|| 30 जनवरी के सुख || 30 जनवरी दुनिया बापू को याद करती है और मैं माँ को कि माँ की आज जन्मतिथि है , एक दिन हम सबको तारीखों में बदल जाना है और समय सबको तारीखों में भी भुला देगा सबसे ज्यादा दुख तब होता है जब हम जन्मदिन और मरण दिवस में कन्फ्यूज हो जाते है और शिद्दत से याद करके दोनों का अंतर समझ पाते है और एक दिन ऐसा आता है कि हम अपने ही लोगों के जीवन के ये महत्वपूर्ण दिन भूलने लगते है और जब यह शुरू हो जाये तो समझ लीजिये कि आपका अंत भी अब आने को ही है माँ के साथ आखिरी दिनों में पूरे समय साथ रहा था जैसे पिता के साथ था अस्पताल में, भाई के साथ था डायलिसिस करवाते हुए, माँ का तो ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन था सुयश अस्पताल, इंदौर - में दस दिन और बाद में देवास के संस्कार अस्पताल में जहां के डॉक्टर पोस्ट केयर नही कर पाए थे, बाद में मालूम पड़ा कि डॉक्टर श्रीकांत रेगे, जो मुख्य सर्जन थे माँ के केस में - ड्रग ट्रायल के मामले में फंसे थे, उन पर प्रतिबंध था - कहानियाँ कई थी, अस्पताल में फंस जाने के बाद जीवन में लौट आने की उम्मीद करना पागलपन है, निजी अस्पताल पीड़ा है, संत्रास है और वीभत्सता के यातना गृह...
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