राज्य या किसी भी व्यवस्था का अर्थ ही दमन, तानाशाही और अत्याचार है, राज्य का अर्थ ही है व्यवस्था, अनुशासन या धर्म की आड़ में लोगों का शोषण करें और अपनी सत्ता बनाये रखें यहाँ राज्य से मेरा आशय सिर्फ सत्ता, सरकार से नही - वरन उन सभी जगहों, तंत्रों तथा व्यवस्था से है जहाँ निर्णय लिए जाते है फिर वो रसोइघर में करेले या पालक की सब्जी बनने का निर्णय हो या यूक्रेन को हथियारों की बड़ी खेप सप्लाई करने का हो - सरल सी बात है जहाँ निर्णय है वहाँ राजनीति है और राजनीति स्वतंत्रता की जानी दुश्मन है, घटिया और उजबक लोगों को हमने पॉवर देकर देख लिया और कितना भुगतना पड़ा है - यह हम सब जानते हैं सभी नियम कायदे और इनका गुणगान करने वाली नियमावली की किताबें हो या अनुशासन और मिशन या विचारधारा के नाम पर थोपी गई किसी सनक की ज़िद हो - सब बकवास है इसलिये मैं यह मानता हूँ कि स्वतंत्रता महज एक ढकोसला है और गम्भीर साज़िश, कोई भी व्यवस्था, राज्य या क़िताब स्वतंत्रता नही दे सकती - क्योंकि स्वतंत्रता सृजन देती है, व्यक्ति को रचनात्मक बनाती है, और रचनात्मकता या सृजनशील होने से मूर्ख और कुपढ़ व्यक्तियों की कुव्यवस्था में, कमाई के ...
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