Malnutrition in Shyopur, Khalwa and MP Govt , IIT Indore Day 14 Sept 16 and other posts from 9 to 15 Sept 16
नई दुनिया की ख़बरें आज के दिन
मैं कह रहा हूँ कई दिनों से आदिवासी हमारी प्राथमिकता नहीं है ना ही हम उन्हें विकास की धारा में देखते है। मप्र में पिछले 12 वर्षों में भाजपा सरकार ने जिस तरह से आदिवासियों के विकास का नाटक खेला है वह बेहद शर्मनाक है। अब जब दो मुख्य सचिव कह रहे है कि गाँवों में पानी, बिजली , सड़क नहीं है, खेती के साधन नही है, रोजगार नही, वन विभाग ने उन्हें जंगल से कुछ भी लेने से मना कर दिया है, एक कमरे में जानवरों के साथ नारकीय जीवन जी रहे है शिक्षा और स्वास्थ्य का तो छोड़ ही दीजिये, मूल सुविधाएं नही पानी नहीं शौचालय नही तो आप क्या ख़ाक विकास कर रहे है।
कांग्रेस ने तो इनका सत्यानाश किया ही, पर शिवराज सरकार ने सिर्फ इस्तेमाल किया और बर्बाद किया। आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते से लेकर तमाम भाजपाईयों ने आदिवासियों को जीते जी मार डाला। मप्र आदिवासी बहुल राज्य है , रोज बच्चे मर रहे है, लोग आजीविका के अभाव में पलायन पर जाने को मजबूर है, सारे ढाँचे चरमरा गए है पर बेशर्म सरकार को उद्योगपतियों की चाटुकारिता, सिंहस्थ में साधू सन्यासियों की पूजा अर्चना और भोपाल में संप्रदाय विशेष के महाराज जी के साथ अगले चुनावों में वोट बैंक जुटाने की पड़ी है। व्यापमं से लेकर खनिज और डम्पर तक के कुकांडों में फंसी सरकार के लिए ये आदिवासी कुछ नही है।
शर्म भी नही आती कि महिला हिंसा से लेकर कुपोषण तक में देश में अव्वल नम्बर पर रहने के बाद कुछ करने के बजाय घटियापन के कार्यों में सब व्यस्त है।
धिक्कार सरकार, मप्र सरकार निकम्मों की सरकार।
बस उम्मीद दोनों प्रमुख सचिवों से है जो बहुत ही संवेदनशील और अपने इरादों में पक्के है श्रीमती गौरी सिंह जी और श्री कंसोटिया जी, लंबे प्रशासनिक अनुभवों से लबरेज है और चाहे तो उन जिम्मेदार और नालायक मातहतों की खाल खींचकर भूसा भर सकते है जो इस पाप में शामिल है
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14 सितम्बर 16 को भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान
इंदौर में हिन्दी दिवस
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर ने आज हिंदी दिवस पर पहली बार अनुज अवधेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में हिंदी दिवस मनाया। हम तीन लोगों को आमंत्रित किया Bahadur PatelAshutosh Dubey और मुझे। साथ में थे हमारे मित्र Kedar Mandloi.
बेहद पारिवारिक माहौल में हुए उस कार्यक्रम में आई आई टी के बच्चों ने अपनी कविताएं पढ़ी जो सराहनीय थी और प्रशंसनीय। तकनोलॉजी की पढ़ाई कर रहे प्रथम वर्ष से लेकर शोध छात्रों ने जिस तल्लीनता और उत्साह से कविताएं पढ़ी और भागीदारी की वह हमारी उम्मीद से ज्यादा थी, प्रसन्नजीत जैन, मनीष छावरे, अतुल सक्सेना, सौरभ यादव, पीयूष जोशी, संदीप मीणा, अवधेश शर्मा, मोहित यादव, मनजीत यादव, सुनील गुर्जर, गौरव पाण्डेय, आकाश यादव, सत्यजीत मीणा राजेन्द्र सिंह राजपूत और सतीश शर्मा की कविताएँ हम औचक से सुन रहे थे। बाद में हमने अपनी कविताएं पढ़ी और एक नई दुनिया से छात्र वाकिफ हुए। इस अवसर पर पहली बार छपी पत्रिका "श्रृंखला सृजन की" का भी हम लोगों ने विमोचन किया। अफसोस यह था कि कोई लड़की वहाँ पाठ करने नहीं आई थी, दूसरा अभी इंदौर में बच्चियों की संख्या नगण्य है.
नए कैम्पस और निर्माणाधीन भवन में हम बहुत आशाएं और उम्मीदों के साथ लौटे है और आश्वस्त है कि हमारे ये टेक्नोक्रेट बच्चे निश्चित ही हमसे बेहतर रचेंगे और बुनेंगे। बहुत प्यार और सम्मान पाकर हम सब अभिभूत है और अंत में अवधेश के घर जो प्यार से हलवा खाया वह ताउम्र याद रहेगा, अवधेश की धर्मपत्नी डा मिनी शर्मा ने बहुत स्नेह और अपनत्व से जो आवभगत की , वह इस निष्ठुर होती दुनिया में बिरला उदाहरण है।
कविता पुरस्कार में हमे चुनना मुश्किल था पर फिर हमने सबको बधाई देते हुए होनहार और गंभीर व्यक्तित्व के धनी अनुज Gaurav Pandey को प्रथम और मनीष छावरे को दूसरा स्थान दिया। यह निर्णय करना बहुत कठिन था क्योंकि सब अच्छे थे।
सबको बधाई और बहुत सारा प्यार इस उम्मीद से कि तुम सब लोग हमारी आशा और विश्वास हो मित्रों।
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