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कुमार स्वामी का नही rahna

एक अच्छे दोस्त कुमार स्वामी का १७ जुलाई को देहांत हो गया यह ख़बर आज श्रीलक्ष्मी के मेल से मिलीकुमारमेरे सिर्फ़ दोस्त थे बल्कि उन्होंने मेरे जाले साफ़ करने में बहुत मदद की थीकुमार की दिलकश हंसी और तल्ख़ताने बस अब यादें ही रह गई है उनकी बेटी गायत्री बंगलोर के किसी कॉलेज में पढाती हैफिलोमिना कुमार औरकुछ दोस्तों ने ऐकिया में एक ट्रेनिंग सेण्टर शुरू किया था और कालांतर में वह सेण्टर एक अड्डा बन गया था जहाँदुनिया भर के नवाचारी लोग बाग आते रहते थे और अपनी समझा बनाते थेमेरी यद् में कुमार भोपाल दिल्लीबंगलोर और नासिक तक समाये हुए है होटल के कमरों में अक्सर हम साथ रूककर बियर उडाते थे और फ़िरसमाज कार्य की माँ भैन करते थे कुमार को दिखावा और झूठ से सख्त नफरत थी और वो हुन्गेर प्रोजेक्ट में कामकरने वाली पेज की औरतो की भी असलियत बताया करते थे और जम कर ठहाका लगते और कहते की दिल्लीमें सोशल वर्क करने वाली ये औरते क्या जाने की गाँव की औरतो के दुःख दर्द क्या है और महिला सरपंच पंच केबहाने ये रुपया जुगाड़ करती है और हवा में घूमकर ये देश का भला करेंगी ........ कुमार ने मेरे कई जाले साफ किएहै और कहा की ये समाज सेवा अब चरिटी नही बल्कि अब धंधा बन गया है किसी को मत छोड़ना ये सब जानते हैकी ये क्या कर रही हैकुमार का जन मेरे लिए एक अपुर्नीय क्षति हैश्रीलक्ष्मी तुमने आज सुबह सुबह कैसीख़बर दे दी अब शाम को कुमार की याद में एक बोत्तल बियर की तो बनती ही है .....
२०//09

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आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

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