मालवा के देवास, पीथमपुर से लेकर लेबड घाटा बिल्लोद या सीहोर तक देखिये उद्योगों को, सीहोर की गन्ना फेक्ट्री, क्षिप्रा के बरलाई की गन्ना फेक्ट्री, इंदौर के मिलें, उज्जैन की विनोद मिल, और आसपास के अनेक उद्योग जो बंद हो गए और हर घर में बेरोजगारों की फौज इकट्ठा हो गयी है जो आये दिन हिंसा और तनाव का निर्माण करती है, यही बेरोजगार और तनाव ग्रस्त लोग महिलाओं पर हिंसा कर रहे है, आये दिन चैन चोरी, डकैती, बलात्कार और लूट की घटनाएँ बढ़ रही है.
उद्योगों के बंद होने से घर घुट गए है, परेशान लोग और मुसीबतों में पड़ गए है, ना उजाला है ना कोई संभावना, दिक्कत ये है कि इन अँधेरे गलियारों में कोई चकाचौंध नहीं है और इन बेबस घरों में कोई झांकने नहीं जा रहा, बच्चे कुपोषित हो रहे है, और युवा टुकुर टुकुर आँखों में सपने लिए अंधे हो गए है, कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आती, धूर्त और चालाक एनजीओ इन्ही के नाम पर कौशल उन्नयन, दक्षता और विकास के नाम पर अपनी दूकान चला रहे है, नतीजा यह है कि हर तीसरे घर में छोटी मोटी किराने की दूकान खुल गयी या कुछ और इसी तरह का काम...
प्रदेश में पिछले दस बारह वर्षों में सिवाय लफ्फाजी के कुछ नहीं हुआ, दिग्विजय सिंह जो भट्टा दो कार्यकालों में बिठाया था, उसी को आगे बढाते हुए इस सरकार ने पूरा खाता ही डुबो दिया और नौटंकी में माहिर ये सिद्ध हस्त निपुण और पारंगत लोक सेवक और किसान पुत्र भ्रष्टाचार और विदेश भ्रमण में व्यस्त रहते हुए खुद की तरक्की करते रहे, ग्लोबल मीट के बहाने अपनी छबि सुधारते रहे बस, .......इससे मुंह नही मोड़ा जा सकता विकास जरुर हुआ पर किसका यह भी सब जानते है, लोगों ने, नेताओं ने इंदौर बेच दिया, भोपाल बिक गया, पेंशन खा गए, रेत खा गए और व्यापम घोटाले में जिन्दगी खा गए......अब क्या क्या कहूं....
एक बार प्रदेश के यशस्वी और बेटियों के मामा जी यानी मुख्य मंत्री पिछले दस बरसों में अपने घर पर की गयी तमाम तरह की पंचायतों की समीक्षा कर लें कि कितने हेल्प लाइन नंबर शुरू हुए और कितने हाथ ठेला चलाने वाले,या हम्मालों को या कुलियों को कुछ काम मिला या बैंकों ने लोन दिया, कितने कारीगरों को ठोस नियमित रोजगार मिला या कुछ और भला हुआ, सिवाय घोषणा और घोषणा के क्या है उपलब्धि इस सरकार की, यहाँ कमेन्ट करने के पहले एक बार दिल से सोच लें, फिर आपके विचारों का स्वागत है, थोड़ा दलगत उठकर खुले दिमाग से सोचे और प्रदेश की हालत देखे आज भी हर मामले में सबसे आगे है कुपोषण, मात्र मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, बलात्कार, अपराध या घोटालों में भ्रष्टाचार में या भारतीय प्रशासनिक सेवा के अरविंद टीनू जोशी जैसे नालायकों को दण्डित करने में अभी भी कोई कदम नहीं उठा रहे, चपरासी से लेकर पटवारी और कलेक्टरों के घरों में रूपया गिनने की मशीने खराब हो गयी यही है सुशासन ?? ....सभी जगह हमारी स्थिति निकृष्ट है फिर किस मुंह से बात कर रहे है हम ग्लोबल मीट की और उद्योगों को संरक्षण देने की एक खिड़की के नीचे सारी सुविधा देने की, एक बार लोक सेवा केन्द्रों को जाकर देख लीजिये फिर सब समझ आ जाएगा........
"खैर, नो निगेटिव कमेंट्स प्लीज़, संदीप नाईक, अभी जूते खाओगे भक्तों से..."
कल मामाजी ने कहा कि छोटे उद्योग मेरे छोटे बेटों जैसे है , भगवान ना करें, जबसे आपने बेटियों को गोद लिया है प्रदेश का नाम देश में महिला उत्पीडन में सबसे आगे हो गया है , अब कम से कम उद्योगों को बख्श दीजिये.......भगवान् के लिए !!!
कांग्रेस सरकार में तो राबर्ट वाड्रा नामक जंतु ही दामाद था जो अकेला देश की जमीन हड़प रहा था परन्तु अब तो अम्बानी बंधू, अडानी, टाटा, गोदरेज, मुंजाल, वेदांता मित्तल से लेकर तमाम देशों के राजदूत भी इसी श्रेणी में खड़े है और सरकारें इन्हें दिल खोलकर सब कुछ लूटा देने पर आमादा है. खाने पीने से लेकर रहने और विशेष रियायत देने तक का काम अब एक ही खिड़की के तले होना है. ये सब किसी ना किसी मामले में फंसे है चाहे उड़ीसा में वेदांता हो, थ्री जी में अम्बानी या कोल ब्लाक आवंटन में और कोई, पर कौन बोलेगा, जो बोलेगा वो मरेगा उसे हम सब मिलकर गरियायेंगे और कहेंगे कि साला मोदी के खिलाफ बोलता है, विकास के खिलाफ है और देशद्रोही है. और अब थोड़े दिनों में मेडिसिन स्क्वेयर के भाषण झेले लोग भी जमीन माँगते नजर आयेंगे, आईये यहाँ लगाईये रूपया पैसा.
चंद्रकांत देवताले जी की एक कविता थी " भाषण दे माई बाप, हम छाती ताने बैठे है"
भारत माता की जय.
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