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Khari Khari, Man Ko Chiththi - Posts from 1 Feb to 14 Feb 2025

कभी कभी थोड़ी सी लापरवाही या आलस जीवन भर का अफसोस बन जाता है, यह सिर्फ़ भुगत कर ही महसूस किया जा सकता है *** असुरों को हराने के लिये अप्सराओं की ज़रूरत होती है और यह बात समझने में बहुत लोग चूक जाते है, बेहतर है कि जितनी जल्दी हो समझ लें ताकि आप राज, समाज, सत्ता और अर्थ को भलीभाँति समझ सकें [ कृपया जेंडर से इसे जोड़कर ना देखें - इस समय अप्सराएँ खुद इस संवेदनशील और गहन उपयोग के लिये स्वयं तत्पर है ] #खरी_खरी *** दिल्ली पुस्तक मेले में हर दिन होने वाले विमोचन का होना शुभ है पर जो आलू बोल रहे है ज्ञान दान कर रहें है किसी भी विधा पर बग़ैर किताब पढ़े और मैला सा अंट-शंट बोल रहे है उसे आप एक बार ठहरकर सुन लें तो कसम से मेले से भाग जायेंगे दूसरा, विमोचन के फोटो देखिये ज़रा - बस 4,5 लोग जिनका केशलोचन हो रहा है वो पोस्ट हो रहा पर विपरीत दिशा में जो निर्वात है या पाठक या श्रोता है - वो नदारद है इसलिये उनके फोटोज़ नही है कुछ धाकड़ प्रकाशक एकदम से बूढ़ा गए है, थक गए है और उनके स्टॉल मरघट सी शांति लिये है और वे किसी हरिश्चंद्र की तरह इन मरघटों की चौकीदारी करते नजर आ रहें है - इनके लेखक ही कन्नी काटकर निकल गए ह...
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समाज कार्य में क्या ना करें Feb 2025 - Posts

2 एक ज़माना था जब ग़रीब, वंचित, पिछड़े लोग या महिला, विकलांग, बुजुर्ग और बच्चे निसहाय थे - चुप्पी का साम्राज्य था और दबंगई शिखर पर थी, पर आज ना कोई गरीब है ना असहाय या निहत्था या वंचित लोग एकदम अवसरवादी हो गए है और वे पहचानते है कि आपकी और आपके तथाकथित समाज कार्य की औकात क्या है, वे आपके आगे बीपीएल कार्ड नही होने का रोना रोयेंगे, राशन वाले की शिकायत करेंगे, आंगनवाडी में या स्कूल में भोजन ना मिलने की शिकायत करेंगे, पर सड़क - बिजली - पानी के लिये नेता या पार्टी कार्यकर्ता से ही बात करेंगे, शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये उनके अपने माईबाप है, मुफ्त वाली चीजे या पेंशन की बात करना हो तो वे अधिकारियों से बात करेंगे - कहीं से लाभ मिलने की बात हो तो वे आपसे बात करेंगे परंतु उनके योगदान या श्रमदान की बात करना हो तो कन्नी काटकर कर निकल जाएंगे, आप सिर फोड़ लो पर वोट कहाँ जायेगा यह वो गरीब ही तय करता है, आपका सारा समाज कार्य भोंगली बनाकर वह आपको ही अर्पित कर देता है लोग अब बहुत ज्यादा सयाने हो गए हैं और आप अभी भी पिछली सदी के समाज कार्य को लेकर गांव में जा रहे हैं, बैठके कर रहे हैं, और उन्हें अपनी...

30 Jan 2025 Mom's Birthday , Khari Khari , Man Ko Chithti - Posts from 24 to 30 Jan 25

30 जनवरी को माँ का जन्मदिन होता है, अब दैहिक रूप से संग साथ नही है पर हमेशा संग है जीवन में जब बहुत कुछ छूटता जाता है तो बहुत कुछ कही दर्ज होता जाता है और हमारे पास यही सब रह जाता है - स्मृतियों, भावनाओं और कुछ टींस के रूप में - समय घाव भरते तो जाता है धीरे - धीरे, वक्त बीतने के साथ दुख गाढ़ा नही रहता - बस जीवन इसके चहूँ ओर फैल जाता है कई बार शब्दों का भी टोटा पड़ता है और हम व्यक्त नही कर पाते है कुछ ... *** 25.06.1995 को Vinay Saurabh को बैतूल जिले के शाहपुर ब्लॉक से लिखा गया एक पत्र वो भी क्या दिन थे जब चिठ्ठियाँ आती जाती थी, पोस्टमेन का इंतज़ार रहता था और बग़ैर मिले-जुले भी सम्बन्ध बनते थे दोस्तियाँ आबाद होती थी मेरे पास खूब पत्र थे, खुद की डायरियाँ, कविताएँ पर 38 वर्ष की नौकरियों में शहर दर शहर और सामान उठाते जमाते हुए वह सम्पदा और धरोहर ही खत्म हो गई और आज विरासत के नाम पर अपने आपको समझाने के लिये ये फोटो ही शेष है जो मित्र भेज देते हैं बदरहाल, शुक्रिया वीनू *** 5 रू में एक किताब - 150 में तीस और 500 में 5000 हजार घर पहुंच कुरियर सेवा फ्री दीवाली ऑफर में 5 रू में दस किताब हो जायेंगी ...

Man Ko Chithti 23 Jan 2025

बचपन में एक चोट लगी थी, मुहल्ले के एक परिचित के यहाँ मुम्बई से एमएस शिंदे (प्रसिद्ध फ़िल्म शोले के एडिटर और जिन्होंने कई फिल्मों का एडिटिंग किया था, और उनका इंटरव्यू उस ज़माने में नईदुनिया के लिये लिया था और बाकायदा छपा था) और उनके बच्चे आये थे - गर्मी की छुट्टियाँ थी और हम दोपहर में खेल रहे थे - "ब्लाइंड फोल्ड" - जिसमें आँखों पर पट्टी बांधकर खेलते है, मैं टकरा गया था किसी कोने की ईंट से और दाहिनी आँख बच गई - भौंह पर बहुत गहरा घाव हुआ था, तत्काल डॉक्टर गोपाल बिन्नानी के यहाँ ले जाया गया ड्रेसिंग, टिटेनस का इंजेक्शन लगाया गया, कई दिनों तक स्कूल जाना बंद, चलना फिरना बन्द क्योंकि आँखों पर पट्टी थी पुराना जमाना था, घाव भरने को रुई की बत्ती भरी जाती थी , घाव तो ठीक हो गया एक डेढ़ माह में, पर निशान आज भी ताज़ा है उन दिनों इस बात का दुख तो बहुत हुआ था, पर घर रहा तो फिलिप्स का रेडियो सुना करता था, एक दिन बिजली चली गई तो उसी नीले रंग के प्लास्टिक की बॉडी वाले रेडियो पर जलती हुई मोमबत्ती रख दी, जलती हुई मोमबती कब रेडियो की ऊपरी सतह को छू गई मालूम नही पड़ा - थोड़ी देर में जब प्लास्टिक जलने की...

An Interview with Kalapini Komkali on 20 Jan 25

  संगीत का काम मोहिनी बिखेरना है – कलापिनी कोमकली -       संदीप नाईक से बातचीत - पूर्णत: मौलिक-मधुर और दमदार आवाज की धनी कलापिनी कोमकली का जन्म १२ मार्च को   देवास के पास शाजापुर में हुआ। कुछ बिरले सौभाग्यशाली लोगों में से एक कलापिनी को पण्डित कुमार गंधर्व एवं विदुषी वसुन्धरा कोमकली जैसे   माता-पिता गुरु के रूप में मिले , जिनसे उन्होंने संगीत का ज्ञान , तकनीक और व्याकरण विरासत में पाया। विशेष बात यह है , कि अपने गुरु के सान्निध्य में संगीत पाठ के दौरान उन्होंने मनन और सृजन का माद्दा भी हासिल किया। स्वरों की विस्तृत परिधि भावों को दर्शाने में पूर्ण सक्षम कलापिनी के गायन में ग्वालियर घराने की व्यक्तिगत छाप झलकती है। कलापिनी के रागों और बंदिशों का संग्रह मालवा अंचल की लोक धुनों और विभिन्न संतों के सगुण-निर्गुण भजनों से और भी अधिक समृद्ध हुआ है। पिछले एक दशक में वे एक प्रखर और संवेदनशील गायिका के रूप में उभरी हैं। उनकी प्रस्तुतियों में आत्मविश्वास , परिपक्वता है और एक सधी हुई कलाकार का सोच भी है। कला के उत्थान के प्रति समर्पित कलापिनी देवास मे...