पूरा मुहल्ला रात को दो बजे इकठ्ठा हो गया जब कविराज की पत्नी की भयानक कराहने, चिल्लाने की और दहाड़े मारकर रोने की आवाज सुनी सबने तो वर्मा जी ने धीरे से हिम्मत की भीड़ में - कविराज की श्रीमती से पूछने कि - " भाभीजी हुआ क्या , कोई चोर आया क्या " जमा भीड़ को अपने पक्ष में देखकर भाभीजी पहले तो दहाड़े मारकर फिर से पाँच मिनिट रोई, फिर चिल्लाकर बोली डेढ़ बजे से ये पूछ रहें है - " आवाज आ रही है, आवाज आ रही है, पता नही क्या हो गया, बार - बार चश्मा ठीक करते हैं, बाल सँवारते है ...आठ दिन हो गए अब " भीड़ खिसकने लगी थी और कविराज बड़बड़ाये जा रहें थे - बरामदे में खड़े, "आवाज़ आ रही है ........." # दृष्ट_कवि *** यादों की पोटली को सहेजकर रखिये - एक मुस्कान, एक संवाद या एक मुलाकात की पोटली जीवन को जीना सीखा सकती है - यह सूख गई या भीग गई तो सब बह जाएगा # भीगा_मन *** ग्रहण का शीदा दे दो सफाई वाली जोर जोर से आवाज लगा रही है - झाँककर देखा तो उसके दोनो बच्चे भी थे साथ मे , दोनो के हाथ मे दो - दो बड़ी बोरियां भरी हुई , कचरे की गाड़ी पर आज अलग बड़ी बोरी थी भर...
The World I See Everyday & What I Think About It...