कविता की जमीन पर एक नया विमर्श, भाषा, विन्यास और कल्पना के साथ बेहद संजीदा किस्म की कविता लेकर आते है Umber R. Pande . इधर कविता को लेकर थोड़ी सी समझ विकसित करने की कोशिश कर रहा हूँ, सफर में नामवर जी की किताब नई कविता के प्रतिमान रख ली थी जिससे दृष्टि साफ़ हो सके क्योकि उस दिन देवताले जी और मदन कश्यप जी से बात करते बदलते शिल्प और समझ को लेकर काफ़ी बात हुई थी। अगर उन्ही प्रतिमानों और खत्म होती जा रही कविता की बात करें तो यह अनुष्ठान अब नए सिरे से सृजित करना होगा और सब पुराने क ो लाल दफ़्ती में बांधकर मैले कुचैले कोनों में रखकर किसी शोधार्थी को कभी काम आ सके , उस भर लायक रखकर कवियों के साथ ही विलोपित कर देना होगा। क्योकि बात शमशेर, मुक्तिबोध से शुरू होकर अम्बुज, राजेश जोशी से होते हुए एकदम विचारधारा में जकड़े और पैठे हुओं के बीच खत्म हो जाती है पर अब समय है Anuj Lugun से लेकर Jacinta Kerketta Aditya Shukla और अम्बर का और हमें यह स्वीकारना ही होगा और अब अगर "सबसे नई कविता के प्रतिमान" या पैमाने खोजने या बनाने है तो इनकी भाषा में रचा जा रहा सब कुछ समझना...
The World I See Everyday & What I Think About It...