भारत में कितने भारतवंशी लोग है जो दुनिया में अपने हूनर का डंका पीट रहे है ये बेचारे अपने जिले, गाँव और देश के बच्चों, महिलाओं और युवाओं के स्वर्णिम भविष्य के लिए काम करने वाली एनजीओ को रूपया देते है लाखों-करोड़ों में इस नेक नियति के साथ की सच में ये एनजीओ काम करेंगे और देश के लोगों को प्रगति के पथ पर ले जायेंगे. परन्तु उन्हें क्या मालूम कि ये एनजीओ उनसे मोटी रकम ऐंठकर अपनी जिन्दगी सुधार लेते है, जिन लोगों को कोई काम धाम नहीं मिलता वे करोड़ों रूपयों की एकड़ों जमीन खरीद कर अपने बुढापे का इंतजाम कर लेते है, इन भ्रष्ट और मक्कार लोगों का काम सिर्फ इन भारतवंशियों का सिर्फ भावनात्मक शोषण होता है पर जमीन पर काम ना ये कर पाते है ना कुछ करना चाहते है.
सिर्फ रूपया लेकर ये दो कौड़ी के लोग हवाई यात्राओं और तीन स्टार होटलों में ऐयाशी करने में जुट जाते है, सिवाय बकवास और बिजिनेस के कुछ नहीं करते. सरकार को चाहिए कि इस तरह से स्रोतों से आने वाले धन पर प्रतिबन्ध लगाएं और इन तथाकथित रूप से काम करने वाले भ्रष्ट और मक्कार संगठनों पर रोक लगाए. मेरी जानकारी में ऐसे कई भारतवंशी है जो बेचारे करोड़ों रूपये गरीब बच्चों की पढाई के लिए दे रहे है किताबे और पाठ्यसामग्री छपने के लिए दे रहे है, पर इन एनजीओ ने ना कुछ छापा- ना ही सामान वितरित किया, बल्कि इनके कार्यकर्ता लाखों रूपया सिर्फ और सिर्फ गांजे भांग और शराबखोरी में उड़ाकर फ़ालतू की बकवास करने में व्यस्त रहे.
सोच रहा हूँ भारतवंशियो को इनकी हकीकत बता ही दूं ताकि वे कम से कम इस मुगालते में ना रहे कि उनके रूपये का सही उपयोग हो रहा है. सिर्फ इस मामले में अजीम प्रेम जी का फैसला सही नजर आता है कि उन्होंने इन एनजीओ को एक चवन्नी नहीं दी और खुद खर्च कर रहे है अपने तंत्र बनाकर, इसलिए देश भर के कुछ मशहूर टुच्चे कंसल्टेंट्स और सारे भुक्कड़ एनजीओ नाराज है क्योकि इनके नवाचार और व्याभिचार वहाँ बिक नहीं रहे है.
बीमारू राज्यों का नाम लेकर धंधा करने वाले और दुनियाभर से भारतवंशियों से रूपया एंठने वाले कंसल्टेंट्स से बड़ा गद्दार कोई नहीं है मेरा बस चले तो इन्हें काले पानी की सजा देकर हमेशा के लिए देश निकाला दे दूं. ये देश के निकृष्टतम राजनेता से ज्यादा गिरे हुए लोग है जो गरीब, दलित, आदिवासियों और समाज के हाशिये पर पड़े लोगों के उत्थान के नाम पर दुनियाभर से रूपया बटोरते है और फिर हवाई यात्राओं, महंगे होटलों, सुरापान, गांजे और अपने नाम की जमीन खरीदकर समाज सेवा का धंधा चलाते है. ऐसे गद्दारों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए और इनकी नागरिकता खारिज होना चाहिए इनके अवदान को देखा जाए तो सिवाय सुविधा, कंसल्टेंसी और यश की भूख और कूड़ा कचरा है लिखने के नाम पर. सबको अफ्रीका भेज दो या सूडान या साईबेरिया- जहां पीने को पानी नसीब ना हो. कम से कम हमारा देश और यहाँ के गरीब लोग इनकी चालबाजियों तो सुरक्षित रहेंगे, इनके घटिया नवाचार और व्याभिचार से तो बचेंगे.
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