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Man Ko Chiththi - Posts from 29 April to 3 May 2025

जीवन में हर क्षण निर्णय है, दुविधा है, संकट है, चौराहें है, रास्ते है, रिस्क है, तनाव है, मुश्किलें है, चयन है, विचार है और इन सबके अंत में एक जीवन है - जहाँ से फिर ये ही सब शुरू होते है, हर सांस का संघर्ष और भीतर आने-जाने के साथ इन्हीं संकटों के साथ धड़कन का मद्धम संगीत है, जो हमें मीठी तान की ओर ले जाता है, सुहाने स्वप्नों की ओर अग्रसर करता है और इन्हीं सबके बीच से निकलकर अपने लिए श्रेष्ठ चुनना ही विवेक है - इसलिए जब हम "विवेकाधीन फ़ैसलों" की बात करते है तो न्याय की बात करते है और यही न्याय हमारा प्रारब्ध तय करता है

बस थोड़ी सी हिम्मत और थोड़ी सी बगावत अपने आपसे, जिसे अंग्रेजी में Mutiny कहते है, की जरूरत होती है

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हमको उजाले अच्छे लगते हैं, भोर का सूरज भाता है, पूर्णमासी का चाँद आंखों को सुख देता है, शांत बहती नदी भली लगती है, हरा भरा पहाड़ नज़रों में भा जाता है, सर्पिली सड़क - जिस पर दोनों ओर घने पेड़ हो अच्छी लगती है, जंगल में सुर्ख लाल पलाश देर तक सपनों में भी बना रहता है, बरगद के तने पर चढ़ती उल्लास से भरी गिलहरी की मस्ती हमारे बचपन का स्वप्न है, इसी तरह से मीठी लच्छेदार बातें करने वाला सकारात्मकता से भरा शख्स - हमारा रोल मॉडल बन जाता है, उम्मीदों से भरे शब्द और ख्वाब हमें रोज जागने पर मजबूर कर देते हैं और हर तरफ हरियाली की चादर का होना हमारी जिंदगी का अनंतिम सत्य बनाना चाहते हैं

पर जीवन की कड़वी सच्चाइयों के बीच यह सब सिर्फ विचार है और इन्हें धरातल पर उतारने के लिए बहुत साहस चाहिए और हिम्मत - जो शायद हम सबमें होती तो ये दुनिया कुछ और ही होती

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हर बीमारी का इलाज दवाई नहीं, हर दर्द का इलाज नहीं होता, हर प्रश्न का कोई उत्तर नहीं होता, हर उत्तर संपूर्ण नहीं है, हर अंधेरे के बाद उजाले की लड़ नहीं होती, हर घुप्प अंधेरी सुरंग के बाहर रोशनी का रास्ता नहीं होता, हर बंद गली के आगे सुराग नहीं होता, हर सत्य मुकम्मल नहीं होता, हर झूठ भी झूठ नहीं होता, हर नैतिकता में सीख नहीं होती, हर मूल्य का कोई फेस वैल्यू नहीं होता, हर बार गिरने पर खड़ा नहीं हुआ जा सकता, और हर सत्यवादी और ईमानदार आदमी के भीतर असंख्य बेईमानी के कीड़े कुलबुलाते है - जो उसे मुखौटे और आवरण के भीतर जीने को मजबूर करते हैं

दुर्भाग्य से हम इन्हीं नैराश्य, दारुण परिस्थितियों, द्वंदों, विपदाओं और आसन्न संकटों से घिरे है कि हमारे आसपास मनुष्य नहीं - बल्कि मुखौटे, आवरण, यंत्र चलित मशीनें है जो किसी प्रोग्राम्ड रोबोट की भांति हमारे संग साथ जीती - जागती है, और मनुष्य होने का स्वांग करती है

बचकर रहना ही अपने होने और अपनी गरिमा बचाए रखने की रणनीति हम सीख लें इस जीवन में - तो पर्याप्त है

#मन_को_चिट्ठी

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