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Showing posts from December, 2024

Man Ko Chiththi - Posts from 20 to 25 Dec 2024

जूलिया रॉबर्ट्स के शब्दों में बहुत गहरी सच्चाई है। वह कहती हैं कि जब लोग आपको छोड़ देते हैं, तो उन्हें जाने देना चाहिए। आपकी नियति कभी भी उन लोगों से जुड़ी नहीं होती है जो आपको छोड़ देते हैं, और इसका मतलब यह नहीं है कि वे बुरे लोग हैं। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि उनकी भूमिका आपकी कहानी में समाप्त हो गई है। इन शब्दों से हमें यह याद दिलाया जाता है कि हमारे जीवन में आने वाले सभी लोग हमेशा के लिए रहने वाले नहीं होते हैं। लोग हमारे जीवन में विभिन्न कारणों से आते हैं, जैसे कि हमें सबक सिखाने, अनुभव बांटने या हमारे साथ कुछ मौसमों में चलने के लिए। लेकिन जब वे जाते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम यह पहचानें कि उनकी भूमिका हमारी यात्रा में पूरी हो गई है, और हमारे रास्ते अब अलग होने चाहिए। उन लोगों को पकड़ना जो जाने के लिए बने हैं, आपकी वृद्धि को देरी से रोकता है और आपको अपनी नियति की पूर्णता में जाने से रोकता है। यह उन लोगों को अस्वीकार करने या दोष देने के बारे में नहीं है जो जाते हैं, बल्कि यह समझने के बारे में है कि आपकी कहानी उस अध्याय से आगे जारी रहती है जिसमें वे थे। कभी-कभी उनका निकास नए अवस...

Man Ko Chiththi 17 to 20 Dec 2024

लगातार सफ़र करना और सफ़र में रहना भी एक भोग है, एक तरह का योग है और यह सिर्फ़ बिरलों को ही नसीब होता है - सफ़र से सीखने की प्रक्रियाएँ आसान हो जाती है, मनमिली जगहों, खिलंदड़पन, बेलौसपन, बेख़ौफ़ रहना और अपनी मनमर्जी से जीवन शैली विकसित करना - खासकरके यह उन लोगों के लिये बहुत उपयोगी है जो अपने उसूलों और सिद्धांतों पर बग़ैर किसी तानाशाही और अनुशासन के जीवन को निर्मल बहते पानी की तरह धारा के साथ या धारा के विरुद्ध जीना चाहते है लम्बी यात्राओं के बाद अब भीतर की ओर चलना शुरू किया है इस बीच नए रास्ते, नए दुख दर्द और नये पड़ावों के साथ नए संगी साथी होंगे - देखना है कि एक यात्रा खत्म कर फिर एक यात्रा जो शून्य से आरम्भ हो रही है उसका अंजाम क्या होगा, अनुभवों ने परिपक्व तो नही पर जिज्ञासु जरूर बनाया है और शायद यही अब कुछ सीखा सकें तो शायद उद्धार हो #मन_को_चिठ्ठी *** असफलताओं ने ज़िन्दगी को रफ़्तार दी और इस सबकी इतनी आदत पड़ गई - अब कोई बाधा आती है तो लगता है यह सब तो हिस्सा ही है अपने होने का - अस्मिता की लड़ाई, जिजीविषा का संघर्ष, जीने की होड़, अपने सिद्धांतों और उसूलों पर काम करने की आदत से आजीविका के स्थायि...

Man Ko Chiththi and other Posts from 10 to 16 Dec 2024

वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है - यह तो सर्व विदित तथ्य है ही, बस अफसोस यही है कि हमारे छोटे शहर भी दिल्ली बनते जा रहे है - दूरियाँ किलोमीटर में नही, दिलों में बढ़ गई है असल में - वरना तो हम भरे भीड़ ट्रैफिक में मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, दिल्ली या न्यूयॉर्क तक पहुँचकर रिश्तेदारों, मित्रों या व्यवसाय के लिये मिल आते है [ एक मित्र के लिये ] *** कुछ लोग हमें No Men's Land पर छोड़कर हमेंशा के लिये चले जाते हैं और फिर हमें उबरने में उम्र लग जाती है यह सदमा नही, नासूर की तरह के घाव होते है जो सदा रिसते रहते हैं #मन_को_चिठ्ठी *** सबके होठों पर तबस्सुम था मेरे क़त्ल के बाद जाने क्या सोच के रोता रहा कातिल तन्हा ◆ बेकल उत्साही *** असफलताएँ हमें यह सीखाती है कि सफलताओं की गलाकाट अंधी दौड़ में हमने अपनी कुशलताओं, दक्षताओं और ज़मीर को अभी तक अतिरिक्त रूप से अपवित्र नही किया है और दिखावा करने से बचे हुए हैं - शायद यही नैतिकता और ईमानदारी हमें सफल होने से बचायेगी ; दरअसल, सफलता के मायने और पैमाने आज जिस तरह से हो गए है - उस सन्दर्भ में हमें असफलता और नेकनीयती को बचाकर रखने की चुनौती स्वीकार...

Nutan yadav and Mudit's Poetry Book - Posts from 4 to 9 Dec 2024

पढ़ाई का संघर्ष, जीवन का संघर्ष, दिल्ली में दर-बदर, फिर दिल्ली से हैदराबाद, फिर दिल्ली, फिर दिल्ली में घर बदलना और वर्षों बाद पीएचडी की डिग्री मिलना इस बीच अपनी शुगर, इन्सुलिन और दवाइयाँ और एक स्थाई नौकरी का ना होना कितना दुखद था जीवन - फेसबुक से लेकर घर परिवार में माँ या रिश्तेदारों से भिड़ जाना भी उसके संघर्ष में था, हम दोनों इन्सुलिन के आदतन शिकार थे और जब बात होती तो कहती अरे खाओ पियो इन्सुलिन को भी शरीर में जाकर कुछ काम करने दो, आप तो आ जाओ आज बढ़िया मछली बनी है - जब हैदराबाद में थी तो वहाँ के चावल वाले व्यंजनों की बात और उनके अनूठे स्वाद की बात होती थी ऐसे ही किसी रविवार को वो लम्बी बात करती थी फोन पर कि आज हैदराबाद में फलानी जगह डोसा खाकर आयें, दिल्ली विवि में फलानी महिला प्रोफ़ेसर की क्या सोच है, अलाने - फलाने बड़े कवि की कहानियाँ थी उसके पास, किसने अपनी निजी ज़िन्दगी में पत्नी को संत्रास दिया और कैसे सार्वजनिक जीवन में महिला समता की बात कर रहा है,आज जो जर्मनी अमेरिका में है हिंदी के नाम पर इसके धत कर्म क्या है, खूब बातें करते और सुख-दुख बाँटते पर वह कभी दुखी नही होती बोलते-बोलते थक ...

Khari Khari and other Posts of 3 Dec 2024

राज्य या किसी भी व्यवस्था का अर्थ ही दमन, तानाशाही और अत्याचार है, राज्य का अर्थ ही है व्यवस्था, अनुशासन या धर्म की आड़ में लोगों का शोषण करें और अपनी सत्ता बनाये रखें यहाँ राज्य से मेरा आशय सिर्फ सत्ता, सरकार से नही - वरन उन सभी जगहों, तंत्रों तथा व्यवस्था से है जहाँ निर्णय लिए जाते है फिर वो रसोइघर में करेले या पालक की सब्जी बनने का निर्णय हो या यूक्रेन को हथियारों की बड़ी खेप सप्लाई करने का हो - सरल सी बात है जहाँ निर्णय है वहाँ राजनीति है और राजनीति स्वतंत्रता की जानी दुश्मन है, घटिया और उजबक लोगों को हमने पॉवर देकर देख लिया और कितना भुगतना पड़ा है - यह हम सब जानते हैं सभी नियम कायदे और इनका गुणगान करने वाली नियमावली की किताबें हो या अनुशासन और मिशन या विचारधारा के नाम पर थोपी गई किसी सनक की ज़िद हो - सब बकवास है इसलिये मैं यह मानता हूँ कि स्वतंत्रता महज एक ढकोसला है और गम्भीर साज़िश, कोई भी व्यवस्था, राज्य या क़िताब स्वतंत्रता नही दे सकती - क्योंकि स्वतंत्रता सृजन देती है, व्यक्ति को रचनात्मक बनाती है, और रचनात्मकता या सृजनशील होने से मूर्ख और कुपढ़ व्यक्तियों की कुव्यवस्था में, कमाई के ...