चेन्नई यानि की मद्रास से मेरा बहुत पुराना रिश्ता है मुझे याद पड़ता है १९८२ में पहली बार अपना राष्ट्रपति पुरस्कार लेने गया था बड़ा सा मैदान था किसी क्रिश्चियन संस्था में कार्यक्रम था । जाने के पहले हम लोगो ने सोचा यहाँ तक आए है तो तिरुपति बालाजी भी हो चले। सो वहा भी चले गए थे तब तमिलनाडु में ऍम जी रामचंद्रन का शासन था और अमूमन पुरे तमिलनाडु में हिन्दी का विरोध अपने शबाब पर था । हम लोग तिरुपति में सबको देखकर कबीट कबीट चिढा रहे थे क्योकि दक्षिण में तिरुपति में बाल देने का रिवाज है और हमारे लिए यह आश्चर्य जनक था क्योकि महिलाओं को बाल देते कभी देखा नही था। खूब मार खाई थी फ़िर हमारे स्काउट मास्टर ओंम प्रकाश जोशी ने पुलिस थाने में जाकर बताया की ये बच्चे राष्ट्रपति पुरस्कार लेने आए है तब कही जाकर तमिलनाडु पुलिस ने हमें एक विशेष वन में बिठाकर नीचे ले जाकर छोड़ा। आठ दिन में उस लंबे मैदान में समय कब निकल गया पता ही नही चला हां आज पहली बार कह रहा हूँ कि मेघालय कि एक लड़की मेरी जोसफ से पहली बार मिला था और शायद जिसे पहली नज़र का प्यार कहते है हुआ था । जाते समय बहुत रूअंसासा हो गया था और ...
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