◆ सब साज़ खामोश है ◆
मैं चला उस दो ग़ज़ जमीन को
जो मस्जिद के साये में
मेरी मुन्तज़िर है ......
जो मस्जिद के साये में
मेरी मुन्तज़िर है ......
शशि कपूर
ओम पुरी
सुषमा सेठ
नीना गुप्ता
शबाना आजमी
ओम पुरी
सुषमा सेठ
नीना गुप्ता
शबाना आजमी
"In Custody - मुहाफ़िज़" फ़िल्म देखकर आज का पूरा दिन उदास कर गया
भोपाल के एक शाइर के जीवन पर बनी यह फ़िल्म जितनी बार देखी आज उतना खुलती गई और अंत में मेरी झोली में एक सर्द शाम और अभिशप्त रात डालकर विदा हो गई
यह फ़िल्म नही जीवन है , इस्माईल मर्चेंट साहब आपकी यह फ़िल्म देखकर माजिद मजीदी साहब की भी बहुत याद आई Beyond the Clouds ऐसी ही एक फ़िल्म थी जो बहुत दिनों तक आत्मा पर बोझ बनी दुबकती रही
एक नज़्म आपके लिए
दिल ठहर जाएगा
दर्द थम जाएगा
ग़म ना कर, ग़म ना कर
दर्द थम जाएगा
ग़म ना कर, ग़म ना कर
ज़ख्म भर जाएगा
दिन निकल आएगा
ग़म ना कर, ग़म ना कर
दिन निकल आएगा
ग़म ना कर, ग़म ना कर
अब्र खुल जायेगा
रात ढल जाएगी
ऋत बदल जाएगी
रात ढल जाएगी
ऋत बदल जाएगी
ग़म ना कर, ग़म ना कर
ग़म ना कर
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चश्म-नम जान-ए-शोरीदा काफ़ी नहीं
तोहमत-ए-इश्क़-ए-पोशीदा काफ़ी नहीं
आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो
दस्त-अफ़्शाँ चलो मस्त ओ रक़्साँ चलो
ख़ाक-बर-सर चलो ख़ूँ-ब-दामाँ चलो
राह तकता है सब शहर-ए-जानाँ चलो
हाकिम-ए-शहर भी मजमा-ए-आम भी
तीर-ए-इल्ज़ाम भी संग-ए-दुश्नाम भी
सुब्ह-ए-नाशाद भी रोज़-ए-नाकाम भी
उन का दम-साज़ अपने सिवा कौन है
शहर-ए-जानाँ में अब बा-सफ़ा कौन है
दस्त-ए-क़ातिल के शायाँ रहा कौन है
रख़्त-ए-दिल बाँध लो दिल-फ़िगारो चलो
फिर हमीं क़त्ल हो आएँ यारो चलो
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तोहमत-ए-इश्क़-ए-पोशीदा काफ़ी नहीं
आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो
दस्त-अफ़्शाँ चलो मस्त ओ रक़्साँ चलो
ख़ाक-बर-सर चलो ख़ूँ-ब-दामाँ चलो
राह तकता है सब शहर-ए-जानाँ चलो
हाकिम-ए-शहर भी मजमा-ए-आम भी
तीर-ए-इल्ज़ाम भी संग-ए-दुश्नाम भी
सुब्ह-ए-नाशाद भी रोज़-ए-नाकाम भी
उन का दम-साज़ अपने सिवा कौन है
शहर-ए-जानाँ में अब बा-सफ़ा कौन है
दस्त-ए-क़ातिल के शायाँ रहा कौन है
रख़्त-ए-दिल बाँध लो दिल-फ़िगारो चलो
फिर हमीं क़त्ल हो आएँ यारो चलो
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