आईये चापलूसी करें और सब पा लें जो हम इस जीवन में अपने कर्मों के सहारे नहीं पा सकते, चाहे संपत्ति हो, प्रमोशन हो, लाईक हो, कमेन्ट या अपने आलेख किसी अखबार, जर्नल या पत्रिका में.
चापलूसी में बड़े गुण है राजनीती से लेकर फेस बुक तक में यह देखने को मिल जाएगा. आईये चापलूसों को सम्मानित करें, उनका नागरिक सम्मान करें, उन्हें ससम्मान लोकसभा, विधानभाओं, स्थानीय शासन की संस्थाओं में भेजें और इन चापलूसों द्वारा की जा रही चापलूसी प्रक्रियाओं को दस्तावेजित करके देश की धरोहर में संगृहीत करें.
कहाँ जा रहे है श्रीमान जी, आईये इन चापलूसों का एक नागर समाज बनाएं जो हर बात में हाँ में हाँ मिला दें और सब करने का दम भरते है, भले ही ना इन्हें हिन्दी आती हो या अंगरेजी, ना काम आता हो या ना समझ हो , ना काम करने का शउर, ना कुछ याद रहें ना कुछ करने का जज्बा हो, पर हाँ में हाँ मिलाना जरुर आता हो बस, ऐसे ही चापलूसों के आदमकद बुत बनाकर चौराहों पर स्थापित करें और इनके बनाए उसूलों पर सीमेंट कांक्रीट की पक्की सड़क बना दें, ना समझ है ना याददाश्त पर इनकी हाँ पर पूरा संसार समर्पित.
अपने आपको घोड़ा मानकर जो गधे टट्टू भी ना बन पायें और सारी उम्र सिर्फ दलाली और चापलूसी करके जीवन खपा दिया और अपने पीछे एक पुरी पीढी बिगाड़ दी उन चापलूसों से सावधान रहने की जरुरत नहीं है बल्कि अब इनसे हाथ मिलाकर अपना जीवन संवारने की जरुरत है क्योकि यही है जो राज करेंगे आपका भविष्य और वर्तमान संवारेंगे.
आईये इन चापलूसों को कहें कि देश में नई जगह बन रही है, नई स्थापनाएं की जा रही है इनसे कहें कि अपने काम में निष्ठा छोड़कर सिर्फ यहाँ-वहाँ भाषण देते रहें और मानदेय बटोरते रहें, अपनी रपट ना लिखकर अखबारों के पन्ने रंगते रहे, अपने काम के संबंधों से पाई ऊर्जा को लेकर अपनी जगह बनाएं नए मुर्गें खोजे और माल बनाए और नित्य दूध दुहते रहें.
आईये चापलूसों के लिए एक ऐसे राज्य की स्थापना करें जो तमाम तरह के उद्योगपतियों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों, विद्वानों, शिक्षाविदों, ब्यूरोक्रेट्स, व्याभिचारी नवाचारियों से परिपूर्ण हो ताकि इन्हें सांस लेने में दिक्कत ना हो, हाँ वहाँ बस श्मशान ना हो क्योकि ये ज़िंदा रहेंगे हमेशा के लिए चिर युवा ये चापलूस हमेशा देश में ज़िंदा रहेंगे............इन्हें ज़िंदा रहना ही होगा. आमीन.!!
चापलूसी में बड़े गुण है राजनीती से लेकर फेस बुक तक में यह देखने को मिल जाएगा. आईये चापलूसों को सम्मानित करें, उनका नागरिक सम्मान करें, उन्हें ससम्मान लोकसभा, विधानभाओं, स्थानीय शासन की संस्थाओं में भेजें और इन चापलूसों द्वारा की जा रही चापलूसी प्रक्रियाओं को दस्तावेजित करके देश की धरोहर में संगृहीत करें.
कहाँ जा रहे है श्रीमान जी, आईये इन चापलूसों का एक नागर समाज बनाएं जो हर बात में हाँ में हाँ मिला दें और सब करने का दम भरते है, भले ही ना इन्हें हिन्दी आती हो या अंगरेजी, ना काम आता हो या ना समझ हो , ना काम करने का शउर, ना कुछ याद रहें ना कुछ करने का जज्बा हो, पर हाँ में हाँ मिलाना जरुर आता हो बस, ऐसे ही चापलूसों के आदमकद बुत बनाकर चौराहों पर स्थापित करें और इनके बनाए उसूलों पर सीमेंट कांक्रीट की पक्की सड़क बना दें, ना समझ है ना याददाश्त पर इनकी हाँ पर पूरा संसार समर्पित.
अपने आपको घोड़ा मानकर जो गधे टट्टू भी ना बन पायें और सारी उम्र सिर्फ दलाली और चापलूसी करके जीवन खपा दिया और अपने पीछे एक पुरी पीढी बिगाड़ दी उन चापलूसों से सावधान रहने की जरुरत नहीं है बल्कि अब इनसे हाथ मिलाकर अपना जीवन संवारने की जरुरत है क्योकि यही है जो राज करेंगे आपका भविष्य और वर्तमान संवारेंगे.
आईये इन चापलूसों को कहें कि देश में नई जगह बन रही है, नई स्थापनाएं की जा रही है इनसे कहें कि अपने काम में निष्ठा छोड़कर सिर्फ यहाँ-वहाँ भाषण देते रहें और मानदेय बटोरते रहें, अपनी रपट ना लिखकर अखबारों के पन्ने रंगते रहे, अपने काम के संबंधों से पाई ऊर्जा को लेकर अपनी जगह बनाएं नए मुर्गें खोजे और माल बनाए और नित्य दूध दुहते रहें.
आईये चापलूसों के लिए एक ऐसे राज्य की स्थापना करें जो तमाम तरह के उद्योगपतियों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों, विद्वानों, शिक्षाविदों, ब्यूरोक्रेट्स, व्याभिचारी नवाचारियों से परिपूर्ण हो ताकि इन्हें सांस लेने में दिक्कत ना हो, हाँ वहाँ बस श्मशान ना हो क्योकि ये ज़िंदा रहेंगे हमेशा के लिए चिर युवा ये चापलूस हमेशा देश में ज़िंदा रहेंगे............इन्हें ज़िंदा रहना ही होगा. आमीन.!!
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