आज दिसंबर की आठ तारीख है, हे कवियों, कहानीकारों, धूर्त बूढ़े साहित्यकारों, संपादकों, हिंदी के ठेकेदार प्राध्यापकों, प्रकाशकों, पीएचडी के शोधार्थियों और युवा छर्रे लॉग्स - हिंदी की सन 2025 की श्रेष्ठ किताबें, रचनाओं की सूची कब शाया करोगे और अपने - अपने लोगों को अलंकृत एवं उपकृत करोगे, जल्दी करो - प्रकाशकों को माल खपाना है, 10 जनवरी से दिल्ली में मैला शुरू हो रहा है, गोडाउन का कचरा हटाना है - ताकि नया उजाला आ सकें, जल्दी करो बै, दीवाली में पांच हजार में पांच सौ नहीं बिकी, दस रूपए प्रति किताब वाला सेट नहीं बिका , अब तो प्रचार चालू करो रे #दृष्ट_कवि *** समाज कार्य में क्या ना करें - 7 _________ जस्टिस मेकर्स के नाम से मेला हो रहा जयपुर में, निगेटिव नहीं हूँ पर पिछले चालीस वर्षों के अनुभव के आधार पर कह रहा कि ऐसे मेले सिर्फ और सिर्फ नौटंकी और माल खपाने, नए ग्राहक ढूंढने, फेलोशिप के अवसर खोजने और मेल मिलाप के साधन होते है, कितने ही लोगों की पोस्ट देख रहा हूँ जो एनजीओ या मीडिया का फर्जी लेबल लगाकर ज्ञानी बन रहें है, ये सब तथाकथित सामाजिक विकास के क्षेत्र से है और फेलो है, इनकी ना कानून की सम...
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