किसी और समय, पुरूष या स्त्री, या राहगीर बनके/ फ़िर लौट आऊंगा मैं/ जब मैं जीवित न रहा/ यहाँ गौर से देखना मुझे, यहाँ ही देखना/ बिखरे हुए पत्थरों और फैले हुए समुन्दर के बीच/ झाग में से तेजी से गुजरती रौशनी में/ देखना, यहीं प्यार से देखना मुझे/ क्योंकि यहीं चुपचाप लौट आऊंगा मैं/ निःशब्द, बेजुबान पर पाक पवित्र/ यही भंवर में घुमते पानी/ के न टूट सकने वाले दिल में होऊंगा मैं/ यहीं मैं तलाशूंगा तुम्हें और फ़िर गुम हो जाऊंगा/ यहीं शायद मैं एक पत्थर होऊं/ या रहस्यमयी खामोशी में छुपा होऊंगा मैं.
-पाब्लो नेरुदा
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