Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2019

Drisht Kavi 25 - 27 Dec 2019

किताबें कहाँ मिलेंगी, गूगल करो - सब मिलेगी नही तो अभी दिल्ली में किताबों का हाट लग रियाँ है , किलो से मिलेगी, खरीद लाओ या मंगवा लो किसी से , कोई दिलजला तो जाएगा ही बेहतर है चले ही जाओ, एक एक प्रकाशक एक एक दिन में एक एक सौ किताबों का विमोचन करवा रियाँ है - बड़े बड़े बल्लम किताबों का केशलोचन, ओह सॉरी लोकार्पण करेंगे दिन भर - जो किश्तों में आएंगे और रखें हुए सूखे पेड़े ख़ाकर जाएंगे या बापड़ा लेखक फ्रेश मिठाई ले आयें, वो भी मिल जायेगी तो मल्लब जाने में फायदा है नही गुरु , तंज भी नही समझते, तुम साला साहित्य पढ़ना - समझना ही छोड़ दो , अबे इत्ती सारी किताबें कोई छापता है क्या और पढ़ता है क्या - सब माया है ( बापड़े मार्क जुकरबर्ग को अगले डेढ़ माह अरबों जीबी फोटू चैंपवाना पड़ेगी अब ) कैसे है संदीप जी जी, ठीक हूँ, क्या हुआ आपका फोन आया 26 जनवरी 19 के बाद, सब ठीक है ना ... जी, जी सब ठीक है - आप आ रहें है ना 5 से 15, हम इंतज़ार करेंगे आपका , सभी मित्र भी आ रहें ना , मैं परांठे लाऊंगी आपके लिये, वही प्रगति मैदान में बैठकर खाएंगे सब मिलकर ओह, पुस्तक मेला आ भी गया क्या, तभी यह फ

Drisht Kavi 24 Dec 2019

हेलो, जी, जी, जी नमस्कार, कैसे है - माड़साब बोले जी बढ़िया , आप सुनाईये - कवि ने कहा असल में क्या है हमारे यहां बच्चे एक कवि गोष्ठी करना चाह रहे है, विवि के पास कुछ है नही, आप हिंदी विभागों का दलिदर तो जानते ही है, आ जाईये आप भी -अलाने, फलाने, अमके , ढीमके भी आ रहे है - माड़साब जाल फेंक रहें थे जी , वो कुछ.... - कवि सकुचाया नही जी , कुछ दे नही पाएंगे - किराया भी नही , बच्चे है शोधार्थी है सब , रहने की व्यवस्था कर देंगे होस्टल में , खान नदी भी घूमा देंगे, यहां बड़ी मस्जिद है - वह भी देख लेना, सबसे मिलना हो जाएगा - ठीक है ना , कार्ड में नाम छाप रहें है आपका - माड़साब ने अंतिम बात कही और फोन काट दिया कवि हिसाब लगा रहा था, स्लीपर से भी गया तो ढाई हजार, रास्ते के और ऑटो बाकी सब मिलाकर छह हजार तो पड़ेगा कुल और साला मिलेगा क्या - कुछ नही , ऊपर से घरवाली को क्या बोलूंगा, बच्चों की फीस भरनी है अभी ... *** कवि गोष्ठी के पहले गर्म जलेबी हो जाती तो ठीक रहता - एक कवि बोला देखिये बड़ी मुश्किल से हम चाय दे पा रहें है, चंदा हो नही पाया और मिरचू सेठ की सास गुजर गई है तो वे अभी गुजरात है, अग

CAA /CAB से आगे की सोचें 22 Dec 2019 and Drisht Kavi

CAA /CAB से आगे की सोचें ◆◆◆ देश के हालात और चौतरफा विरोध से अपनी बिगड़ती छबि और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बर्बाद हो चुकी इमेज से नरेंद्र मोदी निराश और हताश है और अमित शाह के ख़ौफ़ में है , उन्हें डर यह है कि वे 2024 तक पद पर बने रहेंगे भी या नही, आज रामलीला पर उनके चेहरे पर घोर नैराश्य और पराजित भाव दिख रहा था और लिख कर रख लीजिए नरेंद्र मोदी का कार्यकाल हद से हद छह माह और रहेगा क्योंकि उनका इस्तेमाल पूर्ण हो चुका है और अब उनकी ना पार्टी को जरूरत है ना देश को ना विश्व को -एक व्यक्त ि के रूप में वे शत प्रतिशत फेल्योर व्यक्ति है - यह सिद्ध हो चुका है जिस तरह के स्पष्टीकरण उन्होंने दिए इसकी जरूरत ही नही थी क्योंकि ये सब उस दिन लोकसभा में कोई भी नही बोला जब बहस हो रही थी - आखिर आज की रैली की जरूरत ही नही थी - एक असफल और झूठा आदमी ही स्पष्टीकरण देता है ठोस आदमी नही इन दिनों शाह ने मीडिया में अपना चेहरा बनाकर मोदी को हटा दिया है, लोकसभा से लेकर चौराहे पर की बहसों में शाह ही डोमिनेंट है शाह निर्णय लेने में दृढ़ और जिद्दी है साथ ही भयानक फास्ट भी मोदी से ज्यादा चुनाव जितवाने की कला का पार

Drishta kavi 21 Dec 2019

"बहुत दिन कुछ मज़ा नही आ रहा " "कवि गोष्ठी रख लो, यार दोस्त भी आ जाएंगे मिलना जुलना हो जाएगा और ठिलवई भी झकास वाली..." "सई है भिया और उसको जरूर बुलाना , गज्जब की लोच है आवाज़, शरीर और कविता में..." "एक कट चाय और कुत्ता भी ना खाएं वो मैरी के दो बिस्किट जितना सस्ता मनोरंजन और कही होगा क्या।।" पर्दा गिरता है और ठहाका बजता है *** " तो फिर क्या करें बुलाना तो पड़ेगा और वो छोड़ेगा भी नही, निरीक्षण तो करेगा ही साला" "एक काम करो - बड़े बाबू ने बोला, दोपहर में ही एक कविता गोष्ठी रख लो - लंच के तुरंत बाद, अधिकारी है ससुरा कविता तो लिखता ही होगा, पूरे मुख्यालय के बाबू, पटवारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कर्मियों और चपरासियों को बुला लो - भीड़ देखकर खुश होगा" "सही है बड़े बाबू , आपको अनुभवी यूंही नही कहते लोग" , गिरधावर समोसे वाले को सेट करने चल दिया था और एसडीएम मुस्कुरा रहा था" *** "देखिए ये फेसबुक नही कि आप छह सात कविताएं पेल दें और फिर हर दो कविता के बीच ज्ञान भी दें " - संचालक भुनभुनाया

Jamoia and Youth Movements 15 Dec 2019

भारतीय जनता से निवेदन है कि लोकतंत्र में मतदाता के पद से इस्तीफ़ा दे दें परम आदरणीय सरकार से विनम्र निवेदन है कि तत्काल प्रभाव से इसे स्वीकार कर नई जनता को चुन लें *** "लहू लुहान नजारों का ज़िक्र आया तो शरीफ उठे और एक तरफ़ बैठ गए " ● दुष्यंत ~~~ मित्रों , ध्यान रखिए हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं के लेखक, कवि , कहानीकार , उपन्यासकार, आलोचक या सम्पादकगण इस समय क्या कर रहे हैं , सुकून यह है कि अँग्रेजी में अरुंधति इस समय पूरा झंडा उठाकर अकेली चल रही है पूरे दम से और हम - ◆ व्हाट्सएप पर ठिठोली कर रहे हैं ◆ रेख़्ता में कार्यक्रम अटेंड कर फोटो चेंप कर आत्ममुग्ध हो रहे हैं ◆ देशभर के लिटरेचर फेस्टिवल में जाकर अपनी कहानी - कविताएं पेल रहे हैं और रुपया कमा रहे हैं ◆ फेसबुक पर बैठकर दूसरों को कुंठित होने के प्रमाणपत्र बांट रहें है ◆ अपनी नौकरी बचाकर निजी समूहों में मर्द बन रहे है महिलाओं के साथ हंसी मजाक करके ◆ आने वाले पुस्तक मेले के मद्दे नज़र अपनी किताबों के भौंडे विज्ञापन कर रहें है ◆ क्या साहित्य है और क्या परिभाषा - साहित्य समाज का दर्पण है - उफ़्फ़

रेल जलाओ and मोबाईल पर 12 to 15 Dec 2019

रेल जलाओ ◆◆◆ इधर दो चार दिनों में बहुत छोटी दूरी यानी दो से तीन घँटों के लिए ट्रेन से सफर किया , सम्भवतः 30 - 35 वर्षों बाद जनरल डिब्बे में और दुख के साथ कह रहा हूँ कि यदि इतनी ही भीड़ जो जनरल में यात्रा करती है पूरे देश मे सिर्फ एक दिन स्टेशन्स पर रेलवे के कर्मचारियों को बंधक बनाकर रखें और सरकार को जगाने के लिए हल्ला बोल कर दें ना तो क्रांति हो जाएगी सब सुधर जाएंगे डीआरएम हो, स्टेशन मास्टर हो या रेल मंत्री, जो लोग 38 से 48 घण्टे इन डिब्बों में बगैर हिले यात्रा करते है वे क्या  करते होंगे भारतीय जनता सच में सहनशील है और चुप है, मेरा बस चलता तो उन रेल गाड़ियों को चलने नही देता और आग लगा देता वही पर जिनमे जानवरों से भी बदतर स्थितियों में लोग यात्रा कर रहे थे, बाथरूम जाना तो दूर अगर सांस भी ले पायें तो बड़ी बात होती, मेरा बहुत स्पष्ट मानना है कि जो व्यवस्था लोगों को लाभ देने के बजाय बुरी तरह से अपमानित कर नारकीय जीवन मे सड़ने को मजबूर कर दें उसे जलाकर राख कर दो इतना शर्मनाक है कि आप उस डिब्बे ने जब संविधान याद करते है कि राज्य अपने नागरिकों को गरिमा और प्रतिष्ठा के साथ जीने के अ

Drisht Kavi 10 Dec 2019

अपने गिरेबाँ में झांको ◆◆◆ हिंदी में जो लोग 30 से ज़्यादा वर्षों से कविता लिख रहे है, संग्रह के नाम पर भले ही दो क़िताबें आ गई हो पर वास्तविकता यह है कि वे उम्र के छठे दशक में आकर वे अस्वीकृत ही है और यही कारण है कि वे गाहे बगाहे स्कैंडल बनाकर चर्चा में बने रहते है और यह चर्चा साहित्य की नही बल्कि बेहद सस्ती किस्म की पोस्ट्स या आलेख लिखकर या किसी पर निजी टिप्पणियाँ करके - वो भी बिलो द बेल्ट करके अपना तथाकथित साम्राज्य बनाने की कोशिश करते है 25 से 35 वर्षों तक कविताएं लिखकर भी यश, समृद्धि , पुरस्कार और कुछ हाथ ना लगें तो जाहिर है एक खीज और कुंठा होती ही है पर इस सबमें अस्सी नब्बे के ये पाथेय या काँटे अपने गिरेबाँ में झांककर भी नही देखते , कुल मिलाकर सेटिंग, यारबाशी और निजी सम्पर्कों से कविता के गलियारे में फिट होने की कोशिश करते है बहुत सारी कुंठाएँ है - हिंदी छोड़कर राजनीति, समाज शास्त्र, भूगोल, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, दीगर भाषा या अन्य आनुषंगिक विषयों की दहलीज पर स्वांग बनाकर आये और तुलना हिंदी वालों से करने लगे , तीसरा कोई प्रशासनिक पद नही ले पायें लिहाजा इस कविता के सेक्ट

Modern Preamble of Constitution 26 Nov 2019

हम भारत के लोग , भारत को एक【संपूर्ण गुलाम, पूंजीवादी सम्प्रदायवादी तानाशाही व्यक्तिवादी】बनाने के लिए , तथा उसके समस्त नागरिकों को : सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक अन्याय, विचार, चुप रहना, अविश्वास , अधर्म और उपासना पर प्रतिबंध, बदनामी और अवसर की असमता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब मे व्यक्ति की बेइज्जती और【 राष्ट्र की अनेकता और असुरक्षा 】सुनिश्चित करने वाली लड़ाई , वैमनस्य बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस मूर्ख सभा मे आज तारीख 26 नवम्बर 2019 ई.【कार्तिक अमावस्या / कार्तिक - मार्ग शीर्ष शके 1941】को एतदद्वारा इस असंविधान को अंगीकृत, अधिरोपित और आत्मार्पित करते है। ◆◆◆ राष्ट्रीय संविधान दिवस की  बधाई संविधान दिवस पर जनता को मौत की सज़ा दो - संविधान की हत्या के आरोप में ◆◆◆ मोदी , शाह , पूरी सरकार और सभी राजनैतिक दलों को अभी भी लगता है कि जनता बेवकूफ है और वे अजीत का सत्तर हजार करोड़ के घपलों के अपराध को मुआफ़ कर देंगे और किसी को समझ नही आएगा राष्ट्रपति या राज्यपाल एक कठपुतली है - यह भी समझ नही आता क्या सुप्रीम कोर्ट 24 - 24 घण्टे

Satire Drisht kavi 29 Nov 2019

आखिर देर रात तक श्रीमान धर्मावलम्बी, दलित विरोधी और छब्बीसा ब्राह्मण समाज के जगत नायक कॉमरेड क ने अपनी मूल फेसबुक के 5000 मित्रों, "क" - II के 4987 मित्रों से लेकर वाट्सएप के 1760 समूहों और 2397 व्यक्तिगत लोगों के चरण पखारने की सेवा, सुश्रुवा अब काम आ रही है जो इन सबकी दुआओं के चलते ससुरी हिंदी की कहानी , समीक्षा और हर किस्म की बकलोली हर जगह छप रही है , 11 रुपये नगद से लेकर 100011 तक मिलने लगे है जुगाड़ू ईनाम, तमगे और चरित्र परमाण पत्तर भी अलग से - अब बच्चे, यार दोस्त और बूढ़ी हो चली कपटी सास बन चुकी औरतों , महिला मित्रों को भी सेट कर रहा है साहित्य से लेकर समाज में बापड़ा सही कहता था हित्शे कि जिस गांव से एक चोट्टा नगीना निकल जाए उस गांव से चोरों की बारात निकलती है *** अध्यक्ष कस्बे का एक घिसा पीटा कवि था, जीवन भर बीबी के अलावा ढेर महिलाओं को कवियत्री बनाकर इन दिनों सुप्तावस्था में था - बेहद घाघ और एकदम कमीन टाईप - कार्यक्रम समाप्ति के बाद खाने पर दौड़ा, दो चार युवाओं को पुचकार कर प्लेट भरवा ली अपनी, दस बारह गुलाब जामुन निपटा गया फिर शुरू हुआ कि कविता में कड़वाहट ब

Hydrabad gang Rape Dr Priyanka Reddy 30 Nov 2019

सारा सहयोग स्त्रियों के लिए, बेहतर समाज बनाने और उनका सम्मान सब स्वीकार पर जिम्मेदार और पुलिस महकमे के लोग कहें कि लड़कियां कैंची, चाकू, रेजर, ब्लेड, सेफ्टीपिन, मिर्च पाउडर आदि लेकर निकले और कोई छेड़े तो हमला कर दें यह कोई बात नही , यह सब करने के बजाय लड़कियों और लड़कों को परस्पर सम्मान करना सीखाएं , भेदभाव और मिथकों को तोड़े, जाति और आर्थिक स्तर पर काम करें और फिल्मों से लेकर विज्ञापनों को नये सिरे से परिभाषित कर विकसित करें, अपनी असफलता और व्यवस्थागत कमियों को ढाल बनाकर समाज को  हिंसक ना बनायें - आपको लगता है कि स्त्री बहुत ही और इतनी सीधी है कि वह कुछ नही करती - इतना जेंडर से ग्रसित है तो देश छोड़ दें यह बेहतर है - दस साल बाद समाज, विवाह, परिवार और बाकी संस्थानों का क्या होगा 136 करोड़ लोगों के देश में 2 करोड़ भी यह जघन्य अपराध करते है तो उनके लिए न्याय, समता, जागृति, दण्ड आदि का प्रावधान करिये, सीधे चौराहे पर फांसी दे दो कोई दिक्कत नही पर चाकू ब्लेड आप देंगे तो लड़के क्या छोड़ेंगे, वे इतने शरीफ है कि चाकू सह लेंगे , लड़कियां मिर्च फेकेंगी और वे फूल की तरह झेल लेंगे और आखिर में हम किस त

मनोरोगी 30 Nov 2019

मनोरोगी  सम्भवतः विक्षप्त ही रहा होगा जो मिलने आया था , उसने आते ही डिमांड की थी कि 100 पाईपर्स व्हिस्की चाहिये , एक मार्लबोरो का पैकेट पर इस जंगल मे मुश्किल था यह ब्रांड शराब अलबत्ता मैं लेकर ही गया था, टीम में कभी जरूरत पड़ ही जाती है  नई कार में आया था, पार्क करके जंगल के उस गेस्ट हाउस में आते ही पीना शुरू कर दी उसने जो सुबह तक पीता रहा,  डेढ़ बजे रात उसका लाइटर खराब हो गया था सो माचिस की मांग की - हम मित्रों में से कोई पीता नही सो सवाल ही नही उठता था , हम लोग काफी खुले थे और उसे परख रहे थे  उसे असल में एक नए प्रोजेक्ट में बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए बुलाया था, सुबह से आने वाला था जो रात दस बजे पहुँचा यहां और फिर अजीब डिमांड्स , खाना भी हम लोग खाते रहे थे, पूरी टीम उसे निहार ही रही थी - 24 वर्ष का युवा था और अंग्रेजी, हिंदी , फ्रेंच पर कमांड था  अचानक रोने लगा किसी प्रेमिका के साथ हुआ ब्रेक अप बताने लगा फिर जयन्थि नामक लड़की को मलयालम एवं अंग्रेज़ी में खूब गालियां दी और दो पेग गटागट पी गया - रोते हुए कहने लगा "मेरे पिताजी साले 75 के हो गए है , माँ भी 70 की है - द