हाल ही में मैं तमिलनाडु के इरोड जिले में गया था वहां से सत्यमंगलम के जंगलो में गया था । ये इलाका पुरी तरह से वीरप्पन का इलाका था जो आज भी हाथी और वीरप्पन के नाम से जाना जाता है ।
दूर घने जंगलो में एक छोटे से टपरे में इस महिला ने मुझे जो खाना खिलाया था वो दुनिया भर के पॉँच सितारा होटलों से लाख गुना बेहतर था और सिर्फ़ पच्चीस रुपये में .............और उसे वो भी मांगने में संकोच हो रहा था
मुझे माँ की याद आ गई ............... माँ भी ऐसी ही थी कभी कोई मेरे घर से भूखा नही गया आजतक
ये ब्लॉग इसी अन्नपुर्णा को समर्पित है ..................
जब तक ऐसी अन्नापुर्नाये जिन्दा है तब तक कोई भी भूखा नही रह सकता ......... ये मेरा विश्वास है
धन्य है भारत भूमि की माताये, बहने और ऐसी अन्नापुर्नाये .................
शत शत प्रणाम.......
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