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Posts of March I and II week

मप्र से लेकर पूरे देश में निर्वाचित चौकीदारों की फ़ौज अपने निकम्मे, नकारा और नालायक वंशजो को चौकीदारी का टिकिट दिलवाने के लिये एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहें है
और तो भारतीय संस्कृति का अपयश फ़ैलाने वाले कुटैव , वैमनस्य, साप्रदायिकता फ़ैलाने के शिरोमणि और कूटने में माहिर अराजनीतिक संगठन, जो मन भाये मुंडी हिलाएं वाली मुद्रा में रहते है, भी अब सत्ता ठगिनी के झांसे में आकर कुर्ता पाजामा पहनने को बेताब है
मजेदार यह कि पिछले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी इन्हीं के वंशज हारे थे बुरी तरह
और सरगना और तड़ी पार कहता है कि वंशवाद कांग्रेस की बपौती है
अक्ल से पैदल इन बहुरूपिये सत्ता के लिए हवस की कामना में जीनेवाले चायवाले, पकौडे वाले और चौकीदारों से सावधान - जागते रहो
31 को 500 जगह भोंपू लगाकर फिर कर्कश स्वर सुनने और सुनने के बाद उपेक्षा करने को तैयार रहें , अब कन्फर्म है -
"क्योकि चौकीदार ही चोर है"
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मनोहर पर्रिकर का निधन
नमन और श्रद्धाजंलि, एक सुयोग्य नेता, दृष्टि सम्पन्न मुख्य मंत्री का ना होना अखरेगा
उनकी मृत्यु के साथ राफेल की वो सारी दास्तानें भी खत्म हो गई है जो एक राज़ थी और राज ही रहेगी और अब सरकार जाने के बाद सब कुछ दफ़न हो जाएगा
इतना सहज व्यक्तित्व और ईमानदाराना कोशिशें सिर्फ एक प्रतिबद्ध मनोहर पर्रिकर के साथ ही सम्भव था
वे सच में इस भ्रष्टतम समय में एक दृष्टा, मिशनरी और जमीनी आदमी थे
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जस्टिस काटजू के मरीजों
तुमको अभी भी समझ नहीं आया हिंदू राष्ट्र का क्या स्वरुप इन दो चौकीदारों ने कर दिया है, हिन्दू राष्ट्र का यही मुखौटा है नोटबन्दी, 15 लाख, राम मंदिर, 370, कश्मीर , सेना का उपयोग, पाकिस्तान और चीन के सामने घुटने टेकना, अम्बानी अडानी को देश बेचना, माल्या और मोदियों को सेफ पैसेज देना , देश को कंगाल कर उद्योगपतियों को तेल लगाना - गजब का राष्ट्र है
प्रधानमंत्री जैसे गरिमामयी पद को चौकीदार कहकर ट्वीटराना - काम के बदले 24 घँटे राहुल और कांग्रेस को कोसना और अब जब सब इकठ्ठे हो रहे है तो मिलावट बताना , अबे अपनी तो देख लें पहले क्या औकात रह गई हर कोई मजाक बना रहा
अपनी ही पार्टी के स्वामीभक्तों ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया इतनी दुर्गति कर दी इसने दीनदयाल से लेकर नानाजी देशमुख और अटल जी , आडवाणी तक की ; अपढ़ कुपढ़ लोगों को चुनोगे तो यही हाल होगा , अपनी बवासीर के बारे में बोलो समझो और इलाज करवाओ गधों
नेहरू की धूल नही चाट सकते तुम्हारी समझ क्या है , साक्षी महाराज से लेकर एम जे अकबर और बलात्कारी निहालचंद्र का साथ लेकर क्या तुम दुनिया जीत लोगे गज्जब की बकैती करते हो बे
झूठ, फरेब, मक्कारी, जुमले और सत्यानाश - क्या यही हिंदू राष्ट्र है और अगर तुम्हें अभी भी समझ नहीं आया है तो और वोट दो और इनको जिताओ तुम्हारी औलादों को रोटी पानी के लिए ना तड़पा दिया तो नाम बदल देना मेरा
अभी तो चाय, पकौड़ा और चौकीदारी पर लाकर देश को छोड़ा है - कल तुम ने जीता दिया तो तुम्हें क्या कर के छोडेंगे यह मत भूलना
जो अपनी पार्टी और घर वाली का ना हो सके - उसका क्या भरोसा
जोर से बोलो चौकीदार ही चोर है
हमारे देवास का सांसद तो बीच में ही भाग गया कार्यकाल पूरा होने के पहले , नवम्बर से सांसद विहीन क्षेत्र है, आगर के तत्कालीन विधायक से लड़ बैठा था अब खुद विधायक बन गया और देवास के मूर्ख सामंतवाद में डूबे गुलाम अभी भी भाजपा को जिताने के मूड में है- मूर्खों को अक्ल ही नही पैदल है पैदल
नोट - भक्तजन नोट कर लें अब मोदी प्रधानमंत्री नही महज एक उम्मीदवार है और कार्यवाहक प्रधान मंत्री, 23 मई - भाजपा गई , इसलिए ज्यादा भसड़ ना मचाये यहां - औकात में रहें
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कल इंदौर में जलेस के एक कार्यक्रम में एक वक्ता ने प्रायोजक को भयानक तेल लगाते हुए कहा कि इनसे मेरी मुलाकात "जब इमरजेंसी लगी थी और भोपाल से मैं वीडियो कोच बस में आ रहा था, तब हुई थी"
सारा हाल सन्न रह गया सुनकर, अरे ओ मोदी के ताऊ , ऊंचे वाले फेंकू - कमबख्त किसके बाप दादाओं ने वीडियो कोच सुना था तब , कोई बताएगा मय सबूत के कि इंदौर भोपाल वीडियो बसें चलती थी तब, इस ताऊ को झेलते रहें साहित्य में कई लोग पर कल तो क्या बोल गया, पल्ले नी पड़ी, खैर सबको बेवकूफ समझकर अहम ब्रह्मास्मि दूजो ना भवो तो पहले ही इसपर हावी है
सत्तर पार के बकैत है ये अब
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यह फर्क होता है गंवार, अनपढ़, कुपढ़ , फ़र्जी, घमंडी और उच्च शिक्षित में, वो दस साल में बोले ही नही काम करते रहें और ये उनकी ही नीतियों एवं कामों को अपना बताबता कर बकैती करते रहें इतनी कि कूड़ा कचरा किताबों में आने लगा, पूरी दुनिया को ध्वनि प्रदूषण से ग्रस्त कर दिया और अब चीन से लेकर अमेरिका तक को समझ आ गया कि बकवास के अलावा कुछ नही और जनता को भी ये बन्दा पूरा मगज का लड्डू है, खोदा पहाड़ निकली चुहिया - वो भी मरी हुई
एक संविधानिक पद को ट्वीटर पर चौकीदार का प्रत्यय लगाकर पूरी दुनिया के सामने देश की भद्द पीटवा दी
देखा देखी सारे 40 अलीबाबा की गैंग के लोग भी कहने लगे चौकीदार चौकीदार
जियो राहुल जियो, शाबाश बच्चे इतिहास याद रखेगा तुम्हे इस बात के लिए कि देश की सम्पदा को लेकर भागने वाले चोट्टों की फौज चोर मोदियों , माल्याओं और अम्बानियों और अडानियों के साथ मोदी सरकार के आखिरी दिनों में तुमने पूरी सरकार और पार्टी को कन्फेस करने को मजबूर कर दिया
और अंत मे यह सही है कि इनमें ना राज करने की अक़्ल है ना देश सम्हालने की ना मैनेज करने की चुनाव सामने देखकर पगला गए है , दिमाग काम नही कर रहा, पंकजा मुंडे से लेकर अन्य सभी चौकीदार शब्द कहकर अपनी संविधानिक जिम्मेदारी, ताकत और पद का अर्थ नही बुझ पा रहें निहायत ही अपढ़ और गंवार है
भरोसा नही कि अर्नब, रजत और सुधीर भी खुद को चौकीदार कहें आज से क्योकि ये तो वही के नाला सोपारा से जिंदा है
फिलहाल यह सत्य है कि चौकीदार से लेकर सब जो इस दलदल और ट्वीटराई भीड़ में शामिल है "चोर" है
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दुर्भाग्य कि चौकीदारों की बिरादरी में पंकजा मुंडे भी शामिल , अपने बाप की हत्या/ मौत भूल गई !
ये लोग शब्दों का भी पतन करेंगें 
अब तो एकदम कन्फर्म चौकीदार ही चोर है

गर्व से कहो हम चोरों के चौकीदार के देश में रहते है, हम सब चोर है , धूर्त है लफ्फाज है , मूर्ख है 
क्योकि चौकीदार चोर है

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अपने आसपास देखता हूँ तो बहुत से निरर्थक लोग नज़र आते है - सम्भवतः वो भी मुझे यूँही कोसते हो पर अब लगता है इन बिल्ली के *** को निकाल बाहर करें सिर्फ फेसबुक से, फोन लिस्ट और वाट्सएप से नही बल्कि जीवन से - जब कभी दो चार साल में इनके फोन आये तो सीधा जवाब दो "रांग नम्बर" और बगैर कुछ और बोलें काट दो फोन और ब्लॉक कर दो ससुरों को - जीवन का बहुत नाश किया इन कमीनों ने
ये लोग ना कभी मिलेंगें , ना ही काम आयेंगें कुछ और ना ही मैं मिलने वाला - ना इनके किसी काम का; नौकरी में जहाँ जहाँ भी रहा मेरे घर आकर खूब खा पीकर गए - मुर्गा, मटन, दारू , पनीर से लेकर ड्रायफ्रूट्स तक , अब जब से देवास आया हूँ 5 सालों से तब भी यहां आकर खूब भकोसे साले, और जब बोला कि दस रुपये की एक गोली लेते आना क्योकि शहर में कई बार मिलती नही तो अपने आपको दिवालिया घोषित करवा बैठे ससुरे - इनकी असली औकात अगर बताना शुरू करूँ तो आप सुनकर दंग रह जाएंगे, दिल करता है सबके नाम और कर्म सार्वजनिक कर दूं यहां - ताकि बाकी लोग सावधान हो जाये इन नामुरादों से
एक बार बनारस में एक घटिया लड़की से बड़ी दोस्ती हुई थी दादा दादा बोलती थी विदुषी और यहां के 3 दोस्तों के हवाले से खूब ज्ञान पेलती थी, नख़रे पट्टे कर अपने घटिया थोबड़े को सजाकर यहां फोटू चस्पा करती थी, ताकि मुर्गे फंसते रहें, कॉपी पेस्ट मटेरियल का अपने नाम से प्रयोग कर बस नोबल लेने वाली थी कि हम पहुंच गए, वहां जाकर औकात मालूम पड़ी बनारस हिन्दू विवि में कि यह चंपा अपने निजी जीवन मे कईयों को निपटाकर जमाने को छलती आई है - तब फोन किया तो 5 दिन तक बहाने बनाती रही , आखिर लौटकर जब सच्चाई फेसबुक पर नामजद लिखी तो ब्लॉक करके भाग गई छमिया - कसम से आज भी मेरा नाम लेकर रोज चौराहों पर नींबू मिर्च फेंकती होगी, बनारस के पानी में ही फर्जीवाड़ा और मक्कारी है
उसके बाद दो चार और ज्ञानी मिलें अपने बदसूरत चेहरे और हकलाते हुए जो यहां ज्ञानी बनते है - असली जीवन में निरक्षर निकले , जिस काम यूँ करवा देने की डींग हाँकते थे - साला खुद के पैंट का नाड़ा नही सम्हल रहा था और नाक से सेबड़ा नही पूछ रहा था - तो क्या कहूँ, बड़ा मज़ा आता है कोई फेंकू मिलता है जीवन में तो
ऐसे ही दिल्ली पुस्तक मेले में दिल्ली के दोस्तों की औकात समझ आती है - इनको भी खूब छेड़ा और गलियाया है - साले दो कौड़ी का काम करके गलियों में टुन्न पड़े रहते है और दिखाते ऐसे है जैसे मुगल गार्डन में बाप का कॉपी राइट है इनका
आज फिर दो ऐसे ही नगीने मिल गए - जमके छिल कर सारा बुखार उतार दिया झटके में , भर फागुन में सरेआम लू उतार दी कमबख्तों की - अब ज़्यादा चूं चपड़ नही करेंगे
पांडिचेरी के उस ऑटो वाले की बात कल से दिमाग में कौंध रही है - "जो मेरे काम का नई - वो किसी काम का नई"
***
एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन अपने गधे को घर की छत पर ले गए जब नीचे उतारने लगे तो गधा नीचे उतर ही नहीं रहा था ।
बहुत कोशिश के बाद भी जब नाकाम हुए तो ख़ुद ही नीचे उतर गए और गधे के नीचे उतरने का इंतज़ार करने लगे ।
कुछ देर गुज़र जाने के बाद मुल्ला नसरुद्दीन ने महसूस किया कि गधा छत को लातों से तोड़ने को कोशिश कर रहा है मुल्ला नसरुद्दीन बहुत परेशान हुए कि छत तो नाज़ुक है इतनी मज़बूत नहीं कि गधे की लातों को बर्दाश्त कर सके दोबारा ऊपर भागे और गधे को नीचे लाने की कोशिश की लेकिन गधा अपनी ज़िद पर अटका हुआ था और छत को तोड़ने में लगा हुआ था ।
मुल्ला आख़िरी कोशिश करते हुए उसे धक्के देकर नीचे लाने की कोशिश करते रहे गधे ने मुल्ला को लात मारी और वह नीचे गिर गए। गधा फिर छत को तोड़ने लगा आख़िरकार छत टूट गयी और गधे समेत ज़मीन पर आ गिरी ।
मुल्ला काफी देर तक इस वाक़ये पर ग़ौर करते रहे और फिर ख़ुद से कहा कि कभी भी गधे को ऊँचे मकाम पर नहीं ले जाना चाहिये एक तो वह ख़ुद का नुकसान करता है, दूसरा ख़ुद उस जगह को भी ख़राब करता है और तीसरा ऊपर ले जाने वाले को भी नुक़सान पहुँचाता है ।
सौजन्य - वाट्स विवि [ गुजराती भाषा विभाग की प्रमुख डॉ Praxali Desai ]

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