देवास मेरे लिए सिर्फ इसलिए एक शहर नहीं है कि मै यहाँ का हूँ बल्कि इसलिए कि इस शहर मे रहकर बाबा (पंडित कुमार गन्धर्व) ताई वसुंधरा कोमकली, नईम जी, प्रभाष जोशी, डा प्रकाशकान्त, जीवन सिंह ठाकुर, ओम वर्मा, ब्रजेश कानूनगो, डा सुनील चतुर्वेदी, मोह न वर्मा, दिनेश पटेल, अफजल, बी आर बोदडे, निर्मला बोदडे, प्रभु जोशी, प्रिया-प्रताप पवार, बहादुर पटेल, सत्यनारायण पटेल, देव निरंजन, मनीष वैद्य, भुवन कोमकली, देव कृष्ण व्यास, शशिकांत यादव, राजकुमार चन्दन, मनोज पवार, राजेश जोशी, हरीश पैठनकर, गजानन पुराणिक, प्रहलाद टिपानिया, कैलाश सोनी, अम्बुज सोनी, मनीष भटनागर, डा शारदा प्रसाद मिश्रा, और ना जाने कितने ऐसे लोग है जो कला की दुनिया के शिखर पुरुष रहे है और है, और आज भी सक्रिय है. यह शहर मुझमे दौडता है आज लखनऊ मे हूँ पर हर पल यही लगा रहता हूँ जो कुछ भी सोचता और करता हूँ इस शहर के संस्कार और मूल्य मुझे हर बार नया कुछ सीखाते रहते है. ई एम फास्टर और भोजराज पवार से मैंने अंग्रेजी का साहित्य सीखा और कुमार जी ने राहुल बारपुते, बाबा डिके और विष्णु चिंचालकर से मिलवाया. कल शाम को मैंने कहा भी कि अगर ये चार-पांच लोग म...