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Showing posts from June, 2022

Kuchh Rang Pyar ke - Father's day 19 June 2022

  || त्वमेव माता - पिता तुम्ही हो || अधेड़ उम्र में आकर पत्नी से तलाक हो गया, जब आखिरी दिन कागज़ अदालत में साइन हुए तो दस साल का बेटा आसमान ताक रहा था, उसने सिर्फ इतना पूछा कि माँ अब हर हफ्ते पापा जब मिलने आयेंगे और बाहर घूमाने ले जायेंगे तो मुझे डाँटोगी तो नही ना, आजकल वह एक स्त्री के साथ लिव इन में रहता है, उसका त्याज्य बेटा बड़ा हो रहा है, उसकी जरूरतें बढ़ रही है पर यह अभागा बेरोजगार बाप कुछ भी नही दे पाता, अब वो रविवार को मिलने से कतराता है , "कोविड में मर जाता तो बेहतर रहता पर एक दिन सब खत्म कर दूंगा" - यह कहकर वह लौट जाता है मेरे घर से ___ 20 बरस का हो गया है वो, आठ बरस का था तो माता पिता का देहांत हो गया था, एक बड़ा भाई था जो फ़ौज में था वो लड़ाई में मारा गया कारगिल के समय , दादी भी यह सब सह नही सकी और गुज़र गई - मौसी मौसा उसे उठा लाये और जब तक वह 18 का होता , उन्होंने प्रोपर्टी बेच दी और इसे वृंदावन भेज दिया पढ़ने, अब बीस का है और सब समझता है और मौसी के घर आना नही चाहता - वहां कृष्ण भक्ति, ड्रग्स और चालो में पड़ गया है, फक्कड़ हो गया है, सुना है विदेशी लोगों के साथ रहकर उसके शौक

Khari Khari and other Posts from 15 to 19 June 2022

मुझे लगता है संविदा कर्मचारियों का नाम भी अग्नि शिक्षक, अग्नि डाक्टर, अग्नि बाबू, अग्नि प्राध्यापक , अग्नि सचिव, अग्नि नर्स, अग्नि पटवारी, अग्नि कलेक्टर, आदि रख देना चाहिये कितना सुंदर दृश्य होगा - चहूँ ओर अनगिनत अग्निवीर और अग्नि वीरांगनायें और सड़कों पर कोलाहल - इस सबके बीच फूल बरसाते मोदीजी, सभी विभागों के मंत्री - मंत्राणी, विभाग प्रमुख और ब्यूरोक्रेट्स की लम्बी फ़ौज जो तर्क करने को तत्पर और प्रेस से मुस्कुराते मुख़ातिब , क्योकि मोदी जी तो आएंगे नही सामने अहा महाभारत याद आ रहा है - क्या दृश्य है तीरों की वर्षा, आकाश में गड़गड़ाहट, युद्ध, मौतें और कृष्ण का अर्जुन को गीता ज्ञान कि "हे गृह मंत्री - तू गोली चला, लाठी भांज, ये सारे अग्नि वीर और वीरांगनायें ही तेरे दुश्मन है - वोट का मोह ना कर और निपटा सालों को जड़ से" यदा यदा ही धर्मस्य .... #खरी_खरी *** || हिन्दी का विराट सांस्कृतिक कूड़ाघर || ●●● ■ अम्बर पांडेय मराठी उपन्यासकार भालचन्द्र नेमाडे के विशाल उपन्यास का नाम है- हिन्दू: जीने का समृद्ध कबाड़ (हिंदू : जगण्याची समृद्ध अडगळ), यहाँ बताता चलूँ कि हिन्दू से नेमाडे की अर्थ बहु

Drisht Kavi, Shimla Sahity Academy - Posts of 14 June 2022

सुनो, शिमला की भीड़ में तुम्हारा नाम ना देखकर प्रसन्नता ही हुई जो बापड़े सत्यनारायण की कथा, वैभव लक्ष्मी के उद्यापन, गरुड़ पुराण सुनने और हरिभजन में जा रहें हैं - उन सबको सुकामनाएँ और अग्रिम में भावभीनी सहृदय से सहानुभूति, समानुभूति नही - क्योकि मैं नही जा रहा सुनने या परसादी लेने सवाल यह है कि एक दो दिन में इतना सब, क्या मज़ाक है, पूरी भारतीय भाषाओं और बोलियों की शिकंजी पिलाकर अंत मे डुगडुगी बजेगी जय हो , जय हो, जय हो ; अपच नही होगा क्या, कौन, कब, कैसे, किसको सुनेगा, मिलने - जुलने और हाय्य - हेलो में टाइम निकल जायेगा लगता है आयोजन नही - भीड़ जुटाई गई है, क्या निहितार्थ है, भगवान जाने सरकारी है तो लगता है सरकार इन सबको साधकर अपने कलंक धोना और धुलवाना चाहती है - मेरी दृष्टि कमज़ोर होगी पर 70 % नाम तो कभी सुने ही नही - है कौन ये लोग, किस लोक से आते है लगता है किसी को शेष नही छोड़ा है , साहित्य अकादमी दिल्ली ने किसी को बख्शा नही है, हर भाषा और बोली से जमूरों और उस्तादों को इकठ्ठा कर तीन दिन में साहित्य की सेवा का संकल्प लिया है, लगता है मज़ाक बनाकर रख दिया है आयोजन के नाम पर, और कुछ बेहद चर्चित

Khari Khari , Drisht Kavi Posts of 12 and 13 June 2022

  || जो मेरे घर नही आयेंगे || डाक्टर संजय अलंग जी हिंदी साहित्य के वरिष्ठ लेखक है और इतिहास के अध्येत्ता है, मूल पंजाब - परन्तु अब छत्तीसगढ़ के स्थाई निवासी हो गए है , भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी है और इन दिनों बिलासपुर सम्भाग के कमिश्नर है कल से वे इंदौर में थे, सो आज देवास आने की योजना बन गई, लगभग दो घण्टे हम मित्रों के बीच रहें और बहुत सारी बातें हुईं - साहित्य, संस्कृति, इतिहास , टीवी , ओटीटी प्लेटफॉर्म और विभिन्न फिल्मों और सीरीज़ की अपने फ़लसफ़े और यात्राओं के सन्दर्भ में अपने अनुभव बाँट कर इस चर्चा को बेहद ऊर्जा से भर दिया, आपने एक महत्वपूर्ण बात कही कि हिंदी साहित्य में हमें अब नए विमर्शों की जरूरत है - "गरीबी, स्त्री, दलित, किसान और आदिवासी विमर्श " के जाल से निकलकर जब हम कुछ नये विषयों पर अपनी क़लम चलाएंगे तभी कुछ उत्कृष्ट रच पायेंगे और यदि विश्व साहित्य को देखें तो हम पाएंगे कि अब उपन्यास और कहानी विमर्श से बाहर है - क्योंकि नयापन इसी में निहित है - और हम लोग इन्ही पाँच मुद्दों या थीम को पकड़कर बैठे है सदियों से , बजाय इसके अब कुछ और नए विषयों पर एक्सप्लोर

ओटीटी प्लेटफोर्म पर सीरिज और लोकप्रियता में सेक्स हिंसा और संस्कृति - Article in Baya June 2022

  और ये रहा "बया" का नया अंक और ये रहा आलेख | |ओटीटी प्लेटफोर्म पर सीरिज और लोकप्रियता में सेक्स हिंसा और संस्कृति || _____ संदीप नाईक “ओह शीट ये क्या हो गया” “फक ऑफ, धीस इस टू मच” “आय ऍम नोट गोइंग टू डू धीस फकिंग वर्क” “भैन्चोद कुछ होता ही नही यहाँ” “उस दिन उसने सबकी कहकर ली और बुआ कुछ बोल ही नही पाई सबके सामने, एंड शी इज अ ब्लडी बीच” “साला ये दस्तावेज किस मादरचोद ने लिखा है कि कुछ पढ़ने में नही आ रहा” “यार पापा, आप मेरी मैय्यू मत करो मै देख लूंगा उस बीसी को, एंड आय विल फक हिम लाईक ए वाईल्ड डॉग” “यार मोम, तुम भी ना हर बार शीट कर देती हो जब भी मै कुछ करना चाहता हूँ तो और दीदी को देखो, अपने बॉय फ्रेंड के साथ जब घूमती है तो फक यार..क्या बोलूँ , शी इज लैक अ प्रोस” “जलेबी वाज़ टू सेक्सी एंड चाट वाज़ सो कूल – मादरचोद ने पार्टी में खूब रुपया उड़ाया, साला कुत्ते का पिल्ला और एक हमारा बाप - कुछ नहीं साले भडवे के पास ” “सिच्युएश्न इस सो बेड देट आय कांट हेंडल इट, वी नीड टू पुट ब्लडी फकिंग टीम फॉर कंट्रोल” “ही इज अ होमो एंड लाईक माय प्रोफेसर, गिविंग ब्लो जॉब इज हिज़ पैशन” “शी इज अ लेस्बो ए