Skip to main content

YOU MADE MY DAY AND THIS SHORT TRIP TO DEWAS, NITIN. BHAWR


कल नितिन भवर से मिला बहुत पुराना दोस्त, अनुज और एक सघन पारिवारिक सदस्य, नितिन भारतीय फौज मे बहुत वरिष्ठ अफसर है और आजकल सूडान मे" युएन शान्ति मिशन" मे एक बटालियन को हेड कर रहा है. कल नितिन ने मेरी जानकारी मे वृद्धि की और सूडान और वहाँ के हालातों का जिक्र किया, कैसे वो लोग और हमारे भारतीय जवान वहाँ के आतंरिक कलह मे अपना दायित्व निभा रहे है कैसे वहाँ के आदिवासी और कबीलाई लोगों के आपसी झगडें और दैनिक जीवन मे भारतीय फौज लोगों को राशन बांटने से लेकर उनके स्वास्थय, शिक्षा और इन्फ्रा स्ट्रक्चर बनाने मे मदद कर रही है.
निश्चित ही यह सब काम एक पराये मुल्क मे कर पाना बेहद रोमांचित एवं चुनौती भरा है क्योकि नितिन ने बताया कि वहाँ रेगिस्तान है, बहुत बड़ा है दलदल है, पानी नहीं है, बहुत अभावों मे फौज काम करती है अपने परिवार से दूर रहकर, छोटी मोटी सब्जियां तक नहीं उग पाती है, बाकि फसलों का होना तो ख्वाब ही है, कैसे वो मछली पकडने के लिए तीन तरह के समुदायों को समुद्र मे भेजते है एक ही नौका मे ताकि उनमे झगडों के बजाय सामंजस्य बढे और कटुता की जगह प्रेम उत्पन्न हो. बस मछली ही जीवन है और चौपाये काटकर खाए जाते है, युवकों की शादियाँ नहीं होती क्योकि वहाँ पुरुषों की संख्या बेहद कम है मात्र 45% इसलिए वो आसपास के गाँवों पर हमला करके गायें चोरी करके ले जाते है. क्योकि दहेज मे लडकी को कम से कम पच्चीस गायें देना पडती है. गाँवों के आपस मे दूरी कम से कम सौ किलो मीटर है और इन झगडों मे भारतीय फौज की बहुत शक्ति जाया होती है-झगडें निपटाना, समझाना और फ़िर सामंजस्य करवाना कबीलों मे, बाप रे......वो भी एक इन्टरप्रेटर के साथ क्योकि आदिवासी भाषा बेहद जटिल है वहाँ, अंग्रेजी वो जानते नहीं है.
इतनी सार्री बातें हुई फ़िर भारतीय फौज के वीके सिंह के बारे मे, राजनीती बनाम फौज और उनका निर्णय, हरियाणा, जाट लाबी, खालसा पंथ और भारतीयता, भारतीय फौज के बारे मे और अपने देश के बारे मे. एक बात है फौजी अफसर बहुत सुलझा हुआ होता है और गंभीर भी. मै याद कर रहा था छोटे से नितिन को, कैसे पढाकू था, कैसे उसने सीडीएस की तैयारी की और पिछले कई बरसों मे देश के दुरूह और कठिनतम इलाकों मे रहा, बड़े ऑपेरशन किये और हर जगह सफल रहा, और इतनी छोटी उम्र मे लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर जा पहुंचा, आज वो सूडान मे भारतीय फौज के झंडे को बहुत फक्र और शान से ऊँचा रख, साढ़े आठ सौ जवानों और अधिकारियों को नेतृत्व दे रहा है - एक 'कंपनी कमांडर' के रूप मे. नितिन का दिसंबर मे प्रमोशन ड्यू है, मेरी ओर से अनेक शुभकामनाएं और उम्मीद है कि वह इसी तरह से देश परिवार का नाम ऊँचा करता रहेगा.
क्या कहते अंग्रेजी मे YOU MADE MY DAY AND THIS SHORT TRIP TO DEWAS, NITIN. Blessings for you and your family.......
और इस सारे अफसाने मे सबका तार-बेतार और जोडने की महत्वपूर्ण कड़ी, मेरा लाडला भाई और हितैषी हैदराबाद मे बसा डा. अतुल मोघे, जिसके अंदर हर सेकण्ड देवास और मालवा धडकता है, ना होता तो यह दिन बर्बाद ही हो जाता, सच मे. धन्यवाद अतुल तुम्हें भी भाई.
 — with Atul Mogheand Nitin Bhawar.

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही