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Showing posts from August, 2021

Birth of An Angel 30 August 2021 Sharbani - Kuch Rang Pyar Ke

Birth of An Angel    Siddharth Naik and Snehal Tripathi Naik दिल से बधाई बिटिया के लिए, हम सबका माथा चौड़ा हो गया है अपने घर में एक बेटी की कमी थी, मेरे माँ और पिताजी को बेटी की बहुत चाहत थी - पर हम तीन भाई हुए - जब मेरा तीसरा भाई हुआ तो उन्हें निराशा हुई, लिहाज़ा छोटे भाई को बहुत वर्षों तक खूब तैयार करके झबले आदि पहनाते रहें, अपने हाथ से उसे तैयार करते थे और अक्सर हमें कहते एक लड़की होती तो अच्छा रहता, हम तीनों भाई भी सगी बहन के अभाव में तमाम रीति रिवाज़ों, राखी, भाई दूज आदि के लिए मौसेरी, ममेरी और चचेरी बहनों पर निर्भर रहें और इन प्यारी बहनों ने कभी कोई कमी महसूस नही होने दी आजतक ; माँ और पिता भी आज जहाँ है वहाँ से निहार रहे होंगे इस बेटी को और आशीष दे रहे होंगे हमारी अगली पीढ़ी में हमें तीन प्यारे से लड़के मिलें Siddharth, Aniruddha Naik और Amey Sangeet Naik - जो देखते देखते बड़े हो गए उत्कृष्ट पढ़ाई करके नौकरी में आ गए है, दो की शादी भी हो चुकी है और दो बेटियां घर आई है - जो अब हम सबको सम्हाल रहीं है पूरी जिम्मेदारी से, फिर तीसरी पीढ़ी की शुरुवात हमारे लाड़ले हीरो #Sharwil से हुई - ज

Khari Khari, Drisht kavi and Other Posts from 26 to 31 Aug 2012 [Megha Dharmadhikari's Poem]

  || मन हे दगड असावे || ••••••••• कधी कुणी प्रेमा ने पहावे कधी देव आणि कधी दानव बनवावे कधी दगड पाण्यात फेकावे आणि पाण्यात बुड बुडतानां पहावे मन हे दगड असावे कधी मुरूम होऊन डांबरात टाकावे मुसाफिर चा मार्ग मोकळा करून द्यावे कधी तरी माणसाचे घर बांधावे कधी देवळातल्या देव व्हावे मन हे दगड असावे -------- ◆ सौ. मेघा किशोर धर्माधिकारी इंदुर *** प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षण में सुधार अत्यंत आवश्यक यह देखिये टेलीग्राफ की न्यूज और एक आलेख - हमारे आधुनिक काले शासक जो नागरिक होने के नाम पर कलंक है, कल इस युवा प्रशासनिक अधिकारी ने जो किया उससे देश का सिर शर्म से झुक गया है और अफसोस कि राष्ट्रपति ( जो सच में रबर का मोहरा है और दुर्भाग्य से जिसके हस्ताक्षर से इस नालायक का चयन हुआ ) प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री ने एक शब्द भी नही बोला और सीजेआई रमन्ना साहब को तो स्वतः संज्ञान लेकर इसे तुरन्त बर्खास्त करना था ताकि इस मरे हुए कौव्वे को तार पर उल्टा लटके हुए और मरा देखकर बाकी सारे कौव्वे सुधर जाते और कोई डंडा चलाने का हुक्म देने की हिम्मत नही करता भविष्य में कहता हूँ ना कि जब तक लबा

दक्षायणी वेलायुधनm Kuchh Rang Pyar ke and other Posts of 25 August 2021

अपने सभी स्कूल और महाविद्यालय के पुस्तकालय कक्ष का नाम दक्षायणी वेलायुधन होना चाहिए, (लाइब्रेरी कक्ष के नाम के लिए सिर्फ़ "दक्षायणी" नाम भी ले सकते हैं) दक्षायणी वेलायुधन संविधान सभा में पहली और अकेली दलित महिला थीं भारत की पहली दलित महिला ग्रेजुएट भी थीं, इनके बारे में यहाँ पढ़ सकते है https://100extraordinarywomen.blogspot.com/2018/02/dakshayani-velayudhan.html?m=1&fbclid=IwAR1hGaAhnwHWw0jG8CMe-DAF4LFgy8AJKOWYZ4sOR9CxMBo2QYw2rNZGvyA *** रे रेट्स निम्नानुसार हेंगे आज से - ◆ एक कहानी का 15 हजार ◆ एक कविता का 21 हजार ◆ आलेख का 25 हजार ◆ फेसबुक लाइक का 100, कमेंट का 500 और शेयर का 1000 रुपये ◆ यूट्यूब झेलने के 25 हजार नगदी ◆ शोध करने का 35 हजार ◆ शोध सामग्री देने का 40 हजार •••••••••• बाकी देख लो भिया अपना अपना, अब फोन करो तो जे पढ़ लेना पेले फिरीज फोन करना अपुन कूँ [ नोट - लाइवा वाली एड्स की बीमारी म्हणे ना है - सो बात ई मत करना लाइव की ] [ विदेशी मित्रगण इसी भाव से डॉलर, यूरो या दीनार में देवें ] #कुछ_रंग_प्यार_के *** || रुपया छठी इंद्री है - जो पाँच इंद्रियों को चलाती है

Poem of Madan Kashyap on Facebook 24 Aug 2021

  Madan Kashyap जी की एक नई कविता उन्होंने अपनी वाल पर शाया की है, मेरा मूल सवाल है कि कविता में समाज शास्त्रीय घटनाओं और विश्लेषण नही और मौजूदा देश काल परिस्थिति और वैश्विक परिप्रेक्ष्य नही तो कविता लिखना बेमानी है और कोई अर्थ नही ऐसी कविता, कहानी या उपन्यास का - फिर हमें - "तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित - चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ" टाईप लिखना चाहिये मुझे लगता है कि कविता ठीक ठीक ही है पर मदन जी दूसरा पहलू भूल रहें है कि हर जगह स्त्रियाँ है अब बहुतायत में, सारे कानून स्त्रियों के पक्ष में है, सुशासन में स्त्रियाँ है, इन सबके क्रियान्वयन की अपनी दिक्कतें जरूर है पर बगैर अन्य पहलुओं पर विचार किये इस कविता को सिर्फ लिजलिजी भावुकता ही कहा जा सकता है दहेज, बलात्कार, प्रताड़ना से लेकर घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण जैसे कानून की आड़ में पुरुषों का शोषण और शारीरिक, मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाली स्त्रियाँ बड़े पैमाने पर है - इस बात को व्यापक दृष्टि से देखें समझे बिना इस कविता का कोई अर्थ नही है, फर्जी आरोपों की एक लम्बी सुनियोजित श्रृंखला है जो स्त्र

" शिक्षा से कार्पोरेट्स को हटाओ " Khari Khari , Kuchh Rang Pyar Ke Modi and Afganistan - Posts of 21 to 22 August 2021

  शिक्षा से कार्पोरेट्स को हटाओ शिक्षा का जितना नुकसान स्वैच्छिक संस्थाओं जैसे चेतना, केएसएसपी, एकलव्य, प्रथम, रूम टू रीड, एजुकेट ए गर्ल, एक्शन एड, लोक जुम्बिश, दूसरा दशक, यूनिसेफ, एड एट एक्शन या अन्य ने किया - उससे ज़्यादा अब अज़ीम प्रेम, रिलायंस या और बड़े वाले कार्पोरेट्स कर रहें है कुछ तड़फती आत्मायें जो भोग विलास करने के लिए शिक्षा में आई और ब्यूरोक्रेट्स ना बन पाने के अपराध बोध में आकर शिक्षा में नवाचार के नाम पर व्याभिचार शुरू किए थे - वे आज कहते है कि "अलाना - फलाना पोलिटिकल व्यक्ति है", और इन गंवारों और ढपोरशंखियो को यह सरल बात समझ नही आती कि शिक्षा, साक्षरता या विकास में काम करना ही पोलिटिकल होना है मज़ेदार यह कि जो बर्तन, झाड़ू - पोछा और चाय बनाने का काम करते थे, वे कालांतर में शिक्षाविद बन गए, जो लोग ग्यारहवी या नवमी में फेल होकर घर से भागे थे और इन व्याभिचारी संस्थागत घरानों में तथाकथित बुद्धिजीवियों, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स या उनकी निकम्मी औलादों के पोतड़े धोने को रखे गए थे वे मूर्ख अपने आपको नॉन पॉलिटकल कहकर संस्थाओं में गुलामी करते रहें और जब बुरी तरह से हकाले गये या

Kuchh Rang Pyar ke , Agar Kota Road and Bhopal Pradrashan of Youths - Posts of 19 and 20 Aug 2021

आरक्षण पर बात नहीं पर कल एक दलित युवा मित्र से बात हो रही थी जिसने बड़ी अच्छी बात कही - उसने कहा कि आरक्षण हटा देना चाहिए क्योकि जो वास्तव में हकदार है उसे कुछ मिल नहीं रहा, दलित या आदिवासी अधिकारी या जमींदार का बच्चा अंग्रेजी माध्यम से बड़े शहरों में पढ़कर आता है और किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बैठकर उत्तीर्ण हो जाता है और कोटे से चयनित भी हो जाता है परन्तु हम जो है गाँव के सरकारी स्कूल से पढ़े है, हमें कुछ ज्ञान नहीं, पढ़ाई के अंत में हम सिर्फ डिग्री धारी है बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म भरने लायक भी रूपये नहीं होते है जाति के भीतर जाति और आर्थिक असमानता का क्या कोई हल आरक्षण के दायरे में है, राजस्थान का उदाहरण देते हुए वह बोला आदिवासी मीणा समुदाय है जहां एक गाँव से चालीस पचास ब्यूरोक्रेट्स है और एक हमारा गाँव है जहां से एक हेंड पम्प मेकेनिक या आशा कार्यकर्ता भी नहीं है, नार्थ ईस्ट का भी यही हाल है, बाकी तो छोड़ दो फिर आरक्षण के दायरे में ही आर्थिक आधार क्यों ना हो, कब तक आप अधिकारी के बच्चों को या जो मास्टर, प्रोफ़ेसर, डाक्टर, इंजीनियर और पटवारी या डीएसपी बन गए उनको आरक्षण का लाभ दे