साथी लोग पूछ रहे है कि मै इतना अनुभवी, शिक्षित, और अंग्रेजी का जानकार होने के बाद भी और शिक्षा के काम का थोड़ा बहुत सामान्य अनुभवी होने के बार भी यूपी के लखनऊ में एक प्रोजेक्ट में "एडजस्ट" क्यों नहीं हो पाया और क्यों भला लौट आया??? जवाब बहुत साफ़ है कि मै निकम्मा और अयोग्य हूँ यह मैंने सीख लिया और फिर लगा कि व्यर्थ में अपने आपको खपाने से बेहतर है कि कही दूर चला जाए चापलूसों और मक्कारों की दुनिया से मै तो बिगड़ा था ही, कम से कम अपनी रचनात्मकता तो ख़त्म नहीं होगी उस घुटन और अँधेरे में, शिक्षा के नाम पर व्यवसाय करने वाले, गरीब बच्चों की शिक्षा के नाम पर गांजा, शराब और रूपये की हवस में अपने जमीर को डूबो देने वाले तथाकथित भ्रष्ट शिक्षाविदों और प्राथमिक शाला के मास्टर से कंपनी के मालिक बन बैठे गंवार और उज्जड लोगों से मुक्ति तो मिलेगी, लूले- लंगड़े और तोतले और अपने ही बेटों की ह्त्या करने वाले समाजसेवी , अपनी बीबी को तलाक देकर देश भर में मूल्य शिक्षा की बात करने वाले, कंसल्टेंसी के नाम पर सालों से दूकान चलाने वाले देश की प्रखर मेधा शक्ति, सिगरेट और दारु में मस्त महिलायें, छदम मीडिया के...