The Railway Men थोड़ी अतिशयोक्ति थोड़ी वास्तविकता और थोड़ी रंजकता के साथ भरी एक बार देख डालिये "द रेलवे मेन", पुराने रेलवे तंत्र, व्यवस्थाओं, और बस्तियों की बनावट से लेकर लोगों की नैतिकता और वास्तविक चरित्र को समझने के लिए यह एक बेहतरीन डाक्यूमेंट्री है के के मेनन, माधवन, जूही चावला के संग साथ इरफान के पुत्तर बाबिल का अभिनय कमाल है और जब वह कहता है "यह मेरी बस्ती है तो सारे जाले साफ़ हो जाते है" फर्जी देशभक्तों को यह देखना चाहिये और आश्चर्य यह है कि गिरोह के लोगों के कोई फोटो मुझे याद नही पड़ते जो उस समय सेवा में लगे हो, बाकी तो हर अड़ी सड़ी दुर्घटनाओं में अपने प्रचार के फोटो चैंपने में उस्ताद है यह संगठित गिरोह भोपाल गैस त्रासदी के समय हम कालेज के पहले ही वर्ष में थे, एक मित्र की बहन उस समय वहां थी और पुरानी कुटुंब पार यानी एम्बेसेडर में उसके परिवार को लेकर आये थे देवास स्मृतियों में लाशों के अंबार, चीखें, क्रंदन और भयावह तस्वीरों के अलावा कुछ नही है, बाद में एकलव्य और भारत जन विज्ञान जत्थों के साथ एकलव्य द्वारा प्रकाशित पुस्तक " भोपाल गैस त्रासदी - जनविज्ञान का सवाल...
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