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आज बीस पच्चीस बरसों बाद चारोली खाई एकदम जंगल से तोडी हुई ताजी। मेरे लिए छग की यात्रा सबसे बड़ा उपहार था यह । वन अधिकार क़ानून के बाद अब यह मजेदार चीज दुर्लभ हो गयी है और लघु वनोपज भी ख़त्म होते जा रही है। ग्राम कांदा डोंगरी जिला महासमुंद के आदिवासी भाईयों और बहनों ने मेरी छग की यात्रा को नायाब तोहफा देकर अविस्मरनीय बना दिया है। दुर्भाग्य से हमारे बच्चों ने ना चार देखें ना शहतूत बस रिलायस फ्रेश के फल खाकर ज़िंदा है। मैंने इस यात्रा में पुन्नीराम और हेमलता के साथ तेंदू फल भी बहुत खाए । काश ये सब चीजें शहरों में मिलती !!!
10/04/14
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