लोमड़ी के प्रमेय - 1 ••••• जंगल में लोमड़ी की कोई औकात नही थी, लोमड़ी का स्वभाव ही तीखा और वीभत्स था, लोमड़े को अवैध रूप से छोड़कर अपना साम्राज्य बनाने की कोशिश में थी - पर ना हाथी, ना शेर, ना नीलगाय, ना जंगली सूअर और ना तोता, मतलब कोई घास नही डाल रहा था, सो हर समय भिन्नाई रहती और जंगल को नष्ट करने की योजना बनाते रहती आख़िर उसे समझ आया कि जातिवाद से बड़ा हथियार कोई और हो नही सकता - उसने एक गधे को साधा और अपने हुस्न के जाल में फाँसकर पहले प्यास बुझाई फिर उसे शेर, हाथी, हिरण, बारहसिंघा, बाज, उल्लू, तोते, चिड़िया और यहाँ तक कि चींटियों के ख़िलाफ़ भड़काया कि ये ऊँची जाति के जानवर तुम्हे उपेक्षित करते है, समय आ गया है कि तुम भी महान बनो, सत्ता हासिल करो और राज करो रामराज लाओ जंगल में इस गधे को प्रसन्न करने के लिये उसने कई तरह के शिकार किये - मैना, फ़ाख्ता, मुर्गा, गिलहरी, मछली, मगर, आदि को पकड़ा और पकाया , महुआ की शराब और पेड़ से उतरी ताड़ी के साथ गधे को खिलाया - ये सब दिव्य व्यंजन थे गधे के लिये, सो गधा लोमड़ी का हो लिया - बस लोट लगाते हुए गधे ने सब बड़े जानवरों को चुनौती देना शुरू कर दिया जब धोबी को गधे औ...
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