भागती-हांफती और दौड़ती और लगभग अपने चरम पर पहुंचकर पूर्ण आकार लेती जिन्दगी में क्या अधूरा रह जाता है कि हम मोह से मुक्त नहीं हो पाते और बस एक आह भरकर फिर से एक "विश लिस्ट" बनाने बैठ जाते है.....
यह विश लिस्ट ही जीवन है या पूर्ण विराम के मुहाने पर खड़े हांफते हम जो लगातार मिट्टी में मिलने को तत्पर बस यूँही इंतज़ार कर रहे है???
मिट्टी, हवा, पानी और हर वो चीज जो हमें विलोपित कर देगी और एक दिन यहाँ से गुजर कर हम लोग भी काल कलवित हो जायेंगे, जैसे हो जाती है एक मासूम चिड़िया और एक बाज, जैसे ख़त्म हो जाते है सिकंदर और चंगेज, जैसे ख़त्म हो गए सपने और चंद मीठे ख्यालात ........आमीन !!!
Comments