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Showing posts from October, 2019

नईदुनिया में 20 Oct 2019

"दीयों की जगमगाहट में साँसों का सफ़र" टिमटिमाते दियो की एक लंबी श्रृंखला थी अंधेरे को चीरते हुए ये नन्हे दिये जब एक साथ जलते तो लगता मानो आसमान से कोई रोशनी की लड़ लटक रही है धरा पर और आहिस्ता-आहिस्ता सारा अंधेरा भाग जाएगा और तिमिर में छिपे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे. यही दिये थे छोटे-छोटे जिनमें कोई डिजाइन नहीं था, कोई लकदक चमक नही थी, परंतु मिट्टी के बने हुए इन दियों की जो खुशबू थी वह आज भी जेहन में बसी हुई है, ठेलों पर या बाजार में नीचे बैठकर बेचती कोई बूढी माई से मोल भाव कर दियों के साथ लक्ष्मी की मूर्ति लाना और उसे आँगन में बने अस्थाई मिटटी के घर में बसाना कितना कौतुक भरा काम होता था. इसके सुकून का वर्णन करना आज बहुत ही मुश्किल है. नवरात्रि से शुरू हुए त्योहारों की श्रृंखला आरम्भ होती. बचपन में हम जब महू जाते थे, दादी के घर जहां जन्मा था, तो दयाशंकर पान वाले के चौराहे से दशहरे के दिन एक लंबा जुलूस निकलता था और इस जुलूस में सारे लोग शामिल होते थे, दिन भर दौड़ होती, खेल होते, कुर्सी दौड़ होती, जगह - जगह पर मिलना जुलना होता और शाम को एक बग्गी में सजधज

Posts of 16 to 23 Oct 2019

मैं कतई स्वच्छता का विरोधी नही लड़कियों के लिए अलग से बहुत अच्छी क्वालिटी के शौचालय होना ही चाहिये - गांव हो, बस्ती, झुग्गी या बड़े महानगर - वे सुरक्षित भी होना चाहिये और खुले भी हो - ये नही कि माड़साब ताला लगाकर रखें और महिला शिक्षकों को भी इस्तेमाल के लिए ना मिले बस एक सवाल है छोटा सा पिछले तीन वर्षों से लगभग हर जगह बन गए है , क्या लड़कियों की संख्या स्कूलों में शौचालयों से बढ़ी है -[पहली से बारहवीं तक के स्कूलों में ] ◆ नामांकन में - Enrollment ◆ संतोषजनक उपस्थिति प्रतिदिन - Satisfactory attendance every day ◆ ठहराव में - Retention ◆ उत्तीर्ण होने में - Qualifying in exams ◆ कितनी लड़कियां पांचवी से आठवीं और आठवीं से बारहवीं में आ गई है - Number of Girls promoted and retained in schools in higher classes ◆ बालिका शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ शौचालय बना देने से कितना पूरा हो पा रहा है - Is objective being fulfilled by toilets ◆ कितनी महिला शिक्षिकाएं लड़कियों के शौचालय से संतुष्ट है और मानती है कि यह उपस्थिति बढ़ाने का वरदान साबित हुआ है - खास करके किशोरियों के मासिक स्राव

Trolling on 18 Oct 2018 and Amber Pandey award , kawa Chauth Posts of 15 to 20 Oct 2019

युवा साथियों हिंदी, अंग्रेजी या उर्दू में खूब लिखो - खूब पढ़ो, बस दिल्ली की कुछ तथाकथित बड़ी और भद्दी कवियित्रियों से बचकर रहना - ये आपस मे तो चुगली करती है पीछे से एक दूसरी को काटती है पर बहनापा जताने बहुत जल्दी आ जाती है, कल मेरी एक पोस्ट पर हंगामा किया था इन 3, 4 कुकवियित्रियों ने और इनबॉक्स में आकर 13 ने एक दूसरे के बारे में जो बोला वह शर्मनाक है अपठनीय और अविश्वसनीय भी है, इनका एक गैंग है जिसकी सरगना धमकी देती है कि दिल्ली आओ तो वेलकम करती हूँ - अब ये निकलेगी दिल्ली से तलव े चाटने और घिसने, इन 13 के स्क्रीन शॉट्स भी है एकाध दल्ला इनके आंचल में "अले अले करके सुबकता हुआ सुसु और पॉटी करते" हुआ चला आता है फिर सबकी सब उसे घेरकर कृष्ण भक्ति दिखाते हुए रास लीला करती है बस इन 3, 4 के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर रहा हूँ दो चार दिन में इनके किस्से और नाम जाहिर करूँगा महिलाओं के लिए पूरा सम्मान है और उनकी क्षमताओं पर भी भरोसा है पर ये 3, 4 जो पुरस्कार लेने के लिए पैदा हुई जुगाड़ू और सेटिंगबाजों को छोडूंगा नही - ना जीवन भर कोर्ट कचहरी के चक्कर खिलवाये तो देखना [ अभी किसी

जादुई मैथीदाने के लज़ीज़ व्यंजन - मैथी खिचड़ी 18 Oct 2019

जादुई मैथीदाने के लज़ीज़ व्यंजन - मैथी खिचड़ी एक कटोरी मैथीदाना लीजिए - इसे रात में पर्याप्त पानी मे गला दीजिए सुबह पानी निथार कर एक बार फिर से साफ पानी से धो लीजिए इसके बाद एक साफ कपड़े में बांधकर रख दीजिए कोशिश करिए कि बंद डिब्बे में रखें ताकि दिन भर में इसमें अंकुरण हो जाए अब एक प्याज , 6 लहसन की छिली हुई कलियां, 2 हरी मिर्च , एक टमाटर, 1 इंच अदरख को बारीक काट लें और गर्म कढ़ाई में दो चम्मच सरसों के तेल में राई - जीरे का तड़का देकर इन सब को अच्छे से भून लें छोटा आधा चम्मच हींग डालेंगे तो स्वाद और बढ़िया हो जाएगा अंकुरित मेथीदाने को इस मिश्रण में डालकर भून लें और दो कटोरी साफ धुले चावल इसमें मिला दें 1 बड़ा चम्मच देशी घी और कढ़ी पत्ते की कुछ पत्तियां मिलाकर मिश्रण को 5 मिनट तक भून ले इसके बाद एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर , एक चम्मच धनिया पाउडर , एक चम्मच गरम मसाला मिलाकर पुनः इस मिश्रण को 2 मिनट भून लें अब इसमें दो ग्लास पानी डालकर मद्धम आंच पर पकने को रख दें, लगभग 15 मिनट बाद आपकी बढ़िया मैथी खिचड़ी तैयार है - अब इसमें स्वादानुसार नमक डालें थोड़ा सा

Posts of Oct II week 2019

हिंदी के कवि कम विचारक बद्रीनारायण आजकल बहुत कन्फ्यूज है , सम्भवत बीमार हो आज नईदुनिया में आलेख पढ़ा और पिछले एक डेढ़ साल से लगातार संघ, भाजपा के प्रेमी बन ज्ञान बांट रहें है जेएनयू गए थे प्रोफेसर बनकर, फिर लौट आये थे - अपने मठ में पुनः झूँसी (इलाहाबाद) के गोविंद वल्लभ पंत संस्थान में निदेशक बनकर, तब से कुछ केमिकल लोचा हो गया है शायद दिमाग़ में बहरहाल , क्या कहते है अंग्रेजी में Get well soon बद्री भाई विश्वास करना कठिन होता है कि आप कभी प्रबुद्ध चिंतक और एक्टिविस्ट होते थे, और आज महज बौद्धिक प्रमुख बनकर रह गए है यह योगी आदित्यनाथ के कारण हुई अस्थाई एवं पेशागत मजबूरी है तो फिर भी ठीक है, पर विचारधारा के स्तर पर मजबूती है तो कुछ कहना भी लाज़िमी नही है फिर *** जंगल राज में जब अर्थ, शस्त्र, राज काज और समाज की व्यवस्था मूर्ख और उजबक लोगों के हाथों में हो तो जाहिर है ज्ञानी दूर रहकर ही परिश्रम कर यश और कीर्ति अर्जित करेंगें - जंगल के जानवर खुश रहते है कि वे दुनिया के सबसे उन्नत प्राणी है और हर रोज़ खरगोश की बातें सुनकर धूर्त, निकम्मे और आत्म मुग्ध राजा के पास स्वतः मरने जाते है

स्प्राउट चाट 14 Oct 2019

स्प्राउट चाट जो भी साबुत अन्न हो आपकी रसोई में उसे साफ कर पानी में 10 से 12 घँटे गला दें, बेहतर होगा सुबह या रात को - मसलन, उड़द, चना, मोठ, चवले, मूंग, अरहर या सोयाबीन आदि फिर इसका पानी निथारकर एक साफ कपड़े में बांधकर रख दें - वही 10 से 12 घँटे के लिए आप देखेंगे कि ये अन्न अंकुरित हो गया है अब इसे एक बड़े बाउल में डालकर बारीक कटा एक टमाटर, एक हरी मिर्च, काली मिर्च का ताज़ा कूटा पाउडर, स्वादानुसार नमक और आधा चम्मच ऑलिव ऑइल डालकर अच्छे से हिला लें, मैंने चाट मसाला बिल्कुल नही डाला है - आप चाहे तो डाल सकते है बस खाईये , और क्या गज़ब का स्वाद और पौष्टिक , यदि आप चाहे तो दो काजू, दो बादाम, दो अखरोट और चार छोटी किशमिश डालकर इसे ज़्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट भी बना सकते है आप इसमें और भी जोड़ सकते है अपने तरीके और मुझे सीखाएं भी रात के समय यह हल्का, सुपाच्य और एकदम लाजवाब है - कोई मेहनत नही कोई सीखने की जरूरत नही और समय की भी बचत बस तालमेल रखना होगा गलाने के समय और कपड़े बांधने में # संदीप_की_रसोई *** असल में सिर्फ चाय से दिक्कत नही है चाय के साथ कुछ और भी हो तो ही मज़ा आत

जदि तोर डाक शुन कोई ना आवे Abhijit Bainarjee Nobel Prize for Economics 14 Oct 2019

जदि तोर डाक शुन कोई ना आवे आजादी के आंदोलन के महत्वपूर्ण नेताओं को देखें तो हम पाएंगे कि अधिकांश लोग देश में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करके ब्रिटेन में पढ़ने गए, वहां जाकर उन्होंने देखा कि वहां सामाजिक भेदभाव लगभग नही था, महिलाओं की भागीदारी शिक्षा में बहुत थी यह लोग जब लौटकर आए तो इन्होंने भारतीय शिक्षा के बुनियादी स्वरूप को बदलने की बात की राजा राममोहन राय ने अपनी भाभी को सती होते हुए देखा था गांव में - इसलिए वे बहुत आहत थे, उन्होंने विशेष रूप से लिखा था कि " हमें यूरोप की वह अंग्रेजी शिक्षा चाहिए जो हमें समतामूलक समाज बनाने में मदद करें - जहां भेदभाव ना हो और लोग बहस करें, चर्चा करें और महिलाओं की शिक्षा में बराबरी से भागीदारी हो " हम सब जानते हैं कि अंग्रेजों ने भारत में आकर कोलकाता में अपना सबसे पहले साम्राज्य स्थापित किया था और वहीं से कपड़े खरीदने का व्यवसाय आरंभ किया था - स्थानीय बंगालियों ने अंग्रेजों के रहन-सहन और शिक्षा आदि का फायदा लेकर या सीखकर अपने जीवन में अंग्रेजीयत को भी ओढ़ा और शिक्षा प्राप्त की, धीरे-धीरे हम देखते हैं कि बंगालियों की संस्कृति, शिक

Posts of 11 Oct 2019

दलित आंदोलन के साथ वामपंथ क्यों नही है या यूं कहें कि दलित आंदोलन वामपंथी क्यों नही है जबकि वे भी पीड़ित, शोषित और आज भी हाशिये पर पड़े तड़फ रहें है और बेचैन है - सत्ता, पद और सामंती व्यवस्थाओं में धंसने को - जो पांच छह पीढ़ी से सब पा गए है उनका " सवर्णिकरण " तो हो ही चुका है एक जमाने में संसद में 40 के करीब वामपंथी सांसद थे - आज दो भी है नही सब समान है , 30 वर्ष बंगाल में ज्योति बसु ने अकेले और फिर बुद्धदेव ने राज किया, फिर नन्दिग्राम और सिंगुर हुआ और महाश्वेता देवी जैसी महि ला भी ममता के समर्थन में आ गई हुआ क्या ऐसा कि दलित आंदोलन भी वामपंथ आंदोलन से दूर हुआ जबकि वामपंथ के टारगेट ही श्रमजीवी, दलित, किसान, मजदूर, ग्रामीण, स्त्रियां या वंचित थे और वामपंथ को दलित नेतृत्व ने भी नकार दिया एक चर्चा में आज ये सवाल उठे तो लगा कि मामला गम्भीर है दोनो तरफ के लिए - मेरी सवाल पर समझ ना उठाते हुए अपनी बात रखें और चलताऊ भसड़ वाले लोग स्माइली बनाकर, लाईक कर या घटिया कमेंट ना करें - यदि प्रश्न की समझ ना हो तो निकल लें और संघी भाजपाई तो बिल्कुल नही , यह प्रश्न तुम्हारे ना बस का है ना

छाप तिलक सब छूटी - तोसे नैना मिलाय के -इकतारा का आयोजन भोपाल 27 to 29 Sept 2019

।।छाप तिलक सब छूटी - तोसे नैना मिलाय के।। [ तीन खूबसूरत दिन भोपाल को समर्पित ] ◆◆◆ "When life itself seems lunatic, who knows where madness lies? Perhaps to be too practical is madness. To surrender dreams - this may be madness. Too much sanity may be madness - and maddest of all: to see life as it is, and not as it should be ". ◆ Miguel de Cervantes Saavedra तीन दिन भीगी हुई शामें थी ये, भोपाल का आदिवासी संग्रहालय यूं तो अक्सर गुलजार होता है परंतु इन तीन दिनों में जो जोश जज्बा मैंने देखा - वह शायद ही कभी देखा हो. पहले दिन बरसात थी इन कार्यक्रमों के वक्त बहुत तेजी से पानी गिरा लगभग हर दिन और भोपाल में सड़के जाम हो जाया करती हैं, लिहाजा पहले दिन बहुत सारे लोग रचना पाठ में नहीं आ पाए फिर भी जो आए उन्होंने अनिल सिंह, राजेश जोशी, स्वयं प्रकाश, प्रभात और उदयन वाजपेई की रचनाओं का पाठ सुना. हालांकि मेरे जैसे लोग कम ही होंगे जो बहुत दूर से आए थे और सिर्फ इस कार्यक्रम के लिए तीन दिन भोपाल में रुके - उन्हें संतुष्टि नहीं मिली, क्योंकि प्रभात की एक ही कहानी सुनी, स्वयं

Gandhi 150 years हम गांधी के 2 Oct 2019

कुछ मत पढ़िए ना गांधी, ना भगत सिंह, ना अंबेडकर, ना सावरकर और ना गोलवलकर पर कम से कम वाचिक परम्परा से खून में आये शांति, विश्व बंधुत्व, सर्वे सन्तु निरामय और सबके कल्याण की कामना तो कर ही सकते है - इसमें किसी का कुछ नुकसान नही है और कोई भी धर्म हिंसा या अनाचार की बात नही करता , प्रार्थना और उपवास में तो हम सबको यकीन है ही फिर क्यों विचारधाराओं की लड़ाई और द्वैष भाव है - सहज और सरल रहकर समाज में सबके साथ चलने से क्या दिक्कत है और यही गांधी होना है *** अहिंसा को वर्तमान परिवेश में देखकर भी हम पुनः परिभाषित कर लें सीमा पार आतंकवाद, नक्सलवाद, मोब लिंचिंग, गाय , गोबर और गौमूत्र, विस्थापन आदि के संदर्भ में और 25 % भी सिर्फ सच बोलना शुरू कर दें भारतीय जनमानस - जिसने राजनेता भी शामिल है तो गांधी को समझना और अपनाना आसान हो जाएगा *** 'शराब आज के समय की जरूरत है' यह मानने वाले और एक ऐसे समय में जब आप अश्लीलता की सारी हदें पार कर वैश्विक बाजार को नंगा नाच करने के लिए बाकायदा इन्वेस्टर्स मीट करके आमंत्रित करते है - उन्हें जमीन से लेकर सारी सुविधाएं उपलब्ध कराते हो और इन्हीं लोगों की

केंद्र सरकार का हिंदी पीजीटी और साहित्य की खैनी

प्रमोटी पीजीटी ज़्यादा खतरनाक होता है केंद्र सरकार का हिंदी पीजीटी हर जगह क्लास लगाने लगता है और हरेक को अपना छात्र, बकवास करने की आदत कहाँ जाएगी यह हिंदी का दोष तो है ही क्षेत्रीयता का भी कलंक है Shravan  ने बहुत सही कहा कि पढ़ाओ माटसाब, सबको बेवकूफ मत समझो, वर्तनी की त्रुटि सुधारना ही मास्टरी है जो कोई भी प्रूफरीडर कर देता है - अख़बारों में रखें ही जाते थे इस तरह के तृतीय श्रेणी कर्मचारी जो आँखें फोड़कर यही करते थे, साहित्य रचना प्रूफ रीडरी से बड़ा काम है जिसके लिए जिगरा चाहिये होता है निंदा रस में लीन होने से अवसा द बढ़ेंगे प्रभु और नैतिकता ईमानदारी के गुणगान तो कोई करो मत - बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी व्यंग्य ● केंद्र सरकार का हिंदी पीजीटी और साहित्य की खैनी ◆◆◆ अपराध बोध,अवसाद और तनाव से ग्रस्त व्यक्ति नीचता की हदें पार करते हुए एक दिन मणिकर्णिका पहुंचा तो वहां भी डोम से उलझ लिया और फिर हाय रे दुर्भाग्य उसे वहां भी जगह ना मिली - चित्रगुप्त से पूछा यमराज ने कहां अटक गई इस कमबख्त की देह चित्रगुप्त बोला - हे यमराज - हिंदी का पीजीटी है, निंदा रस में लिप्त है अभी ,

आप, तुम और तू का सम्बोधन / जय माता दी - आते बोलो / पटना वाटर लागिंग - बाढ़ नही Sept End 2019

जय माता दी - आते बोलो, जाते बोलो - जय माता दी ◆◆◆ इतना अच्छा माहौल है बाजार में कि कह नहीं सकता - सड़कों पर भयानक भीड़, साइकिल, कार , बाइक , जीप, ट्रैक्टर , बैलगाड़ी और लालबत्ती दौड़ाते प्रशासन के अधिकारीगण और गाय भैंसों से पूरी सड़क अटी पड़ी है और इस सबके बीच बड़े वाले डीजे लेकर चुनरी यात्राएँ इतनी कि कई लोग खोज रहें है कि बीबी आई तो शांतिपुरे वालों के साथ और अब भवानी सागर वालों के साथ मिक्स हो गई पुलिस के जवान बेचारे जनता की सेवा कर - कर के थक गए हैं - हर कोई उन पर दादागिरी कर रहा है , हाथ मे मोबाइल लहराते और सेल्फी लेते ये भीड़ अनियंत्रित है पुलिस के हैंडसम जवान कुछ कहते भी हैं तो सुनाई नहीं देता क्योंकि माता रानी के भजन सुनाते भोंगो का शोर है, हर मंच से चीखते हुए संचालकों के आदेश , प्रसाद बांटने के निर्देश, पुलिस में भर्ती हुए युवा सोच रहें है कि वो संविधान में लिखा था " हम भारत के लोग " राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 3 पर सड़क के दोनों ओर इंदौर से देवास तक साबूदाने की खिचड़ी, फरियाली चिवड़ा , राजगिरे का हलवा, दूध की खीर, सैकड़ों टन केला और चना - चिरौंजी से लेकर आलू