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Man Ko Chiththi, Khari Khari and Drisht Kavi - Posts from 2 to 27 March 2025

निर्मोही बने बिना चैन नही पड़ेगा, विरक्ति और त्याग ही तटस्थता लायेगा जीवन में और इसके लिये ज़रूरी है चिंताओं को छोड़ जीना शुरू करना, कल के अनिष्ट की चिंता , या आने वाले पलों की उद्दंडता भरी आशा ही असल में दुख का कारण है - अरे जो सबका होगा वो अपना भी होगा, कौन मनुष्यता और सभ्यता के विकास क्रम में हम पहले इंसान है बस एक ही जीवन है, इसे जी लो जी भर कर सारी वर्जनाएँ और प्रतिबद्धताएँ छोड़कर *** जॉर्ज बर्नाड शॉ का नाटक "केन्डीडा" याद आता है - जब उस युवा कवि यूजी मार्कबेंच और उसके पति रेवरेंड जेम्स मेवर मौरेल के बीच केन्डीडा को लेकर अगली सुबह ऑक्शन यानी नीलामी होने वाली है, जो इस जंग में जीतेगा - केन्डीडा उसके संग ताउम्र रहेगी, केन्डीडा उस युवा कवि यूजी को एक सुबह बगीचे से घर ले आई थी पर सुबह होने पर केन्डीडा को पता चलता है कि युवा कवि यूजी घर छोड़कर भोर में ही चला गया, वह जानता था कि वह जीत जायेगा और केन्डीडा का पति जेम्स इस कमज़ोर लड़ाई में हार जायेगा - लिहाज़ा युवा कवि यूजी, जो केन्डीडा को बेतहाशा प्यार करने लगा था, घर छोड़ने का फ़ैसला लेता है, यह अलग बात है कि सही क्या था और गलत क्या - पर...
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