तुम गए ही नही पिता
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अब चिट्ठियां आती नही तुम्हारे नाम - बिजली, फोन, मकान के टैक्स से लेकर राशन कार्ड तक में बदल गए है नाम
कोई डाक, पत्रिका, निमंत्रण तुम्हारे नाम के आते नही
हमारे बड़े होने के ये नुकसान थे और एक सिरे से तुम्हारा नाम हर जगह गायब था
कितनी आसानी से नाम मिटा दिया जाता है हर दस्तावेज़ से और नाम के आगे स्वर्गीय लगाकर भूला दिया जाता है कि अब तो स्वर्ग में हो वसन्त बाबू और बच्चें तुम्हारे ऐश कर रहें हैं
बच्चों से पूछता नही कोई कि बच्चें कितना ख़ाली पाते हैं अपने आपको कि हर दस्तावेज़ से नाम मिटाकर अपना जुड़वाने में कितनी तकलीफ़ हुई थी और अब जब बरसों से सब कुछ बिसरा दिया गया है तो नाम भी लेने पर काँप जाती है घर की नींव जिसमे तुम्हारे पसीने और खून की खुशबू पसरी है
घर में मिल जाती है कोई पुरानी याद तो घर के दरवाज़े और छतें सिसकियों से भर उठती है रात के उचाट सन्नाटों में
***
बेफ़िक्र
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ज़िंदा हो
धड़कते हो
रास्तों में आगे हो
छाँह हो
उजाला हो
धड़कते हो
रास्तों में आगे हो
छाँह हो
उजाला हो
अपने समूचे
पश्चाताप में
याद करते हुए
पोछ लेता हूँ
दो आंसू
पश्चाताप में
याद करते हुए
पोछ लेता हूँ
दो आंसू
जहां पाता हूँ
आज देखता हूँ
दो बाँहें सम्हाल
रही है हौले से
आज देखता हूँ
दो बाँहें सम्हाल
रही है हौले से
क्या मैं देख पा रहा हूँ
पिता तुम यही हो, यही....
पिता तुम यही हो, यही....
***
पितृ ऋण चुकाते हुए
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पिताओं की आँखे
तकती है शून्य में
कभी ऑक्सीजन की कमी
कभी मस्तिष्क ज्वर
और अक्सर
लापरवाही से मर रहें हैं
बच्चे
तकती है शून्य में
कभी ऑक्सीजन की कमी
कभी मस्तिष्क ज्वर
और अक्सर
लापरवाही से मर रहें हैं
बच्चे
दुनिया के पिताओं को
राज्य और संविधान का इससे बड़ा
तोहफ़ा क्या हो सकता है
पिता दिवस पर एक साथ
सैंकड़ों की संख्या में
लोक कल्याणकारी राज्य
उनके जान माल की रक्षा करते
इस समय की तीन आपदाओं-
ट्रैफिक, भीड़ और
मीडिया से बचाते हुए
बच्चों की लाश लादे जा रहे
पिताओं को सुरक्षित रास्ता दे दें
कब्रगाह तक
राज्य और संविधान का इससे बड़ा
तोहफ़ा क्या हो सकता है
पिता दिवस पर एक साथ
सैंकड़ों की संख्या में
लोक कल्याणकारी राज्य
उनके जान माल की रक्षा करते
इस समय की तीन आपदाओं-
ट्रैफिक, भीड़ और
मीडिया से बचाते हुए
बच्चों की लाश लादे जा रहे
पिताओं को सुरक्षित रास्ता दे दें
कब्रगाह तक
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