अभियान का जोश सिर्फ सर्वेक्षण तक ही सीमित रहता है उसके बाद सिर्फ नगर निगम बाबूगिरी में व्यस्त हो जाता है।
इन लोगों को मालूम है कि जुमला सरकार का व्यवहार भी ऐसा ही है । देख लीजिए सब जुमलों पर काम हुआ तीन तलाक हो, कश्मीरी पंडितों की बसाहट की बात हो या स्वच्छ भारत की।
काम हुआ कि पतली गली से निकल लो और नए जुमले के प्रचार प्रसार में लग जाओ। सर्वेक्षण के बाद जगह जगह बना दिये गए शौचालय हो या सुलभ , डस्टबिन हो या कचरे के ढेर , पिक अप गाड़ियां हो या दफ्तर - गंदगी के ढेर वैसे ही पड़े है जैसे इनके दिमाग़ वही सदियों पुराना कचरा और बजबजाते कुतर्क !

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आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

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