ic Azam Quadri और अकबर - क्या फ़िल्म बनाई है भाई #शहजादाअली अभिनय, फ्लो, निर्देशन, कहानी और डायलॉग - लगभग बीस सालों बाद बाल मनोविज्ञान और जीवन से जूझते परिवार, संघर्ष और बचपन की गतिविधियों को लेकर इतनी संवेदनशील और मन को छू लेने वाली कोई फ़िल्म देखी जिसके अंत में मन से सभी बच्चों के लिए दुआएँ निकलने लगती है - फ़िल्म के अंत मे दो आंसू अली के लिए निकल ही पड़ते है जब वह अपनी अम्मी और दोस्तो के संग रंग खेलता है यह फ़िल्म बाल मनोविज्ञान के साथ बड़े शहरों में आजीविका, काम काज, मकान की दिक्कतें, मुहल्लों के मजमें, कर्ज़, बच्चों के खेल, स्कूल, मदरसे, आपसी रिश्ते, बालमन की उहापोह, बाज़ार और मज़दूरी, शोषण और काम के सम्बंध, छोटे और एकल परिवार की दिक्कतें और मानवीय मूल्य तथा भावनाओं को बखूबी पेश करती है अली के रोल में बच्चे का अभिनय किसी बड़े कलाकार को मात दे दें और उसकी अम्मी का साड़ियों पर कसीदाकारी करते हुए उसे कहानी सुनाने का जो तरीका है वो अदभुत है - मुझे पुराने भोपाल की याद आई जहाँ मुस्लिम घरों में औरतें दिन भर कसीदे का काम करते हुए बच्चों को सम्हालती है या लखनऊ के चौक, अमीनाबाद में चिकन का ...
The World I See Everyday & What I Think About It...