"तुम्हारी सुलू" का टैक्स फ्री होना जरुरी _______________________________ कल जब फिल्म देखकर लौटे तो मनीष ने कहा कि घर चलकर एक कप चाय पीते है, इस ठन्डे मौसम में और बेहद ठंडी फिल्म देखकर एक कप चाय तो बनती है ना, घर जाते ही मनीष की पत्नी शक्ति ने ही जाते पूछा कि भैया फिल्म कैसी है "तुम्हारी सुलू " , तो मै दो मिनिट के सोच में पड़ गया कि क्या कहूं....... मेरी जानकारी में भारतीय फिल्म इतिहास में संभवतः पहली फिल्म होगी जिसमे एक भारतीय पत्नी पति को कहती है "सुनो पाँव दुःख रहे है , ज़रा दबा दो ना" और पति बनें मानव कौल बहुत सहज भाव से पत्नी के पैरों की हलके से मालिश करने लगते है. यह फिल्म का वह टर्निंग बिंदु है जो पूरी फिल्म का आगाज़ है और धीरे धीरे जेंडर, स्त्री अस्मिता, मायाजाल, बाजार, घर, परिवार, समाज, रिश्तेदारी, अपार्टमेन्ट की दुनिया, स्त्रियों का गिल्ट और स्त्री स्वतन्त्रता के बदलते मायने, रेडियो जैसे उपेक्षित माध्यम का एक ताकतवर माध्यम में उभरना और समाज के घटिया या निम्न वर्गीय चरित्रों का चित्रण आदि के बीच बच्चों की वाजिब चिंताएं और सरोकार...
The World I See Everyday & What I Think About It...