पुरानी बात है बहुत, आज अग्रज Vishnu Nagar जी ने एक पोस्ट विमोचन को लेकर लिखी है तो कुछ याद आया ___ हमारे यहां देवास जिला कोषालय में एक जिला कोषालय अधिकारी थे - सक्सेना जी, अच्छे किस्म की कविताएं लिखते थे प्रतिदिन, एक बार उनके संग्रह का विमोचन हुआ तो मैंने नईदुनिया में अधबीच लिखा था "कोषालय के कवि की कविता की किताब का केशलोचन समारोह" कोई वरिष्ठ- गरिष्ठ टाइप सज्जन आए थे - केशलोचन समारोह में ___ अब तो ना नईदुनिया रहा, ना अधबीच और ना वो केश लोचन वाले कवि, कुछ घटिया किस्म के व्यंग्यकारों का एक पैनल बन गया है - जो किसी ईश्वर नामक देवदूत टाइप नौसिखिया संपादक की चरण रज लेकर छप रहे है आज ही सुना कि जयपुर के एक लब्ध प्रतिष्ठित कवि - जो पटना में किसी के घर रहकर रेजिडेंट लेखक बने हुए थे, किसी महिला कवि का देहलोचन कर भाग गए है और ये सज्जन सात वर्ष पूर्व भी ऐसे ही किसी कांड में उलझे थे, मै पटना में था, पांच दिन, मिलने का सोचा था, बात भी हुई थी, पर काम और ट्रैफिक के कारण उतनी दूर गया नहीं, इधर पटना के ही अपने आलोक धन्वा है ही मस्त इन दिनों पटने पटाने में फेसबुक वाल देखकर लोग मदन-मदन हुए ...
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