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Showing posts from 2025

30 Jan 2025 Mom's Birthday , Khari Khari , Man Ko Chithti - Posts from 24 to 30 Jan 25

30 जनवरी को माँ का जन्मदिन होता है, अब दैहिक रूप से संग साथ नही है पर हमेशा संग है जीवन में जब बहुत कुछ छूटता जाता है तो बहुत कुछ कही दर्ज होता जाता है और हमारे पास यही सब रह जाता है - स्मृतियों, भावनाओं और कुछ टींस के रूप में - समय घाव भरते तो जाता है धीरे - धीरे, वक्त बीतने के साथ दुख गाढ़ा नही रहता - बस जीवन इसके चहूँ ओर फैल जाता है कई बार शब्दों का भी टोटा पड़ता है और हम व्यक्त नही कर पाते है कुछ ... *** 25.06.1995 को Vinay Saurabh को बैतूल जिले के शाहपुर ब्लॉक से लिखा गया एक पत्र वो भी क्या दिन थे जब चिठ्ठियाँ आती जाती थी, पोस्टमेन का इंतज़ार रहता था और बग़ैर मिले-जुले भी सम्बन्ध बनते थे दोस्तियाँ आबाद होती थी मेरे पास खूब पत्र थे, खुद की डायरियाँ, कविताएँ पर 38 वर्ष की नौकरियों में शहर दर शहर और सामान उठाते जमाते हुए वह सम्पदा और धरोहर ही खत्म हो गई और आज विरासत के नाम पर अपने आपको समझाने के लिये ये फोटो ही शेष है जो मित्र भेज देते हैं बदरहाल, शुक्रिया वीनू *** 5 रू में एक किताब - 150 में तीस और 500 में 5000 हजार घर पहुंच कुरियर सेवा फ्री दीवाली ऑफर में 5 रू में दस किताब हो जायेंगी ...

Man Ko Chithti 23 Jan 2025

बचपन में एक चोट लगी थी, मुहल्ले के एक परिचित के यहाँ मुम्बई से एमएस शिंदे (प्रसिद्ध फ़िल्म शोले के एडिटर और जिन्होंने कई फिल्मों का एडिटिंग किया था, और उनका इंटरव्यू उस ज़माने में नईदुनिया के लिये लिया था और बाकायदा छपा था) और उनके बच्चे आये थे - गर्मी की छुट्टियाँ थी और हम दोपहर में खेल रहे थे - "ब्लाइंड फोल्ड" - जिसमें आँखों पर पट्टी बांधकर खेलते है, मैं टकरा गया था किसी कोने की ईंट से और दाहिनी आँख बच गई - भौंह पर बहुत गहरा घाव हुआ था, तत्काल डॉक्टर गोपाल बिन्नानी के यहाँ ले जाया गया ड्रेसिंग, टिटेनस का इंजेक्शन लगाया गया, कई दिनों तक स्कूल जाना बंद, चलना फिरना बन्द क्योंकि आँखों पर पट्टी थी पुराना जमाना था, घाव भरने को रुई की बत्ती भरी जाती थी , घाव तो ठीक हो गया एक डेढ़ माह में, पर निशान आज भी ताज़ा है उन दिनों इस बात का दुख तो बहुत हुआ था, पर घर रहा तो फिलिप्स का रेडियो सुना करता था, एक दिन बिजली चली गई तो उसी नीले रंग के प्लास्टिक की बॉडी वाले रेडियो पर जलती हुई मोमबत्ती रख दी, जलती हुई मोमबती कब रेडियो की ऊपरी सतह को छू गई मालूम नही पड़ा - थोड़ी देर में जब प्लास्टिक जलने की...

An Interview with Kalapini Komkali on 20 Jan 25

  संगीत का काम मोहिनी बिखेरना है – कलापिनी कोमकली -       संदीप नाईक से बातचीत - पूर्णत: मौलिक-मधुर और दमदार आवाज की धनी कलापिनी कोमकली का जन्म १२ मार्च को   देवास के पास शाजापुर में हुआ। कुछ बिरले सौभाग्यशाली लोगों में से एक कलापिनी को पण्डित कुमार गंधर्व एवं विदुषी वसुन्धरा कोमकली जैसे   माता-पिता गुरु के रूप में मिले , जिनसे उन्होंने संगीत का ज्ञान , तकनीक और व्याकरण विरासत में पाया। विशेष बात यह है , कि अपने गुरु के सान्निध्य में संगीत पाठ के दौरान उन्होंने मनन और सृजन का माद्दा भी हासिल किया। स्वरों की विस्तृत परिधि भावों को दर्शाने में पूर्ण सक्षम कलापिनी के गायन में ग्वालियर घराने की व्यक्तिगत छाप झलकती है। कलापिनी के रागों और बंदिशों का संग्रह मालवा अंचल की लोक धुनों और विभिन्न संतों के सगुण-निर्गुण भजनों से और भी अधिक समृद्ध हुआ है। पिछले एक दशक में वे एक प्रखर और संवेदनशील गायिका के रूप में उभरी हैं। उनकी प्रस्तुतियों में आत्मविश्वास , परिपक्वता है और एक सधी हुई कलाकार का सोच भी है। कला के उत्थान के प्रति समर्पित कलापिनी देवास मे...

A talk with Kalapini Komkali on A Snowy Evening - 20 Jan 2025

कितना कुछ था जानने को, कितना कुछ था समझने को और लगभग डेढ़ घण्टे तक हम लम्बी बातें करते रहें - कोई औपचारिक साक्षात्कार नही था पर जो बातें हुईं वे सारी की सारी निश्चित ही महत्वपूर्ण है और हम सबको समझना चाहिये विदुषी और ख्यात गायक, संगीत कला अकादमी के पुरूस्कार से सम्मानित सुश्री Kalapini Komkali जी के साथ एक लंबे समय बाद तसल्ली से बात हुई, उनकी शिक्षा,संगीत, सफ़र, संगीत की महफ़िलें, समकालीन परिदृश्य, स्व कुमार जी और स्व वसुंधरा जी का अभिभावक और गुरू के रूप में योगदान, मालवा की मिट्टी, हिंदी - मराठी - कन्नड़ भाषा और साहित्य संस्कृति के साथ किताबों का संसार - पूरी बातचीत में जिस तरह से वे भावुक हुई,बहुत उदार भाव से बड़े और ख्यात संगीतकारों को याद किया, संगीत साहित्य के रिश्तों को परिभाषित किया,अमेरिका से लेकर क्रेमलिन, मास्को, आस्ट्रेलिया, दुबई या देवास के कार्यक्रमों को डूबकर याद किया और सारी स्मृतियों को भीगकर याद किया - यह बेहद भावुक करने वाला था, मैं लगभग मन्त्र-मुग्ध भाव से सुन रहा था और सोच रहा था ये कौनसी कलापिनी है - निश्चित ही वह तो नही जिन्हें मैं 1975 से जानता हूँ जो नूतन बाल मन्दिर...