73 वें सँविधान संशोधन अधिनियम को 23 अप्रैल 1993 को संसद ने पास किया था और मप्र पहला राज्य बना था जिसने इसे लागू किया था इसके क्रियान्वयन के बाद मैंने तत्कालीन पंचायत सचिव श्रीमती अनिता दास, यूनिसेफ के राज्य प्रभारी मनु कुलकर्णी और कुछ संस्थाओं के साथ मिलकर पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण मॉड्यूल का लेखन, परीक्षण और फिर उन्हें फाइनल करने में महत्वपूर्ण काम किया, बिंदिया थापर ने बहुत सुंदर चित्र बनाएं थे - किसी को याद हो तो, बाद में मैंने एक अंतरराष्ट्रीय फंडिंग एजेंसी के राज्य प्रमुख का दायित्व निभाया और देश के अलग - अलग राज्यों में 50 हजार से ज़्यादा महिला जन प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण और क्षमता वृद्धि का काम किया जिस तरह से इस पंचायत राज्य अधिनियम में 29, 30 विभागों को पंचायतों को सौंपा गया था और जिस विकेन्द्रित विकास की क्रांतिकारी परिकल्पना की गई थी, वह तो सरकारों ने ध्वस्त कर दी और पंचायतों को कमज़ोर कर दिया , आज पंचायती राज में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, घटिया राजनीति, लड़ाईयां, सांप्रदायिकता, गैर जवाबदेही जिस तरह से बढ़ी है - वह बेहद निराशाजनक है, प्रशासन आज भी हावी है और पँच, सरपंच ...
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