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Showing posts from December, 2025
जो लोग एक ही लक्ष्य के साथ जीते है - उनकी उम्र नहीं बढ़ती, यह देखाभाला अनुभव है, परन्तु वे बहुत महीन पीसने वाली मशीन भी बन जाते है - यह भी उतना ही सच है, जीवन एक ही है - लक्ष्य एक हो सकता है, परंतु यदि आपने जीवन को अनेकार्थी लक्ष्यों में नहीं लिया तो फिर आप इतिहास में जरूर अमर हो सकते है - किंतु एक अच्छे व्यक्ति के रूप में कभी किसी को याद नहीं रहेंगे, और सबको छोड़ भी दे तो आखिरी सांसों के समय निर्विकार भाव नहीं रहेंगे, सुखी मरने का अभ्यास करना जरूरी है और इसके लिए आपको विविधता में ही जीना होगा और इस मूल सिद्धांत को प्रकृति से सीख सकते है जहाँ अमीबा भी है और मनुष्य भी #मन_को_चिठ्ठी *** जिंदगी अक्सर हमें बुरी तरह से तोड़ती है, बिखेरती है और हैदस में डालती है, लगता है कि हम अब टूट ही जाएंगे, बिखरने के बाद लगता है अब कभी खड़े नहीं हो सकेंगे - परन्तु ऐसा नहीं है , हमें उन्हीं से सीख लेनी चाहिए जो तोड़ - मरोड़कर हमें अधमरा कर छोड़ देते है, जो हमें इतना गर्त में डाल देते हैं कि ऊपर आना मुश्किल हो जाता है, ऐसे समय में हमें अपने ही भीतर से प्रकाश के उस सोते को खोजना होगा - जो हमें अंधेरों को ची...

"स्मृतियों और निस्संगता का कोमल पाठ – “वीतराग” by Vasu Gandharva

" स्मृतियों और निस्संगता का कोमल पाठ – “वीतराग” __________ समकालीन हिंदी कविता के कोलाहल भरे समय में, जहाँ बहुत सी कविताएँ नारे और तात्कालिकता के शोर में खो जाती हैं, वहाँ युवा कवि Vasu Gandharv का पहला कविता संग्रह 'वीतराग' एक बहुत ही आश्वस्त और मन्द्र स्वर की तरह उपस्थित होता है. रजा फाउंडेशन की पहल पर सेतु प्रकाशन से आया यह संग्रह एक युवा मन की परिपक्वता का साक्ष्य है. वसु गंधर्व (जन्म 2001) अपनी उम्र से कहीं अधिक सधे हुए और गहरे अनुभव-संसार को लेकर हमारे सामने आते हैं. 'वीतराग' की कविताएँ पढ़ते हुए सबसे पहले जो बात आकर्षित करती है, वह है कवि का 'ठहराव'. यहाँ हड़बड़ी नहीं है, बल्कि चीज़ों को, रिश्तों को और समय को ठहर कर देखने की एक संयत दृष्टि है. वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी ने ठीक ही लक्षित किया है कि वसु की कविताओं में "स्मृतियों का अपना गल्प" सहेजने का जतन है. यह संग्रह प्रेम, परिवार, प्रकृति और एकांत के इर्द-गिर्द घूमता है, लेकिन इसमें एक दार्शनिक 'निस्संगता' (detachment) भी है, जो शायद संग्रह के शीर्षक 'वीतराग' को सार्थक करती है. ...