10% आरक्षण बनाम नोबल पुरस्कार अनुशंसा
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मुद्दा इतना सरल नही हम सब जान रहें है पर सुप्रीम कोर्ट , मुख्य न्यायाधीश की "दया दृष्टि" चुनाव के पहले क्या रंग लाती है
दूसरा यह लाकर मोदी सरकार ने आर्थिक मसलों पर घुटने टेक दिए है - अब यह स्पष्ट है कि सरकार आर्थिक से लेकर सामाजिक उत्थान के मोर्चों पर बुरी तरह फैल हुई है
तीसरा देश में राफेल से लेकर मन्दिर तक की बहस को भटकाकर मोदी और शाह ने भाजपा और इसके आनुषंगिक संगठनों को भी दुविधा में लाकर खड़ा कर दिया है
संघ से जुड़े निम्न मध्यम वर्गीय लोगों के लिए यह घोषणा 'अपना काम हो जाएगा अब', टाईप वाली है - भले ही बेचारे 15 लाख , नौकरी, मन्दिर, कश्मीर, गंगा या पाक प्रायोजित आतंकवाद जैसे मुद्दों पर बार बार ठगे गए हो
मानना पड़ेगा ये राम लखन की जोड़ी 138 करोड़ लोगों को विशुद्ध मूर्ख बनाने में कामयाब हुई है - बुलेट ट्रेन हो या सवर्ण आरक्षण और इस अनूठे कृत्य के लिए मैं इन दोनों को साझा नोबल पुरस्कार के लिए अनुशंसा करता हूँ
देश जल रहा है और ठंड शबाब पर है
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अब्बी, अब्बी मैंने अपना आय प्रमाण पत्र बनवाया है एक लाख बीस हजार सालाना मात्र, असल में इससे भी कम है, जमीन एक इंच भी नही पूरी धरती पर मेरे नाम
अब कोई बना दो आय ए एस या पटवारी
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फिर अम्बानी बोला
अब मुझे फिक्र नही मर भी जाऊँ तो , मेरे नाती और ईशा के बच्चे कम से कम पटवारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा या एएनएम तो बन ही जायेंगे
आज ही मोदी जी के बंगले पर सवा पाव मगज के लड्डू मुंबई के सिद्धि विनायक पर भोग लगाकर भिजवाता हूँ
अबे ओये - अडानी सुन, गोदरेज सुन, माल्या सुन, टाटा सुन, मित्तल सुन, किर्लोस्कर सुन
सुनो बे सालों, अपने अच्छे दिन आ गए - बाबुओं से परमाण पत्तर बनवाओ, चरित्र तो है ही अच्छा उसकी जरूरत नही यारां
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मेरी केटेगरी अब होगी -
जनरल [ Non 10% ]
Thanks Mr Modi for making my life more complexed and complicated
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@PMOIndia 2019 जीतने की हताशा से ज़्यादा पार्टी से निष्कासित होने की उम्मीद - 10% सवर्ण आरक्षण अपने पेट पर कुल्हाड़ी मार रहे है आप
जुमला बहादुर नौकरियां कहाँ है, 2 करोड़ पांच साल में भी दे पाए क्या मोदी जी
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2 करोड़ नौकरी की बात की थी
370, कश्मीरी पंडितों की
15 लाख और दस सिर की
मन्दिर की बात और गंगा साफ करने की भी
पर ये सब तो नही किया
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377, 497 और अब सवर्णों को 10% आरक्षण दे रिये हो भिया
कितने जुमले और है जुमला बहादुर
चुनाव जीतने की हताशा से ज़्यादा अपनी ही पार्टी से नौ दो ग्यारह होने की नौबत में इतनी बड़ी कुल्हाड़ी लेकर क्यों आत्महंता बन रहे हो
घर जाओ और चैन से रहो मालिक
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लीजिए अब आरक्षण पर झगड़ा होगा नही किसी मित्र से
अब लड़ाई अमीरी बनाम गरीबी होगी
अम्बानी, अडानी बनाम झुग्गी और भूमिहीन के बीच होगी
अब जाति भी खत्म कर दो तो सच में कुछ भला हो
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मन्दिर, मस्जिद, दलित और सवर्ण के बाद राफेल और बाकी सारी बातों से ध्यान हटाने का नया नुस्ख़ा - जबकि जुमला बहादुर जानते है कि यह प्रस्ताव ही गिर जाएगा - संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है
हां, चुनाव तक आग सेंकी जाएगी - मतलब गज्जब का समाज बांट रहें है ससुरे अंग्रेज़ों में भी इतनी अक्ल नही थी
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