प्रभाष जी का जाना देवास के लिए एक बड़ा शून्य
प्रभाष जोशी मेरे अपने गृह जिले के रहने वाले थे। शिप्रा के पास एक गांव है सुनवानी महाकाल। वहीं के थे। कल रत जब आशेंद्र के एक छात्र हरिमोहन बुधोलिया ने रात तीन बजे फोन किया तो में सो रहा था। दो बार अनजान नंबर से कॉल आया तो लगा की कोई परेशान है और कुछ कहना चाहता है। सो फोन उठा लिये। हरि ने कहा की दादा, प्रभाष जी नहीं रहे। मैं तो हैरान रह गया। तुंरत अपने देवास के दोस्तों को मैसेज कर दिया। भोपाल के भास्कर में, पत्रिका में, नईदुनिया में मैसेज किया। रात को किसी को उठाने में भी डर लगता है। हरी ने यह भी बताया था कि अंतिम क्रिया उनके गांव में ही होगी, सो मैंने बहादुर को भी कहा कि यार गांव के सरपंच को बता देना ताकि इंतज़ामात हो सके।
हाल ही में मैं छतरपुर गया था। वहां प्रभाष जी की बहन से लंबी बातें हुई थीं। फिर उन्हीं के बेटे के साथ पीतांबरी पीठ भी गया था। प्रभाष जी की बहन ने प्रभाष जी के बारे में काफी सारी बातें बतायी थीं और मैं भी मालवा का होने के कारण उन्हें जानता था। यह मेरे लिए बहुत ही दर्दनाक ख़बर थी। जिन लोगो से मैंने बुनियादी संस्कार लिये थे दुनियादारी सीखने-समझने के, वे धीरे-धीरे दुनिया को अलविदा कह रहे हैं। हाल ही में नईम जी नहीं रहे। देवास के माहौल में कुमार गंधर्व, नईम का होना और आसपास के माहौल में राहुल बारपुते, बाबा डीके, विष्णु चिंचालकर यानि कि गुरुजी जैसे लोगो के सान्निध्य में मैंने और हम जैसे लोगों ने काफी कुछ सीखा है। आज जब ये वटवृक्ष ढल रहे हैं या ढल चुके हैं तो मन बहुत उदास हो जाता है कि अब हम जैसे लोग कहां देखें? किसको देखें? क्योंकि अब कोई नज़र आता नहीं।
देवास के लिए तो ये दुःख की बात है ही, पर पूरे पत्रकारिता जगत के लिए बहुत ही बड़े शून्य की व्युत्पत्ति है ये खबर…
प्रभाष जी को हार्दिक प्रणाम और श्रद्धांजलि…
संदीप नाईक
देवास, भोपाल से
Comments
Nishchit hi Prabhash ji ka jana Malwa ke Liye hi nahi apitu Pure Bharat ki patrakarita jagat ke liye ek Gahra Shoonya paida kar Gaya hai...
Rajesh Sharma,
Freelance Jernalist Dhar MP