बिहार जाते डर लागे मोहे
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रामदेव
रविशंकर
सद्गुरु
अवधेशानन्द
जैसे मठाधीशों से लेकर इंदौर देवास के गली मोहल्लों और बड़वाह के घाट पर आश्रम चला रहे या अरबों शिव लिंग बनाकर लिम्का छाछ रेकॉर्ड बनाने वाले बाबा लोग गए नही बिहार सेवा करने
मुस्लिम, जैन, बौद्ध, पारसी से लेकर और धर्म के ठेकेदार गए नही बिहार सेवा करने
बैद्यनाथ, हमदर्द से लेकर पतंजलि और वोकार्ट से लेकर डॉक्टर रेड्डीज़ की एम्बुलेंस नही दौड़ीं बिहार दवाईयां बाँटने
अजीम प्रेम से लेकर टाटा , बिड़ला, अनुराग दीक्षित , सहगल फाउंडेशन या फोर्ड से लेकर गली मोहल्लों में भीख मांगने वाले गए नही बिहार
स्टैनफोर्ड, हावर्ड, ससेक्स से लीड तक की लीद बटोरकर ओशो, कृष्णमूर्ति, विवेकानंद, मार्क्स, हीगल, प्लूटो, सुकरात और अंबेडकर तक दलितों के लिए झंडा फहराने वाले नही गए बिहार
विश्विद्यालयों में ज्ञान के अपचन से दस्त के दलदल में फंसे पवित्र प्रोफेसर नही गए, EPW से लेकर विश्व बैंक और दुनिया की पत्रिकाओं में शोध परक कूड़ानुमा आलेख परोसने वाले नही गए बिहार
गांधीवादी से लेकर समाजवादी और पूंजीपति से लेकर उपभोक्तावादी नही गए बिहार
प्रलेस, जलेस, जसम या कोई हिंदी उर्दू या अन्य भाषा के आमवर नामवर गए क्या बिहार
मज़ेदार यह है कि एक कन्फेशन - " मैं भी नही गया बिहार "
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साहित्य निर्लज्ज समाज का मैला दर्पण है जिस पर दंगे, फ़साद या बच्चों की लाशों से खून के छींटे उड़ते है और साहित्यकार एवं पत्रकार उस गर्म खून को अपनी कलम से दुहते है
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इनके आंकड़े उठाकर ब्यूरोक्रेट्स के तलवे चाटने वाले और टैक्स फ्री तनख्वाह भकोसने वाले हरामखोर कर्मचारियों को देश निकाला दीजिए
उसके बाद सिर्फ आंकड़ेबाजी करने वाले इनके कंसल्टेंट्स को चलता कीजिये जिनको काम से ज़्यादा अपने डीएसए , यात्रा भत्ता और कार की फ़िक्र रहती है , सोशल वर्क का कचरा फैलाये ये उजबक किस्म के लोग सिर्फ और सिर्फ मूर्खताएं करते रहते है और इतना रायता फैलाते है कि आप घुट के मर जायेंगे इस रायते में
मीडिया का प्रवेश अस्पतालों में बंद कीजिये - इनको तो चारागाह मिल गए है ये केस स्टडी लिखकर राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय फेलोशिप खोजेंगे, छपेंगे और इनकी रुपये की हवस बढ़ेगी और चमकते दमकते फोटो अभी डालना शुरू करेंगे दना दन
बिहार में काम करने वाली फंडिंग एजेंसी , #केयर आदि जैसे एनजीओ का पंजीयन निरस्त करें, इनका अनुदान बंद करें तत्काल और सजा का प्रावधान करें जो देशी विदेशी अनुदान लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कुपोषण और शिशु एवम मातृ स्वास्थ्य के नाम पर अरबो रुपये चट कर गए और अब मीडिया की कटिंग्स इकठ्ठी कर रहे होंगे कि इस भयावहता का नग्न प्रदर्शन कर आने वाले 10 वर्षों का जुगाड़ करेंगे और खूब पीपीटी बनाकर, पर्चे लिखकर विदेश यात्राएं करेंगे झकास और बिंदास तरीके से
अस्पताल में डॉक्टर लाईये लिखने पढ़ने वाले ढपोरशंख नही नीतीश बाबू , यदि आपको और आपके संगी साथी सरकारों को और उनके कुम्भकर्ण मंत्री को फुर्सत हो तो थोड़ा समझिए 100 से ज़्यादा बच्चे मरें है यदि नही समझ आ रहा तो सरदार से ऊँचा वाला गांजा माँग लीजिए और बेफ़िक्र होकर सुट्टा लगाइए - भाड़ में जाये जनता - बहुत गरीबी, बेकारी और तंगहाली है साला बिहार में - बहुत अक्ल भी दौड़ाते है ना बिहारी ससुरे
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1992 के बाद मिला मेरा मित्र
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90 के दशक की शुरुवात थी , शिक्षा, स्वास्थ्य और साक्षरता के बहाने एनजीओ में लोग रास्ते ढूंढ रहे थे और यह धंधा नही बना था, बड़ी जगहों से लोग छोड़कर गांव गली कस्बों में ज्ञान फैलाने घुसे थे - क्रांति और बदलाव के स्वप्न लिए हम लोग भी जवान हो रहे थे और सामाजिक क्षेत्र में लगभग साथ ही पदार्पण किया था, बाजारवाद, उदारीकरण और बाबरी मस्जिद ढहने के साथ मनमोहन सिंह का राज्याभिषेक और रूस का खात्मा हमने इसी दौर में देखा, इंदिरा गांधी के ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार, उनकी हत्या, सिख दंगे और फिर आज के मजबूत हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण की बुनियाद में आडवाणी की रथ यात्रा और दंगों की पकड़ राजनीति में जातिगत वोट बैंकों का बनना यही सब उथलपुथल से हम जैसे लोग नौकरियाँ छोड़कर समाज में काम करने आये थे
बिनय उड़ीसा से आते है बहुत खूब गाते भी है, एक शुभेंदु और थे जो शास्त्रीय संगीत गाते थे और उनसे फ़ैज़, इक़बाल, नाजिम हिकमत आदि सीखा - वे इन दिनों दिल्ली विवि में बायो फिजिक्स पढ़ाते है, एक वागीश झा थे वो भी दिल्ली में है
ये डाक्टर बिनय पटनायक यूनिसेफ से लेकर एडसिल, नेशनल बुक ट्रस्ट से लेकर सुजूनिका - भुवनेश्वर, और भारत ज्ञान विज्ञान समिति में रहें
आज हमने बातें की तो समझ आया कि हमारी जवानियाँ तो बर्बाद हो गई पर उस समय के कॉमरेड आज पूंजीपति और सत्ताओं के दलाल बन जमीन और पूंजी के माफिया है और सांठ गांठ कर दुकानें चला रहे है हमारे जैसे लाखों युवा बर्बाद होकर रह गये उनके दिवास्वप्न पूरा करते करते
इन दिनों में विश्व बैंक के शिक्षा के प्रोजेक्ट में बिहार के लिए टीम लीडर है, साथ ही झारखंड में महिलाओं और किशोरियों के तेजस्विनी कार्यक्रम में वरिष्ठ सलाहकार भी है विश्व बैंक की तरफ से , साथ ही दो प्यारे बच्चों के जिम्मेदार पिता भी है
बिनय से 1992 के बाद मिलना इस गर्मी में मानसून की पहली बरसात के मानिंद है और आत्मा को तृप्ति मिलने जैसा है
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ढूंढ रहा हूँ
कुत्ता कुल, बिल्ली कुल या शेर कुल की आंखों वालों को जो लोगों को अँधेरों में भी पहचानने की कला ही सीखा दें
दुनिया के लोगों को पहचानने और उनके हिसाब से अपने को बदलने की कला से अभी तक वंचित हूँ
आइये कुत्ता कुल के लोगों को परखकर आर्ट ऑफ लिविंग सीखें
निशब्द, निरुत्तर और बहुत उदास हूँ आज
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किस्सा - ए - कानून
52 की उम्र में 51 %
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बहुत सालों बाद औपचारिक पढ़ाई के लिए लॉ में प्रवेश लिया था - विज्ञान, अंग्रेज़ी, ग्रामीण विकास, शिक्षा शास्त्र, भविष्य अध्ययन में शोध के बाद लॉ की पढ़ाई वो भी नियमित छात्र के रूप में - मतलब बोर्ड के इस तरफ रहने वाला अब सामने बेंच पर बच्चों के साथ
52 के बुड्ढे को कक्षा में किसी ने सर बोला, किसी ने अंकल, भैया , दादा और शिक्षक तो बेचारे सर ही बोलते रहें और मेरे उजबक सवालों से कतराते भी रहें पर मज़ा आया बहुत, कक्षा में छात्र बनकर जैसे जवानी को जी रहा हूँ
It was like rejuvenating thy self.
काम, दौड़ भाग के बीच कभी कॉलेज गया, कभी नही, टेक्स्ट बुक पढ़ी कभी नही पढ़ी
फिर परीक्षाएँ और फ्रोजन शोल्डर के साथ 50 पेज की इतनी बड़ी कॉपी भरना और दर्द के साथ लिखना , परीक्षा के पहले और देने के बाद घर आकर फिजियो थेरेपी करवाना एक जटिल और रुलाने वाली प्रक्रिया थी
5 मार्च को खत्म हुई परीक्षा, लगातार तीन माह धुकधुकी बनी रही कि इस उम्र में फेल हो गए तो अपने बच्चों से , साथ पढ़ रहे बच्चों को क्या मुंह दिखाऊंगा
पर आज परिणाम आया तो पास हो गया रोते झिकते प्रथम वर्ष के प्रथम सेमिस्टर में कुल 51 प्रतिशत अंक आये हैं पर इतनी लंबी कालावधि के बाद मार्कशीट पर पास देखकर खुशी हो रही है
Ammber Pandey ने बोला " ५१ पर्सेंट पे बेवफ़ा औरतों को मेंटीनेम्स दिलाने के केस मिलेंगे " - चलेगा मेरे इमोशनल एंकर और औलाद
सबका शुक्रिया और आभार
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● पत्रकारों की गिरफ्तारी
● पिटाई
● पेशाब का अमृत पान
● गायब हो जाना
यही डिजर्व करते हो तुम लोग इससे ज्यादा एक ही खाना बचा है - समझे ना
एक बार राज्य देख लो, मन्दिर वही बनायेंगें
आईए जुलूस, रैली , धरना प्रदर्शन करें
आम काटकर खाते है आप या चूसकर
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कृपया कमजोर दिल - दिमाग़ वाले ना पढ़ें
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वाट्सएप एक तरह की मानसिक बीमारी लाता है जिससे ग्रुप एडमिन्स/एडमिन को फालतू के मुगालते, आत्म मुग्धता के नियमित मिर्गी से भयावह दौरे, उच्च कोटि का नीचतापूर्ण अहम, तानाशाही प्रवृत्ति और सर्वोच्च कोटि का दृष्टिभ्रम , बुद्धिजीवी और रणनीतिकार से लेकर दुनिया का श्रेष्ठ आयोजक होने का ऑप्टिकल इल्यूज़न हो जाता है
यह बीमारी साहित्यकारों, राजनीतिज्ञों और घटिया किस्म की कवियित्रियों, टटपुँजिया लोगों, सविता भाभी टाईप सस्ते साहित्य के शौकीन लोगों और कुपढ़ और घाघ सम्पादकों को डिमांड बेस्ड साहित्य निर्बाध रूप से आधे घँटे में कहानी - कविता उपलब्ध करवाने वाले लोगों को जल्दी संक्रमित करती है
ये लोग रोज़ सुबह, शाम सुप्रभात से लेकर टट्टी पेशाब की जांच, कविता, कहानी, आलेख, अखबार की कटिंग, अपनी शादी की सालगिरहों, अपने बच्चों के पंचम श्रेणी के चोरी कर लिखें लेख और अंत मे गुड़ नाईट या स्वीट ड्रीम्स जैसी दुखद घटनाओं से आपको पका पकाकर मार डालेंगे और आपकी उम्र घटा देंगे (कुछ मैं भी करता हूँ- आज से बन्द) अपनी यूट्यूब चैनल्स का लिंक देकर आपको जिंदा गाड़ देने का मंसूबा भी रखते हैं शैतान की आयतों के जन्मदाता
ज्यादातर यह देखा गया है कि दुकान , साहित्य सेवा, किटी पार्टी, और ट्यूशंस के नाम पर धँधा चलाने वाले, प्रेम में असफल प्रौढ़ लोग, कुरूप चेहरों से जन्में, भयानक काले और किसी एप से गोरा बनकर फोटो चैंपने वाले, बेहद गरीबी से गुर्गे बने लोग, साड़ियों और ढाई तीन किलो का मेकअप पोतकर उजड़े चमन में भटकने वाली तितलियों के भेष में छुपी जहरीली छिपकलियों और कब्रगाहों में भटकती दुष्कर्मों से त्रिशंकु बनकर रह गई अतृप्त आत्माओं के मारे ये लोग वाट्सएप नामक पाप के एडमिन जैसे पुण्य कार्य में लगे रहतें हैं
घर परिवार में निंदा पुराण, दोपहर में नींद के बजाय गहने, प्लाट, बच्चों के भौंडे गाने, घटिया खाना बनाकर सजावट से ललचाकर दूसरों को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति में लीन , दुनिया की घटिया जगहों के फोटो में फोटो शॉप कर अपने थोबड़े फिट कर पोस्ट करने वाले ये एडमिन्स शातिर होते है
नौकरी से अघाये, जिलों - जिलों में आडिट से लेकर जनता से वसूली में व्यस्त, नकली रौब और वर्दी पहनकर अकड़ में रहने वाले, पति की नौकरी पर ऐश करने वाली चम्पाएँ और गरीबी का गुणगान कर हवाई यात्राएँ करने वाले ये तुच्छ हर छोटे से अवसर को भुनाकर हर कुछ हड़पने की मनोवृत्ति वाले अक्सर आपको इस बीमारी के आसपास घूमते नजर आते है - जिसका इलाज एम्स, पीजीआई चंडीगढ़, लखनऊ या मेदांता में भी नही
उपरोक्त लक्षणों के आधार पर बीमार की पहचान करें और तुरन्त -
◆ समूह से निकलें
◆ ऐसे लोगों के नम्बर ब्लॉक करें
◆ वे आपको दुबारा समूह में ना जोड़े इसलिए उन्हें चार छह गालियों से नवाजें
◆ उन्हें सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर नंगा करें
◆ जब सड़क पर, कार्यक्रम में या कही भी मिलें - उन्हें जलील करें, हालांकि वे खीं खीं खीं कर गले लगेंगे आपके
◆ उनसे सहानुभूति, मित्रता, रिश्ते ना निभातें हुए उनके इलाज की व्यवस्था करें
◆ दूसरों को आगाह करें
◆ अपने मोबाइल से वाट्सएप अनइंस्टाल करें
◆ नया नम्बर लें और उस पर सिर्फ काम के नम्बर के लिए वाट्सएप का इस्तेमाल करें और इसे किसी अमेरिकन रणनीति से भी ज़्यादा गुप्त रखें
◆ इनके यूटुयूब चैनल्स न देखें, ना घण्टी बजाएं और ना सब्सक्राइब करें - तड़फने दें इन्हें दर्शकों के अभाव में ताकि एक दिन "गाड़ी वाला आया, जरा कचरा निकाल" वाला आयें दरवाजें पर तो नाक पर कपड़ा बांधकर इन्हें फेंके और फिनाइल का पोछा लगाएं
भारतीय जनता के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा, साहित्यकारों की सृजन क्षमता बढ़ाने, उनके असमय क्षरित और स्खलित ना होने के और जनहित में जारी
विनीत
- एक भुगता और चोट खाया उत्पीड़ित नागरिक
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