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Showing posts from 2024

Man Ko Chiththi 17 to 20 Dec 2024

लगातार सफ़र करना और सफ़र में रहना भी एक भोग है, एक तरह का योग है और यह सिर्फ़ बिरलों को ही नसीब होता है - सफ़र से सीखने की प्रक्रियाएँ आसान हो जाती है, मनमिली जगहों, खिलंदड़पन, बेलौसपन, बेख़ौफ़ रहना और अपनी मनमर्जी से जीवन शैली विकसित करना - खासकरके यह उन लोगों के लिये बहुत उपयोगी है जो अपने उसूलों और सिद्धांतों पर बग़ैर किसी तानाशाही और अनुशासन के जीवन को निर्मल बहते पानी की तरह धारा के साथ या धारा के विरुद्ध जीना चाहते है लम्बी यात्राओं के बाद अब भीतर की ओर चलना शुरू किया है इस बीच नए रास्ते, नए दुख दर्द और नये पड़ावों के साथ नए संगी साथी होंगे - देखना है कि एक यात्रा खत्म कर फिर एक यात्रा जो शून्य से आरम्भ हो रही है उसका अंजाम क्या होगा, अनुभवों ने परिपक्व तो नही पर जिज्ञासु जरूर बनाया है और शायद यही अब कुछ सीखा सकें तो शायद उद्धार हो #मन_को_चिठ्ठी *** असफलताओं ने ज़िन्दगी को रफ़्तार दी और इस सबकी इतनी आदत पड़ गई - अब कोई बाधा आती है तो लगता है यह सब तो हिस्सा ही है अपने होने का - अस्मिता की लड़ाई, जिजीविषा का संघर्ष, जीने की होड़, अपने सिद्धांतों और उसूलों पर काम करने की आदत से आजीविका के स्थायि...

Man Ko Chiththi and other Posts from 10 to 16 Dec 2024

वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है - यह तो सर्व विदित तथ्य है ही, बस अफसोस यही है कि हमारे छोटे शहर भी दिल्ली बनते जा रहे है - दूरियाँ किलोमीटर में नही, दिलों में बढ़ गई है असल में - वरना तो हम भरे भीड़ ट्रैफिक में मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, दिल्ली या न्यूयॉर्क तक पहुँचकर रिश्तेदारों, मित्रों या व्यवसाय के लिये मिल आते है [ एक मित्र के लिये ] *** कुछ लोग हमें No Men's Land पर छोड़कर हमेंशा के लिये चले जाते हैं और फिर हमें उबरने में उम्र लग जाती है यह सदमा नही, नासूर की तरह के घाव होते है जो सदा रिसते रहते हैं #मन_को_चिठ्ठी *** सबके होठों पर तबस्सुम था मेरे क़त्ल के बाद जाने क्या सोच के रोता रहा कातिल तन्हा ◆ बेकल उत्साही *** असफलताएँ हमें यह सीखाती है कि सफलताओं की गलाकाट अंधी दौड़ में हमने अपनी कुशलताओं, दक्षताओं और ज़मीर को अभी तक अतिरिक्त रूप से अपवित्र नही किया है और दिखावा करने से बचे हुए हैं - शायद यही नैतिकता और ईमानदारी हमें सफल होने से बचायेगी ; दरअसल, सफलता के मायने और पैमाने आज जिस तरह से हो गए है - उस सन्दर्भ में हमें असफलता और नेकनीयती को बचाकर रखने की चुनौती स्वीकार...

Nutan yadav and Mudit's Poetry Book - Posts from 4 to 9 Dec 2024

पढ़ाई का संघर्ष, जीवन का संघर्ष, दिल्ली में दर-बदर, फिर दिल्ली से हैदराबाद, फिर दिल्ली, फिर दिल्ली में घर बदलना और वर्षों बाद पीएचडी की डिग्री मिलना इस बीच अपनी शुगर, इन्सुलिन और दवाइयाँ और एक स्थाई नौकरी का ना होना कितना दुखद था जीवन - फेसबुक से लेकर घर परिवार में माँ या रिश्तेदारों से भिड़ जाना भी उसके संघर्ष में था, हम दोनों इन्सुलिन के आदतन शिकार थे और जब बात होती तो कहती अरे खाओ पियो इन्सुलिन को भी शरीर में जाकर कुछ काम करने दो, आप तो आ जाओ आज बढ़िया मछली बनी है - जब हैदराबाद में थी तो वहाँ के चावल वाले व्यंजनों की बात और उनके अनूठे स्वाद की बात होती थी ऐसे ही किसी रविवार को वो लम्बी बात करती थी फोन पर कि आज हैदराबाद में फलानी जगह डोसा खाकर आयें, दिल्ली विवि में फलानी महिला प्रोफ़ेसर की क्या सोच है, अलाने - फलाने बड़े कवि की कहानियाँ थी उसके पास, किसने अपनी निजी ज़िन्दगी में पत्नी को संत्रास दिया और कैसे सार्वजनिक जीवन में महिला समता की बात कर रहा है,आज जो जर्मनी अमेरिका में है हिंदी के नाम पर इसके धत कर्म क्या है, खूब बातें करते और सुख-दुख बाँटते पर वह कभी दुखी नही होती बोलते-बोलते थक ...

Khari Khari and other Posts of 3 Dec 2024

राज्य या किसी भी व्यवस्था का अर्थ ही दमन, तानाशाही और अत्याचार है, राज्य का अर्थ ही है व्यवस्था, अनुशासन या धर्म की आड़ में लोगों का शोषण करें और अपनी सत्ता बनाये रखें यहाँ राज्य से मेरा आशय सिर्फ सत्ता, सरकार से नही - वरन उन सभी जगहों, तंत्रों तथा व्यवस्था से है जहाँ निर्णय लिए जाते है फिर वो रसोइघर में करेले या पालक की सब्जी बनने का निर्णय हो या यूक्रेन को हथियारों की बड़ी खेप सप्लाई करने का हो - सरल सी बात है जहाँ निर्णय है वहाँ राजनीति है और राजनीति स्वतंत्रता की जानी दुश्मन है, घटिया और उजबक लोगों को हमने पॉवर देकर देख लिया और कितना भुगतना पड़ा है - यह हम सब जानते हैं सभी नियम कायदे और इनका गुणगान करने वाली नियमावली की किताबें हो या अनुशासन और मिशन या विचारधारा के नाम पर थोपी गई किसी सनक की ज़िद हो - सब बकवास है इसलिये मैं यह मानता हूँ कि स्वतंत्रता महज एक ढकोसला है और गम्भीर साज़िश, कोई भी व्यवस्था, राज्य या क़िताब स्वतंत्रता नही दे सकती - क्योंकि स्वतंत्रता सृजन देती है, व्यक्ति को रचनात्मक बनाती है, और रचनात्मकता या सृजनशील होने से मूर्ख और कुपढ़ व्यक्तियों की कुव्यवस्था में, कमाई के ...

Man Ko Chithtthi - Posts from 29 Nov to 2 Dec 2024

जीवन बहुत छोटा है और बहुत सरल है - जन्म और मृत्यु बस, पर दिक्कत यह है कि हम सब अपने सपनों और ज़िद के बुरी तरह से शिकार है - लिहाज़ा ताउम्र भुगतते रहते हैं और इन दो ध्रुवों के बीच से गुज़रने वाले सुगम मार्ग को कष्टप्रद बना लेते हैं #मन_को_चिठ्ठी *** यह पूरा संसार माया, प्रलोभन, अनाचार, आसक्ति, तमाम तरह की वासनाओं, और गलाकाट होड़ से भरा पड़ा है - आवश्यकता इस बात की है कि हम बग़ैर किसी से तुलना किये और दूसरों की चकाचौंध से प्रभावित हुए बिना अपने सिद्धांतों, मूल्यों और न्यूनतम आवश्यकताओं को अपनी सीमाएँ पहचानकर पूरा करते हुए जीवन के दुर्गम पथ पर चलते रहें जब लगें कि भोग - विलास और दूसरों की जीवन शैली, सुख और माया आपको बेचैन कर रहें हैं तो उस मार्ग से विमुख हो जाये, ऐसे रिश्तों को भी विलोपित कर दें और अपना मार्ग अपनी चादर के अनुसार प्रशस्त कर आगे बढ़ें - जीवन तुलना करके या नकल करके कभी सिद्ध नही हो सकता किसी का भी - यह सर्व मान्य निराली बात है और हमें ज्ञात है यह परम सत्य है कि सबका अंतिम ध्येय और मंज़िल वही है - जहाँ मैं जा रहा हूँ बाकी सब व्यर्थ है, हर कोई अपने लिये नही बल्कि अपने पीछे आने वाली पी...

MAn Ko Chiththi, Rahi Dumarchir's book, and other Posts of 26 and 27 Nov 2024

किताब बेचने के लिये कुछ भी करेगा, करो - करो पर यह भी बता दो कि पढ़ कौन रहा, 21 - 22 मिनिट के वीडियो किताब के बारे में डाल रहें हिंदी के कवि लोग, और बाबा आदम के ज़माने के कोट या दीमक लगे जैकेट पहनकर, पोपले मुँह से लगातार लेपटॉप पर पढ़ते हुए, एकदम बग़ैर रूके किसी की लिखी कॉपी - पेस्ट स्क्रिप्ट पढ़कर गुरू जी, ना कविता बिकेगी ना क़िताब, रोज़ सुन्नर - सुन्नर फोटू भी चैंप दो, गली - मोहल्लों से लेकर छोटे बच्चों को खुद की कविताएँ पेलने के साथ अपने यार - दोस्तों की कविताएँ सुनवा दो और अपना प्रसार भारती चैनल खोल लो - पर क़िताबें ना जायेगी इन दिनों माड़साब नाम की प्रजाति तो गज़ब के नवाचार कर रही है क्लास से लेकर फेसबुक पर, होगा क्या इस सबसे थोड़ा समझो यारां, यह काम प्रकाशक का है तुम क्यो उसके सारे - "योग क्षेम वहांमयमहम " अपनी छाती पर लेकर बैठे हो LIC के मोनो की तरह *** #एनडीटीवी #NDTV से ज़्यादा कोई आज तक संसार में नीचे नही गिरा होगा, गौतम अडानी के चरणों में गिरकर इस मीडिया समूह ने जो नीचता की हरकतें की है उससे घृणा ही नही हुई बल्कि इसमें काम करने वाले एंकर्स और समूचे स्टॉफ पर सवाल है जिनमें न...